सनातन संस्कृति की मर्यादा के साथ हो गरबे का आयोजन, नपाध्यक्ष ने आयोजन में हरसंभव मदद का दिलाया भरोसा, परिधान और गीतों पर हो फोकस

बालाघाट. संस्कृति संरक्षण मंच के आव्हान पर 20 सितंबर को विचार संगोष्ठी का आयोजन नगर के काली पुतली चौक स्थित हनुमान मंदिर परिसर में किया गया. जिसमें सभी सामाजिक, धार्मिक संगठनों के साथ ही दुर्गोत्सव समिति, गरबा आयोजक और धर्मप्रेमी जनता उपस्थित थी.

जहां गरबा और डांडिया आयोजन के माध्यम से सनातन संस्कृति के हो रहे ह्रास पर वक्ताओं ने चिंता जाहिर करते हुए सनातन संस्कृति की मर्यादा में गरबा और डांडिया आयोजन पर जोर देते हुए गरबा आयोजक, परिवार और गरबा खेलने आने वाले बच्चे, युवा, महिला, पुरूषो से परिधान की मर्यादा पर फोकस करने की बात कही गई. साथ ही गरबा आयोजन में भक्ति गीतों को प्राथमिकता दिये जाने पर जोर दिया गया. शक्ति की आराधना के पर्व नवरात्र में आयोजित होने वाले आदिशक्ति की भक्ति के गरबा में होने वाली मस्ती का निषेध किये जाने की अपील की गईं. जिसमें सभी ने सम्मति पर जोर दिया.

संरक्षण समिति प्रभारी डॉ. बीएम शरणागत ने कहा कि समिति के पास गरबा आयोजन को लेकर सनातन संस्कृति और मर्यादा में कराये जाने को लेकर जो सुझाव आये है, वह अच्छे है, केवल हमें गरबा के नाम पर हो रही अश्लीलता को रोकना है और इसकी जिम्मेदार हर अभिभावक और हम सभी पर है.

प्रभारी राजा सोनी ने कहा कि नवरात्र का पर्व आदिशक्ति की आराधना और उपासना का पर्व है. हम गरबा आयोजन में परिधानों पर विशेष ध्यान दे. भक्तिगीतो में एक से एक कलाकारो के भक्तिगीत आ रहे है अच्छे सिंगर है जिन्हें बुलाकर या उनके भक्तिगीतों को गरबा गीत में शामिल कर सकते है. उन्होंने कहा कि यदि गरबा के नाम पर आप अन्य आयोजन कर रहे है तो उसे गरबा का नाम ना दे और यदि गरबा कर रहे है तो उसमें सनातन संस्कृति की मर्यादाओं का पालन करें, ताकि हमारी संस्कृति और संस्कार बने रहे.

संयोजक राजेन्द्र शुक्ल सहज ने कहा कि संस्कृति संरक्षण मंच द्वारा गरबा आयोजन, सनातन संस्कृति, परंपरा का पालन करते हुए  अनुशासन और अध्यात्मिक माहौल में हो, ऐसा हमारा प्रयास था. जिसका सभी ने स्वागत किया है. परिधानों के अलावा भक्तिगीतों पर ध्यान दिये जाने का अनुरोध सभी से किया है.

आरएसएस जिला संघ चालक वैभव कश्यप ने कहा कि हमारी बातें और कार्य एक होना चाहिये. आज हमें हिन्दु समाज को अपनी संस्कृति के साथ खड़ा और मजबूत करना है, अन्यथा हिन्दु समाज टूटेगा तो कुछ नहीं बचेगा. हमारी संस्कृति ही हमें आपस में जोड़ती है. गरबा पूजन है, साधना है. व्यक्ति का व्यक्तित्व उसकी शैली को परिभाषित करता है, इसलिए हमें गरबा में अपने ऐसे व्यक्तित्व का प्रदर्शन करना है, जो हमारी सनातन संस्कृति रही है. ताकि संस्कार और संस्कृति बनी रहे.  

नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती भारती सुरजीतसिंह ठाकुर ने कहा कि बालाघाट जिला सांस्कृतिक और साहित्यिक रूप से एक समृद्ध जिला है. हम सभी अपनी मर्यादाओं को जानते है. बालाघाट का दशहरा अब बालाघाट की संस्कृति बन गया है, जो एक अलग ही आयोजन होता है. हम गरबा आयोजन, ऐसा करें ताकि हमारी संस्कृति और संस्कारो पर सवाल खड़े ना हो. उन्होंने कहा कि हम इस बार स्वच्छ भारत, स्वस्थ्य भारत की थीम पर कार्य करें. उन्होंने कहा कि नगरपालिका आपकी हरसंभव सहायता और मदद करेगी.

रोटरी क्लब ऑफ वैनगंगा के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश तिवारी ने कहा कि यह एक अच्छी पहल है लेकिन संस्कृति का ह्रास कहां हो रहा है और कहां नहीं हो रहा है, इसका भी हमें ध्यान रखना होगा. सभी आयोजक आयोजन को लेकर सकारात्मक प्रयास और आराधना के भाव से ही करते है, जिसे भी हमें ध्यान रखना होगा.

वात्सल्य आराधना ग्रुप अध्यक्ष श्रीमती मीनाबेन चावड़ा ने कहा कि गरबा आयोजन की शुरूआत एक पवित्र भावना थी. उन्होंने इससे जुड़ी एक कथा को बताते हुए कहा कि यह मां की आराधना और उपासना का साधन है, जहां घटपूजा के साथ ही उसका दरबार होता है. जिसका हमंे पूरी आस्था और श्रद्वा के साथ पूजन करता होता है, हम अपनी संस्कृति और संस्कार के साथ ऐसे आयोजनों को रखे, ऐसा सभी का प्रयास हो.

युवा समाजसेवी राजा उत्कर्ष शुक्ला कहा कि मनोरंजन के लिए गरबा का आयोजन न हो और इसे कमर्शियल रूप ना दिया जाये. यदि कमर्शियल किया जाता है तो उसे गरबा का नाम ना दे. उन्होंने कहा कि गरबा हमारे धर्म और आस्था से जुड़ा मुद्दा है. उसे मनोरंजन का साधन ना बनने दे और खासकर नवरात्र में ही इस तरह के आयोजनो को ना करे. इसकी पवित्रता को बनाये रखे.


Web Title : GARBA SHOULD BE ORGANIZED WITH THE DIGNITY OF SANATAN CULTURE, NAPADHYAKSHA ASSURED ALL POSSIBLE HELP IN THE EVENT, FOCUS SHOULD BE ON CLOTHES AND SONGS