गुजरात की ऐतिहासिक विरासत उद्योगपतीयों को दी जाएगी दत्तक, एडॉप्ट हेरिटेज स्कीम के तहत लिया गया फैसला

गांधीनगर : लाल किले की तरह अब गुजरात की ऐतिहासिक विरासत भी उद्योगपतियों को दत्तक दी जाएगी. 11 वीं सदी की पाटण की ऐतिहासिक रानी की वाव को दत्तक देने के लिए ओएनजीसी के साथ केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय से बातचीत शुरू हो गई है. यह बातचीत केंद्र की एडॉप्ट हेरिटेज स्कीम के तहत चल रही है.  

रानी की वाव के बाद गुजरात में मोढेरा का सूर्यमंदिर, चांपानेर, जूनागढ़ का अशोक शिलालेख और बौद्ध गुफाएं जैसी ऐतिहासिक विरासतों को दत्तक देने की तैयारी चल रही है. इसके पहले जब लालकिला दत्तक दिया गया, तब इसका काफी विरोध हुआ था. इधर रानी की वाव इस समय आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के अधीन है. सोलंकी काल में रानी की वाव देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है. वर्ष 2014 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज की साइट में शामिल किया गया. इसके बाद बाद पर्यटकों की संख्या में इजाफा देखा गया. इस समय इसकी फीस केवल 5 रुपए रखी गई है. हर साल यहां 4000 विदेशी और 3. 50 लाख भारतीय आते हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा- स्वच्छ स्मारक के तहत प्लास्टिक मुक्त स्थल, बेरियरमुक्त यानी सभी को सरलता से प्रवेश मिले, एेसी व्यवस्था. वाइफाइ, ऑडियो गाइड ऐप, क्लॉक रूम, टिकट के लिए केशलेस काउंटर, केँटीन, हेंडीक्राप्ट शॉप्स, सीसीटीवी कैमरे के साथ एडवांस सर्वेलेंस सिस्टम, लाइट एंड साउंड शो, बैटरीचलित ऑपरेटेड वाहन.

एएसआई के अधीन स्मारकों के संबंध में बातचीत चल रही है. पुरातत्व विभाग के अधीन स्मारकों के संंबंध में भी वार्ता चल रही है. इसके लिए गुजरात के बड़े उद्योगपतियों को पत्र लिखा गया है.  



 

Web Title : THE DECISION TAKEN UNDER THE ADOPTION, ADOPTIVE HERITAGE SCHEME WILL BE GIVEN TO THE HISTORICAL HERITAGE UDAYOGAPATIYO OF GUJARAT.