किराया वसूलने पर बढ़ा विवाद तो आई मोदी सरकार की सफाई- ये बात कभी नहीं हुई

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन में फंसे लोगों को घर पहुंचाने के लिए रेलवे की ओर से किराया वसूले जाने को लेकर राजनीति तेज हो गई है, और अब स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सफाई दी गई है कि भारत सरकार द्वारा कभी भी श्रमिकों से ट्रेन किराया वसूलने की बात नहीं की गई है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ अपनी रोजाना की साझा पीसी में कहा कि राज्यों के अनुरोध पर फंसे हुए लोगों की आवाजाही के लिए विशेष ट्रेन चलाने की अनुमति दी गई है. भारत सरकार की ओर से कभी भी श्रमिकों से ट्रेन किराया वसूलने की बात नहीं की गई है.

श्रमिक स्पेशल ट्रेन

उन्होंने कहा कि प्रवासी लोगों को पहुंचाने को लेकर 85 फीसदी किराया भारतीय रेलवे और 15 फीसदी किराया राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.

इससे पहले लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए श्रमिक ट्रेन के नाम से स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं जिसके लिए यात्रियों से किराये वसूलने पर पूरा घमासान छिड़ा हुआ है. मजदूरों से किराया लेने की बात पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की.

रेलवे ने मांगा था किराया!

राजनीतिक बयानबाजी के बीच रेलवे का वो लेटर भी सामने आया जिसमें राज्य सरकारों से कहा गया है कि वो यात्रियों से टिकट का पैसा लें और वो पैसा रेलवे को दें. 2 मई के इस लेटर में रेलवे मंत्रालय ने प्रवासी मजूदरों, श्रद्धालुओं, यात्रियों, छात्रों और अलग-अलग जगह लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिये विशेष ट्रेन की व्यवस्था की बात की है.

पत्र (प्वाइंट नंबर 11) में कहा गया कि जिस राज्य से भी ये विशेष ट्रेन छूटेंगी, राज्य सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई लिस्ट के हिसाब से रेलवे टिकट छापेगा और राज्य सरकार को देगा. इसके बाद ये टिकट स्थानीय प्रशासन यात्रियों को देकर उनसे किराया वसूलेंगे और पैसा रेलवे को सौंपा जाएगा.

विपक्षी दलों ने निशाना साधा

अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों या दूसरे लोगों को उनके घर जाने के इंतजाम को लेकर लगातार मांग के बाद केंद्र सरकार ने फंसे लोगों को अपने-अपने गृह राज्य जाने की इजाजत दे दी. साथ ही केंद्र सरकार ने श्रमिक ट्रेन चलाने का फैसला भी लिया. लेकिन अब फंसे लोगों से किराया लेने को लेकर विवाद छिड़ गया है.

इस मसले को गैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारों के अलावा कांग्रेस और अन्य दूसरे विपक्षी दल लगातार उठा रहे हैं. कांग्रेस इस मुद्दे को लगातार उठा रही है और मोदी सरकार को मजदूरों से किराया वसूलने पर घेर भी रही है.

कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने सभी प्रदेश संगठनों को कहा है कि ऐसे मजदूरों के टिकट का पैसा वो अपने खाते से दें.

सोनिया ही नहीं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी इस मसले पर ट्वीट के जरिए सरकार को घेरा है. प्रियंका गांधी ने कहा कि जब रेल मंत्री पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपये दे सकते हैं तो फिर फंसे मजदूरों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?

हालांकि बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा की ओर से सफाई में कहा गया कि मजदूरों के टिकट का खर्च केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठा रही हैं.


Web Title : THE CONTROVERSY OVER CHARGING OF RENT HAS NEVER HAPPENED TO THE MODI GOVERNMENTS CLEANLINESS

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