सुप्रीम कोर्ट ने पलटा अपना ही फैसला, अब अब 6 महीने में अपने आप खत्म नहीं होगा स्टे

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपनी 3-न्यायाधीशों की पीठ के 2018 के फैसले को पलट दिया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में अपने एक आदेश में कहा था कि अगर हाईकोर्ट में आगे की सुनवाई नहीं होती तो किसी मामले में लगा अतंरिम स्टे 6 महीने बाद ऑटोमैटिक रूप से खत्म हो जाएगा. अब इस आदेश को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नए फैसले में कहा है कि सिविल और आपराधिक मामलों में हाईकोर्ट की तरफ से लगाई गई अतंरिम स्टे का आदेश छह महीने में खुद ब खुद खत्म नहीं होगा.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया. पीठ में न्यायमूर्ति ए एस ओका, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर 2023 को अपने 2018 के फैसले के खिलाफ फैसला सुरक्षित रख लिया था.

बता दें कि एशियन रिसर्फेसिंग ऑफ रोड एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड डॉयरेक्टर बनाम सीबीआई के 2018 मामले में अपने फैसले में तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि उच्च न्यायालयों सहित अदालतों द्वारा दिए गए स्टे के अंतरिम आदेश को जब तक बढ़ाया नहीं जाता, तो वह ऑटोमैटिकली रद्द हो जाएगा. नतीजतन, कोई भी मुकदमा या कार्यवाही छह महीने के बाद रुकी नहीं रह सकती.

अब शीर्ष अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि संवैधानिक अदालतों को मामलों पर समयबद्ध तरीके से फैसला लेने के आदेश नहीं देने चाहिए, क्योंकि जमीनी स्तर के मुद्दों की जानकारी संबंधित अदालतों को होती है. ऐसे आदेश केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दिए जाने चाहिए. सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सिविल या आपराधिक कार्यवाही में देरी के कई कारण होते हैं. पीठ ने कहा कि यह भी ध्यान में रखना होगा कि देरी हमेशा शामिल पक्षों के आचरण के कारण नहीं होती है. देरी अदालत की कार्यवाही को शीघ्रता से शुरू करने में असमर्थता के कारण भी हो सकती है.

Web Title : SUPREME COURT REVERSES ITS OWN DECISION, NOW STAY WILL NOT END AUTOMATICALLY IN 6 MONTHS

Post Tags: