नवजात के साथ होने वाली समस्या, जो हर माँ को मालूम होनी चाहिए

जैसे ही नवाजत आपकी गोद में आता है वैसे ही आपके ऊपर बहुत सारी जिम्मेदरियाँ बढ़ जाती हैं. खासकर, शुरुआत में जब आपका शिशु पैदा होता है तो बहुत सी समस्यायों और परेशानियों का सामना आपको करना पड़ता है. जिसे आप नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती हैं. क्योंकि, यह सीधे तौर पर आपके शिशु के हेल्थ से जुड़ी होती है. इसलिए, निचे कुछ ऐसे परेशानियों और उनका सामना कैसे किया जाना चाहिए इनके बारे में बात की जा रही है जो निम्न हैं-

ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित समस्या

शिशु के जन्म के बाद जो सबसे बड़ी समस्या देखने को मिलती है वह स्तनपान की समस्या. क्योंकि, इस समय आपको अपने नवजात को स्तनपान कराने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है. आपको यह भी पता होता है कि आपके बच्चे को भूख लगी है, फिर भी वो उसे स्तनपान करा पाने में सफल नहीं होती हैं. कुछ महिलाओं में तो शुरुआत के कुछ दिनों तक ब्रेस्ट मिल्क नहीं निकल पाता जिससे कि बहुत सारी समस्या का सामना करना पड़ता है. लेकिन, इसके लिए आपको पीछे हटने की जरूरत नहीं है बल्कि इससे निपटने के लिए आपको अपने शिशु को स्तनपान कराने की कोशिश करनी चाहिए.

शिशु को पहला दूध जरूर दें

जब आप डिलीवरी रूम से बाहर आती हैं तब डॉक्टर आपको कोलेस्ट्रम जो कि एक गाढ़ा दूध होता है, उसे पिलाने की सलाह देते हैं. भले ही आपको इस समय ब्रेस्टफीडिंग कराने में तकलीफ हो लेकिन, इस समय शिशु को यह दूध जरूर दिया जाना चाहिए. क्योंकि यह शिशु के इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करता है. जिससे कि आप अपने शिशु की संक्रमण से बचा कर रख सकती हैं.

शिशु में सोने की समस्या

अक्सर आपने देखा होगा कि शुरुआत के दिनों में शिशु दिन में सोते हैं और रात में जागते हैं. जिसके कारण आपको काफी परेशानी झेलनी पड़ती है, क्योंकि आपका नींद पूरा नहीं हो पाता है. हालाँकि, धीरे-धीरे यह समस्या शिशु में कम होने लगती है, लेकिन ऐसे में आप कोशिश करें कि शिशु के सोने के समय में थोड़ा बदलाव ला सकती हैं. जिससे कि वह दिन की अपेक्षा रात में सो जाए.

बच्चे में सोने का समय  है ?

शिशु के नींद का साइकल बड़ों की तुलना में काफी कम होता है, वह छोटे-छोटे अंतराल पर उठते हैं. हालाँकि, उनका इस समय अधिक सोना उनके सेहत के लिए अच्छा माना जाता है. क्योंकि, यह उनके मस्तिष्क में असाधारण विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.

शिशु के सोने में बदलाव कैसे करें ?

शिशु को छोटी-छोटी नींद लेने दें

अपने शिशु को थोड़ी-थोड़ी देर में झपकी लेने दें, क्योंकि शुरुआत के छह से आठ हफ्तों तक, ज्यादातर बच्चे एक समय में दो घंटे से अधिक समय तक नहीं सो पाते हैं. इसलिए, उन्हें छोटे-छोटे अंतराल पर जरूर सोने दें.

शिशु को रात-दिन का फर्क समझाएं

शिशु को दिन और रात का फर्क समझने में मदद करें, क्योंकि जन्म के कुछ दिनों तक शिशु को कुछ नहीं पता चलता कि दिन क्या है और रात क्या है. क्योंकि, जिस तरह से वह गर्भ में रहते हैं वैसे ही वह बाहरी दुनिया में भी रहने की कोशिश करते हैं. लेकिन, दो से तीन हफ़्तों के बाद आप अपने शिशु को दिन में ज्यादा देर तक सुलाने की कोशिश न करें. क्योंकि, इससे वह रात में आसानी से सो सकते हैं.

सोने के इशारों को समझें

शिशु में सोने के संकेतों को समझें, क्योंकि जब शिशु को नींद आ रही होती है तब वह अपनी आँखों को मलने लगते हैं, और अपने कान को खींचने लगते हैं. इसके अलावा, जब शिशु को नींद आती है तब वह रोना भी शुरू कर देते हैं. ऐसे में, आप उन्हें ब्रेस्टफीडिंग करते हुए सुलाने की कोशिश करें.

शिशु में रोने की समस्या

यह सभी लोगों को पता है कि बच्चे रोते हैं लेकिन, कभी-कभी आप परेशान और इरिटेट भी हो जाती हैं. खासकर, जब आप सो रहे होते हैं और आपके बच्चे रोते हैं तब. क्योंकि, अधिकतर महिलाएं सबसे ज्यादा इन्हीं चीज़ों से परेशान रहती हैं.

हालाँकि, इससे परेशान होने से अच्छा है कि आप इसे टेंसन फ्री होकर इस समस्या को कम करने की कोशिश करें. आप चाहें तो अपने इस स्ट्रेस को कम करने के लिए एक्सरसाइज, स्विमिंग आदि कर सकती हैं.  

इसके अलावा, जो सबसे जरूरी चीज़ें हैं वह यह कि आप इस बात का पता लगाएं कि आख़िरकार शिशु क्यों रो रहे हैं. जैसे कि जब शिशु को भूख लगी होती है, या फिर डाइपर चेंज करने के लिए भी शिशु रोते हैं. इसलिए इन सारी बातों को ध्यान में रख कर आप इस समस्या से छुटकारा पा सकती हैं.  


Web Title : EVERY MOTHER SHOULD KNOW THESE PROBLEMS OF THERE NEWLY BORN BABY