हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट गहराता जा रहा है. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जबरदस्त झटका लगा. इसके बाद सरकार पर भी खतरा मंडराने लगा है. आज सुबह-सुबह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने गवर्नर से मुलाकात की और बजट सत्र के दौरान सदन में वोटिंग की मांग की है. उन्होंने इस बात का दावा किया कि सरकार अल्पमत में आ चुकी है. इन तमाम सियासी घटनाक्रमों के बीच हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपनी ही सरकार पर कई सवाल उठाए हैं.
हिमाचल प्रदेश के इस सियासी संकट की आहट राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही सुनाई देने लगी थी. प्रतिभा सिंह ने राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की खूब तारीफ की थी और प्रधानमंत्री के काम को सराहनीय बताया था. इसके बाद से ही सियासी गलियारों में कयासों का बाजार गर्म हो गया था.
प्रतिभा सिंह ने राम मंदिर के निर्माण पर खुशी का इजहार करते हुए कहा था, ´´हिमाचल में 98 फीसदी आबादी हिंदू हैं. हम सभी की आस्था श्रीराम पर है. हम इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं. ´´ आपको बता दें कि प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण भी मिला था. हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह राम लला प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए अयोध्या भी पहुंचे थे. उनके साथ कांग्रेस के एक और नेता सुधीर शर्मा भी इसमें शामिल हुए थे.
विक्रमादित्य सिंह ने तब कहा था, ´यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और मैं हिमाचल प्रदेश से आमंत्रित कुछ लोगों में शामिल होने पर स्वयं को भाग्यशाली मानता हूं. मुझे और मेरे परिवार को यह सम्मान देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) को धन्यवाद देता हूं. ´
आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में जब नई सरकार का गठन हो रहा था उस समय भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कि पत्नी प्रतिभा सिंह का नाम बड़ी तेजी से उछला था. हालांकि, बाद में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम की घोषणा हुई. प्रतिभा और विक्रमादित्य सिंह के समर्थकों ने इसके खिलाफ नाराजगी प्रकट करते हुए जमकर नारेबाजी की. शिमला पहुंचे कांग्रेस पार्टी की पर्यवेक्षकों के काफिले को भी रोक लिया था. होटल के बाहर भी जमकर नारेबाजी की.
विधानसभा चुनाव में बेहद करीब रहा था मुकाबलाविधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला बेहद करीब रहा था. दोनों पार्टियों के बीच वोट प्रतिशत में एक फीसदी से भी कम अंतर था. कांग्रेस को 43. 90 वोट के साथ 40 सीट मिली थी, जबकि भाजपा को 43 वोट प्रतिशत के साथ 25 सीट मिलीं. पार्टी के एक नेता ने कहा कि कांग्रेस को अपनी सरकार को बरकरार रखना है, तो सभी विधायकों को साथ लेकर चलना होगा.