अमन और शांति का पैगाम लेकर आये रसूल,19 अक्टूबर को निकलेगा जुलुसे-मोहम्मदी

बालाघाट. पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाने वाला पर्व ईद-मिलादुन्नबी जिले में पूरी अकीद त के साथ मनाया जा रहा है. मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार इस्लामिक माह के तीसरे महिने के चांद के दीदार से लेकर चांद की 12 तारीख तक जश्ने ईद-मिलादुन्नबी पर्व पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किये जाते है. इसी कड़ी में बालाघाट शहर सहित पूरे जिले में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है. जिसमें जिले की सभी मस्जिदो, मदरसो और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में नात की महफिल, कुरान खानी, लंगर सहित अन्य आयोजन हो रहे है. इस वर्ष विशेष रूप से महिलाओं में जश्ने ईद-मिलादुन्नबी को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. नगर के अंजुमन उर्दू स्कूल में महिलाओं द्वारा 12 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया हैं. जिसमें पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब की जीवनी, शिक्षा और उद्देश्य को लोगों तक पहुंचाने के लिए मुस्लिम धर्मगुरू के द्वारा तकरीर दी जा रही है. इसी कड़ी में 20 अक्टूबर को अंजुमन शादी हॉल मंे महिलाओं का धार्मिक इजलास होने जा रहा है. जिसमें नागपुर और छिंदवाड़ा मुस्लिम महिला धर्मगुरू शामिल होगी. जश्ने ईद-मिलादुन्नबी के मौके पर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रो एवं चौक, चौराहो में सजावट पूरे जिले में की जा रही है. जहां पर जुलुसे मोहम्मदी का इस्तकबाल भी किया जायेगा.

गौरतलब हो कि पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म 1450 वर्ष पूर्व 570 ईसवी को अरब के मक्का शहर में हुआ था. जिन्होंने इस्लाम धर्म को लोगों तक पहुंचाने का काम किया. जिनके जन्मदिन को पूरी दुनिया में इस्लाम धर्मावलंबी पूरे अकीदत के साथ मनाते है, इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रंथ कुरान, पैगंबर हजरत मोहम्मद पर उतारा गया हैं. जो पूरी दुनिया को इंसानियत और मानवता का संदेश देता है. जिन्होंने कहा था कि यदि किसी ने बेगुनाह की हत्या की तो उसने पूरी मानवता की हत्या कर दी और किसी की जान बचाई तो समझो उसने पूरी इंसानियत को बचा लिया.  

जिनकी यौमे पैदाईश पर 19 अक्टूबर को ईद-मिलादुन्नबी पूरे देश सहित प्रदेश एवं जिले में मुस्लिम धर्मावलंबियों अकीदत के साथ मनाया जायेगा. ज्ञात हो कि हर साल प्रदेश एवं जिले में मुस्लिम धर्मावलंबी, ईद-मिलादुन्नबी पर पूरी शानौ-शौकत से जुलुस-ए-मोहम्मदी निकाला जाता है. बीते दो साल से कोविड-19 के कारण सादगी से यह पर्व मनाया गया था लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के नियंत्रण में होने के कारण बालाघाट मुख्यालय सहित पूरे जिले में पूरी शानौ-शौकत के साथ जुलुसे मोहम्मदी निकाला जायेगा.  

बालाघाट नगर में जश्ने-ईद-मिलादुन्नबी पर सुबह सभी मस्जिदो में सलातो-सलाम होगा. जिसके बाद सुबह 9. 30 बजे जामा मस्जिद चौक पर परचम कुसाई की जायेगी. इस दौरान यहां मौजूद मुस्लिम धर्मावलंबी सलातो-सलाम पढ़ते हुए जुलुस मार्ग से होकर गुजरेंगे और वापस अंजुमन शादी हॉल पहुंचेंगे. जहां जुलुस का समापन किया जायेगा. जिसके बाद लंगर ए-आम का आयोजन होगा.

रजा एक्शन कमेटी प्रदेशाध्यक्ष हाजी शोएब खान ने बताया कि पैगंबर मोहम्मद साहब की पैदाईश के वक्त पूरी दुनिया में आतंक और भय का माहौल था. लोग अपनी बेटियों को पैदा होते ही जिंदा दफन कर देते थे. इंसानियत पूरी तरह से खत्म हो गई थी. पैगंबर साहब ने होश संभालने के बाद दुनिया से भय और आतंक को मिटाने एवं इंसानियत को बचाने लोगों में अमन और शांति का पैगाम, इस्लाम के माध्यम से दिया. अपने जीवन में उन्होंने महिला उत्थान की मिसाल पेश की. श्री खान ने बताया कि आज आतंकवाद, दहशतगर्दी जो दिखाई दे रही है, उसका इस्लाम से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि पैगंबर मोहम्मद साहब ने पूरी दुनिया को अमन, शांति और भाईचारे का पैगाम दिया है. बालाघाट में पैगंबर मोहम्मद साहब की यौमे पैदाईश के मौके पर निकाले जाने वाले जुलुसे-मोहम्मदी को लेकर शासन, प्रशासन के निर्देशों का इंतजार है. उन्होंने शासन, प्रशासन से मांग की है कि आगामी 19 अक्टूबर को निकाले जाने वाले जुलुसे-मोहम्मदी को लेकर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता बंदोबश्त किया जायें.


Web Title : RASOOL BRINGS MESSAGE OF PEACE AND PEACE, JULUSE MOHAMMADI TO LEAVE ON OCTOBER 19