शिक्षा के साथ अध्यात्मिक रूप से सशक्त बना रहा देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, इंटर्नशिप करने पहुंची छात्राओं ने साझाा किये अनुभव

बालाघाट. देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्धार से एक माह का इंटर्नशीप करने पहुंची दो टोलियो में 6 छात्राओं ने विश्वविद्यालय में शिक्षा के अनुभवों और जिले में इंटर्नशीप के दौरान किये गये कार्यो को पत्रकारों से प्रेसवार्ता के माध्यम से साझा किया.   गायत्री मंदिर सभाकक्ष में गुरूवार को प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया गया था. जिसमें विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष की एक माह की इंटर्नशीप करने पहुंची छात्रा ग्रेसी पंवार, मेघा धाकड़, ज्योति धाकड़, किरण घोड़की, कनिष्का महेश्वरी और सलोनी अग्निहोत्री ने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्धार की पढ़ाई के साथ ही जिले में इंटर्नशीप के दौरान जिला जेल में कैदियों को व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण पर दी जानकारी और पर्यावरण संरक्षण को लेकर किये गये पौधारोपण कार्यक्रम की जानकारी दी. इसके साथ ही इंटर्नशीप करने पहुंची छात्राओं ने जिले के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के किये गये भ्रमण के अनुभवों के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि इस दौरान वह बालाघाट शहर, लांजी, वारासिवनी और लालबर्रा के क्षेत्र मे स्कूल और विश्वविद्यालय में पहुंचे और देव संस्कृति विश्वविद्यालय की शिक्षा पद्धति की जानकारी के साथ ही योग, साधना से छात्र, छात्राओं को अवगत कराया.

छात्राओं ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय ना केवल शिक्षा के माध्यम से अपने विद्यार्थियांे को शिक्षित कर रहा है बल्कि स्व-निर्माण की प्रेरणा भी दे रहा है ताकि वह जीवन में सामाजिक क्षेत्रो में भी कार्य कर परिवार, समाज और राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान दे सके. छात्राओं ने बताया कि विश्वविद्यालय में समय और जीवन प्रबंधन के साथ ही योग, साधना और ध्यान सिखाया जाता है, ताकि विषम से विषम परिस्थति में यहां के छात्र जीवन के मार्गो से भटके नहीं और अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित कर राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान दे सके.  

छात्राओं की मानें तो वहां हर काम स्वयं का काम समझकर किया जाता है, जहां अन्य विश्वविद्यालयो में केवल शिक्षा ही सर्वोपरी है, जबकि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में ना केवल शिक्षा बल्कि व्यक्ति निर्माण की शिक्षा भी सर्वोपरी है. हमें गर्व है कि हम ऐसे विश्वविद्यालय के छात्र है, जहां स्वयं में सुधार कर संसार की सेवा के भाव पैदा विद्यार्थियो में पैदा किये जा रहे है. आचार्य जी का सपना था कि भारतीय संस्कृति के गुरूकुल जैसा विश्वविद्यालय हो और वह सपना देव संस्कृति विश्वविद्यालय के रूप में देश में साकार हो रहा है. जहां हमें यज्ञ थेरेपी से लेकर एक्यप्रेशर, पंचकर्म, मर्म थेरेपी जैसी शिक्षायें मिल रही है. विश्वविद्यालय में कुल 21 तरह के कोर्स है. जहां अध्ययन कर विद्यार्थी ना केवल शिक्षित होता है बल्कि आत्मनिर्भर और अध्यात्म से परिपूर्ण होता है. देव संस्कृति विश्वविद्यालय एक विद्यार्थी को सफल नागरिक और अच्छा सृजन करने की मंशा से उसे तैयार करता है, ताकि वह परिवार, समाज और राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान दे सके. इस दौरान बालाघाट गायत्री परिवार से जुड़े पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे.  


Web Title : DEV SANSKRITI UNIVERSITY, WHICH IS MAKING EDUCATION SPIRITUALLY EMPOWERED, STUDENTS WHO CAME FOR INTERNSHIP SHARED THEIR EXPERIENCES