सरकार की नीतियों को पलटकर युवाओं को अवसर दिलाने का संकल्प, सम्यक अभियान कान्फ्रेन्स में विचारक भास्करराव रोकड़े ने रखी बात

बालाघाट. सेवानिवृति आयु 58 साल करने, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन अधिनियम लागू करने, सरकारी एवं निजी क्षेत्र में आउटसोर्सिंग प्रणाली पर रोक लगाने,निजी क्षेत्र में 8 घंटे की शिफ्ट डयूटी लागू करने, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को त्वरित न्याय दिलाने प्लेसमेंट डिपार्टमेंट बनाने, जातिगत जनगणना कराके आबादी के अनुपात में आरक्षण लागू कराने एवं अर्हता परीक्षा में उच्चतम अंक वालो को एक्सीलेंस केटेगरी में रखने के लिए संगठित होकर संकल्पित अभियान चलाने का ऐलान किया.

बालाघाट में आयोजित सम्यक अभियान कान्फ्रेन्स में सुप्रसिद्ध विचारक भास्कर राव रोकड़े ने युवाओ के साथ अत्यंत ज्वलंत मुद्दों पर सामूहिक संकल्प लेकर राजनीतिक दलों एवं नेताओ की नींद हराम कर दी है. सत्ता-पक्ष के नेता तो कुछ भी बोलने की स्थिति में नही है, लेकिन विपक्ष के बड़े नेता भी किसी भी प्रकार की टिप्पणी से बचने का प्रयास कर रहे है. राजनीतिक हल्के में चर्चा इसलिए भी है कि सम्यक अभियान कान्फ्रेन्स के गैर राजनीतिक मंच पर अधिकांश कांग्रेस के ही नेता मौजूद थे, लेकिन उसमें जिले का एक भी विधायक कांफ्रेंस में शामिल नही था.  

उल्लेखनीय बात यह भी है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण गोठी बैतूल, डॉ. रमेश काकोडिया घोड़ाडोंगरी एवं डॉ. सुरेश उइके भैसदेही क्षेत्र के सम्यक कोऑर्डीनेटर की भूमिका निभाते हुए शिक्षित युवाओं को नेतृत्व प्रदान कर रहे है. कान्फ्रेन्स में सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के सम्मान व स्वाभिमान की बात कर युवाओ के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को भी अभियान से जोड़ने का प्रयास किया गया, तो समानता का मुद्दा उठाकर राज-घरानों से जुड़े नेताओ की चिंता बढ़ा दी गई है. इस अभियान से नवक्रांति के संकेत भी मिल रहे है.

  कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सम्यक अभियान के प्रमुख भास्कर राव रोकड़े ने कहा कि म. प्र. में सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा-निवृति आयु 58 साल ही थी. राज्य सरकार ने उसे ग्रेच्युटी एवं पीएफ की राशि रिटायर होने वाले कर्मचारियों को एकमुश्त देने के लिए धन की कमी को देखते हुए बढ़ाते-बढ़ाते 65 साल सेवानिवृति आयु कर दी है. सरकारी कर्मचारियो को उन्ही की जमा राशि से प्राप्त आय से वेतन दी जा रही है. इस प्रकार वे फ्री में काम कर रहे है एवं बेरोजगारी बहुत-अधिक बढ़ गई है. वे 1 जनवरी 2024 को युवा-दिवस मनाएंगे तथा उसी दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री को म. प्र. में सरकारी, निगम, मंडल एवं बोर्ड के सभी कर्मचारियों के लिए 58 साल सेवा-निवृति आयु लागू करने संबंधी आदेश जारी करना पड़ेगा. इससे राज्य के कुल 5 लाख 30 हजार कर्मचारी सेवानिवृत हो जाएंगे तथा 1 जनवरी 2024 से 31 जुलाई 2024 के बीच राज्य के 5 लाख 30 हजार युवाओ को सम्मान-जनक नौकरी मिल जायेगी.

सरकारी एवं निजी क्षेत्र में एक-समान वेतन

श्री रोकड़े ने कहा कि देश के नीति निर्धारकों ने सन 1948 में संसद में न्यूनतम मजदूरी अधिनियम पारित कर श्रमिको को शोषण से बचाने की व्यवस्था दिया. लेकिन शिक्षक, लिपिक, सुपरवाइजर, टेक्नीशियन, इंजीनियर आदि वर्ग के शिक्षित कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू नही होता. जिसके कारण प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को अब भी तीन हजार रुपये, लिपिक को 7 हजार रुपये तो इंजीनियर को मात्र 10 हजार रुपये मासिक वेतन मिल रही है. इससे युवा परेशान होने के साथ-साथ अपमानित भी हो रहे है. निजी क्षेत्र में भी कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों के बराबर वेतन मिले, इसलिए न्यूनतम वेतन अधिनियम लागू करने की आवश्यकता है. युवा शक्ति के संकल्प की वजह से 1 जनवरी 2024 को ही युवा-दिवस के दिन म. प्र. सरकार को न्यूनतम वेतन अधिनियम लागू करना ही पड़ेगा.

सरकारी एवं निजी क्षेत्र में आउटसोर्सिंग से नियुक्ति पर लगेगी पाबंदी

श्री रोकड़े ने कहा कि सरकारी एवं निजी उपक्रमो में विशेष प्रकार के अंशकालिक कार्यो को अन्य क्षेत्र-विशेष की कार्य-विशेष में निपुण कंपनी से कराने के लिए बीपीओ अर्थात बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग एवं केपीओ अर्थात नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग की व्यवस्था दी गई थी. कालांतर में उन प्रावधानों का गलत उपयोग शुरू हो गया. बीपीओ व केपीओ के प्रावधानों का गलत उपयोग करते हुए सरकारी एवं निजी क्षेत्र में मैन-पॉवर आउटसोर्सिंग शुरू कर दी गई.  

म. प्र. में तो कई विभागों में 70 प्रतिशत पद मजदूरों से भी कम वेतन देते हुए,आरक्षण व्यवस्था को भी लागू नही करते हुए आऊटसोर्सिंग से भरे जा रहे है. निजी क्षेत्र में तो 90 प्रतिशत पद आऊटसोर्सिंग से ही भरे जा रहे है. इस प्रकार शिक्षित युवाओ की दलाली का घिनौना कारोबार सरकारी संरक्षण में शुरू हो गया है. निश्चित-रूप से 1 जनवरी 2024 को सरकारी एवं निजी क्षेत्र में म. प्र. ने आउटसोर्सिंग से नियुक्तियों पर पूर्णतः पावंदी लगा दी जाएगी. युवाओ के संकल्प को पूरा करने के लिए सरकार बाध्य होगी.

8 घंटे से अधिक की शिफ्ट डयूटी हो ही नही सकती

श्री रोकड़े ने कहा कि म. प्र. में मई 2020 में सरकार ने कारखानों में शिफ्ट ड्यूटी 8 घंटे को बढ़ाकर 12 घंटे करने के साथ-साथ उद्योगों को कर्मचारियों को बिना कारण बताये नौकरी से निकालने की आजादी दे दी. पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र का अध्ययन करने पर पता चला कि प्रायः सभी उद्योगों ने शिफ्ट ड्यूटी 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया हैं, जिससे 1 शिफ्ट के कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया. उसी प्रकार श्रम कानून में बदलाव का लाभ लेकर अंधाधुंध छंटनी की गई व उनके स्थान पर नाम-मात्र की वेतन पर आउटसोर्सिंग के तहत कर्मचारी रख लिए गये. जिसके कारण हजारों युवा बेरोजगार हो गये. उन्होंने कहा कि युवा-दिवस 1 जनवरी 2024 को सरकार को 8 घंटे की शिफ्ट डयूटी का प्रावधान कर उसे कड़ाई से लागू करने, नौकरी से निकालने की प्रक्रिया को कर्मचारियों के हित के अनुरूप बनाते हुए, कर्मचारियों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए शासन का प्लेसमेंट डिपार्टमेंट बनाने का निर्णय लेना ही पड़ेगा.

आबादी के अनुपात में आरक्षण लागू कर एक्सीलेंसी केटेगरी का प्रावधान श्री रोकड़े ने कहा कि मंडल आयोग ने देश मे कुल 44 प्रतिशत ओबीसी आबादी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश करते हुए लेख किया कि देश मे पहले से ही 22. 5 प्रतिशत आरक्षण पूर्व से ही एस. सी., एस. टी. के लिए लागू है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नही दिया जा सकता. राष्ट्रीय-स्तर पर एस. सी., एस. टी. वर्ग के लिए 22. 5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था तो दी गई. लेकिन राज्यों को यह व्यवस्था भी दी गई कि राज्य एस. सी., एस. टी. वर्ग की आबादी के अनुपात में राज्य में आरक्षण लागू करे. तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी का मानना था कि सन 1931 के बाद जातिगत आधार पर जनगणना नही हुई है. जब तक जातिगत आधार पर जनगणना नही हो जाती तथा राज्यवार ओबीसी वर्ग की आबादी के सही-सही आंकड़े सामने नही आ जाते, तब तक मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करना संभव नही है. सन 1989 में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. वी. पी. सिंह ने श्रेय लेने के लिए जल्दीबाजी में त्रुटिपूर्ण मंडल आयोग की सिफारिश लागू कर दिया.

    मंडल आयोग की सिफारिश लागू होते ही म. प्र. में ओबीसी वर्ग ठगी का शिकार हो गया. क्योंकि राज्य में लगभग 54 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की ही है. राज्य में 20 प्रतिशत एस. टी. एवं 16 प्रतिशत एस. सी. वर्ग के लिए आबादी के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. जिसके कारण 54 प्रतिशत आबादी वाले ओबीसी वर्ग को मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण ही मिला. उसके बाद भी ओबीसी वर्ग के प्रतियोगी सामान्य श्रेणी में आवेदन करते रहे. लेकिन जब न्यायालय ने यह व्यवस्था दे दिया कि आरक्षित वर्ग का आवेदक अनारक्षित वर्ग में आवेदन नही कर सकता,तो ओबीसी वर्ग बर्बादी की स्थिति में पहुंच गया. आखिर ओबीसी वर्ग का 40 प्रतिशत किसी और को कैसे दिया जा सकता है.

    श्री रोकड़े ने कहा कि 1 जनवरी 2024 को म. प्र. में जातिगत जनगणना का निर्णय सरकार को लेना ही पड़ेगा. जिसके तहत आबादी के अनुपात में आरक्षण सुनिश्चित किया जा सके. इसके साथ ही प्रत्येक वर्ग की आबादी का 10 प्रतिशत एक्सीलेंस केटेगरी के लिए रखते हुए अर्हकारी परीक्षा में सर्वाधिक अंक लाने वालों के लिए 10 प्रतिशत का प्रावधान एक्सीलेंस केटेगरी के रूप में आरक्षित रखना होगा.

सरकारी अमले का सम्मान एवं स्वाभिमान

सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को अनावश्यक अपमानित करने की प्रवृति को गलत निरूपित करते हुए श्री रोकड़े ने युवाओ के साथ संकल्प लिया कि वे सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को उनके पद व कद के अनुरूप सम्मान देंगे भी और दिलाएंगे भी. क्योकि उनका सम्मान हमारा सम्मान,उनका स्वाभिमान हमारा स्वाभिमान.

अब बर्दाश्त नही,राजघरानों का प्रतिनिधित्व

सम्यक अभियान कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए भास्कर राव  रोकड़े ने कहा कि राजशाही समाप्त होने व लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होने के बाद देशी रियासतों की सम्पूर्ण सम्पत्ति भारत सरकार की ही हो गई. यदि उस समय एकीकरण के प्रयास में कुछ गलत निर्णय हो भी गए होंगे तो अब उसमें सुधार किया जा सकता है. जिस तरह से श्रीमती इंदिरा गांधी ने प्रिवीपर्स बंद करने, बैंकों,खदानों व उद्योगों में राजघरानो का नियंत्रण समाप्त करने का निर्णय ली थी. उसी तरह से राजघरानो के वारिसो की संपत्ति का पुनः मुल्यांकन करने व उनके नियंत्रण के ट्रस्ट भंग करने तथा राजमहलों को खाली कराने की आवश्यकता है. क्योंकि पूर्व राजा या पूर्व महाराजा को प्रतिष्ठा के अनुरूप राजमहल में रहने की अनुमति देने को कोई गलत निरूपित नही कर सकता था. लेकिन पूर्व राजा या पूर्व महाराजा के वंशजों को राजमहलों में रहने का अधिकार ही नही है. क्योंकि राज्य की सम्पूर्ण संपत्ति प्रजा की होती थी,राजा या महाराजा के निज स्वामित्व की नही. राजमहल तत्कालीन शासन व्यवस्था के केंद्र थे. लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होने के बाद राजशाही व्यवस्था के शासन केंद्रों का लोकतांत्रिक सरकार के आधिपत्य में आ जाना चाहिए था. लेकिन ऐसा लगता है कि पूर्व राजा, महाराजाओं ने सम्मान एवं प्रतिष्ठा की बात रखकर अपने जीवन काल में राजमहलो में रहने की अनुमति ले लिया था किंतु उनके मरणोपरांत उनके वंशज अब भी महलों ब किलो में जमे हुए है.

श्री रोकड़े ने कहा कि पूर्व राजा हो या महाराजा के वंशज वे किसी भी कीमत में शिक्षित युवाओं को आगे बढ़ने देना नही चाहते. पूर्व राजा एवं महाराजा के वंशज लोकतांत्रिक सरकार में हस्तक्षेप बनाए रखते है तथा वे शिक्षित युवाओं की प्रगति में बाधक बने हुए है.

इन्होंने लिया संकल्प

कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सम्यक अभियान के प्रांतीय समन्वयक शैलेंद्र श्रीवास्तव ने अभियान के उद्देश्य पर प्रकाश डाला.   सम्यक अभियान के  बालाघाट क्षेत्र के समन्वयक शेषराम राहंगडाले, परसवाड़ा  क्ष्रेत्र के कोऑर्डीनेटर उदय सिंह नगपुरे, कटंगी क्षेत्र के कोऑर्डीनेटर देवराज भोयर व वारासिवनी क्षेत्र के कोऑर्डीनेटर लोमहर्ष बिसेन व जिला समन्वयक जुगल शर्मा ने कांफ्रेंस में युवाओ को सम्मानजनक प्लेसमेंट के अवसर दिलाने के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया. अभियान की लांजी क्षेत्र की कोऑर्डीनेटर श्रीमती रचना लिल्हारे ने कांफ्रेंस मंच का संचालन किया तथा कांफ्रेंस की शुरुआत सम्यक गीत से हुई.  


Web Title : RESOLVE TO REVERSE GOVERNMENT POLICIES AND PROVIDE OPPORTUNITIES TO YOUTH, SAYS IDEOLOGUE BHASKARRAO ROKADE AT SAMYAK ABHIYAN CONFERENCE