नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक ने हाउसिंग के साथ ही एमएसएमई और रिटेल लोन के मामले में सभी फ्लोटिंग रेट वाले लोन को रेपो रेट से जोड़ने का फैसला किया है. इससे बैंक के करोड़ों ग्राहकों को फायदा होगा. यह नियम 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा. एसबीआई ने रेपो रेट को इन सभी लोन के लिए एक्सटर्नल बेंचमार्क मानने का फैसला किया है. इसके पहले इस साल जुलाई में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने एक बड़ी पहल करते हुए ब्याज दरों में पारदर्शिता की मिसाल पेश की थी. SBI ने 1 जुलाई से अपने होम लोन की ब्याज दरों को रेपो दर से जोड़ने का फैसला किया था. बैंक अपने अल्पकालिक कर्ज और बड़ी जमा राशि की ब्याज दरों को रेपो दर से पहले ही जोड़ चुका. गत 4 सितंबर को रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों से कहा था कि वे अपने नए फ्लोटिंग रेट वाले पर्सनल या रिटेल लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट से जोड़ें. एसबीआई ने एक बयान में कहा है, ´हमने यह तय किया है कि फ्लोटिंग रेट वाले सभी एमएसएमई, हाउसिंग और रिटेल लोन को 1 अक्टूबर से एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ेंगे. ´रिजर्व बैंक ने बैंकों को यह विकल्प भी दिया था कि वे फ्लोटिंग लोन दरों को रेपो रेट या तीन माह व छह माह के ट्रेजरी बिल या फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) द्वारा प्रकाशित किसी भी बेंचमार्क दर के आधार पर रखें. SBI ने खुद ही एमएसएमई को एक्सटर्नल बेंचमार्क आधारित लोन को बढ़ावा दिया है. इससे एमएसएमई सेक्टर को फायद होगा. SBI ने 1 जुलाई 2019 को फ्लोटिंग रेट होम लोन को भी रेपो रेट से जोड़ा था. इस स्कीम में भी स्कीम में कुछ बदलाव किए गए हैं और इन बदलावों के साथ 1 अक्टूबर 2019 से नई स्कीम लागू हो जाएगा. SBI का रेपो-लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) रिजर्व बैंक के के रेपो रेट से करीब 2. 25 फीसदी ऊपर रहता है. अभी रेपो रेट 5. 40 फीसदी है तो SBI का RLLR 7. 65 फीसदी है. इसके अलावा RLLR से ऊपर 0. 40 फीसदी और 0. 55 फीसदी का स्प्रेड होता है. इस हिसाब से नए होम लोन ग्राहक सालाना 8. 05 फीसदी या 8. 20 फीसदी पर होम लोन पा सकते हैं.