कभी 30 तो कभी 20 किलोमीटर पैदल चलकर हैदराबाद से मासुम बच्चों के साथ बालाघाट पहुंचे मजदूर

बालाघाट. जिले के आदिवासी क्षेत्र झामुल और कचनारी के मजदूर हैदराबाद भवन निर्माण का कार्य करने होली के पहले गये थे. जिसके बाद कोविड-19 से निपटने किये गये लॉक डाउन के बाद काम धंधा बंद होने और खाने लिए राशन और जरूरतों का सामान खत्म होने के कारण वह 10 दिन पहले हैदराबाद से पैदल अपने गृहग्राम की ओर निकले. इस दौरान 6 साल, 4 साल और डेढ़ साल के मासुम बच्चों को गोदी और कंधे पर लादकर मजदूर कभी 30 किलोमीटर तो कभी 20 किलोमीटर का पैदल सफर तय करते हुए गत दिवस दोपहर को बालाघाट पहुंचे थे.  

बालाघाट पहुंचे मजदूर नारायण पांचे और हेमलाल पांचे ने बताया कि वहां ठेकेदार और बिल्डर हमें छोड़कर चला गया था. कुछ दिनों तक खाने के लिए राशन और जरूरत की सामग्री थी तो वह वहीं रहे लेकिन उसके खत्म होने के बाद परिवार को भुख की चिंता सताने लगी. जहां उन्हें कोई मदद नहीं मिलने पर उन्होंने पैदल ही वहां से निकलने की तैयारी की. इस दौरान कुछ दूरी तक उन्हें वाहन मिले लेकिन अधिकांश सफर पैदल ही तय करना पड़ा. गत दिवस वह रजेगांव होते हुए बालाघाट पहुंचे. यहां उन्हें बस स्टैंड स्थित यात्री प्रतीक्षालय में ठहराया है. उन्होंने बताया कि हमारा स्वास्थ्य परीक्षण भी हो गया है. अब हमें प्रशासन हमारे घर तक छुड़वा दे, ताकि सफर की थकावट से उन्हें आराम मिल सकें. उन्होंने बताया कि यहां यात्री प्रतिक्षालय में उनका मन नहीं लग रहा है और छोटे-छोटे बच्चे के अलावा रात में उन्हें मच्छरों से भी परेशान होना पड़ रहा है.


Web Title : SOMETIMES 30, SOMETIMES 20 KILOMETRES, THE LABOURERS REACHED BALAGHAT WITH MASUM CHILDREN FROM HYDERABAD.