यौमे आशुरा आज: याद किये जायेंगे इमाम हुसैन और उनके 72 जानिसार

बालाघाट. इस्लामी साल का पहला महिना, मोहर्रम जिसकी 10 तारीख को याने की आज 17 जुलाई को यौमे आशुरा का दिन है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आशुरा के दिन का ऐतिहासिक महत्व है. यौमे आशुरा इस्लामिक तारीख के मुताबिक बहुत ही फजीलत और अजमत वाला दिन है, क्योंकि यौमे आशुरा के दिन ही हजरत आदम की दुआयें कबूल हुई, इसी दिन हजरत नूह की कश्ती जूदी पहाड़ी के किनारे लगी. इसी दिन हजरत इब्राहिम पर आग, गुलजार हुई और इसी दिन हजरत ईसा आसमान पर उठा लिए गए तथा इसी दिन हजरत ईमाम हुसैन और उनके 72 जानिसार की कर्बला में शहादत हुई थी.

प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी मस्जिदो और घरो में यौमे आशुरा का पर्व मनाया जाएगा. जिसके तहत मस्जिदो और घरो में विशेष नमाज अदा की जायेगी और दुआये मांगी जायेगी. बालाघाट मुख्यालय के जामा मस्जिद और विभिन्न मस्जिदो में सुबह 10 बजे यौमे आशुरा की विशेष नमाज अदा की जाएगी और आशुरे की दुआ भी पढ़ी जाएगी.  यौमे आशुरा के रोजे का भी अत्यंत महत्व हैं. इसलिए मुस्लिम धर्मावलंबी रोजे का ऐहतेमाम करते है और शहीदाने कर्बला की याद में शरबत तथा खिचड़ा सहित लंगर का भी जगह-जगह इंतजाम किया जाता है.

गौरतलब हो कि मोहर्रम माह के एक तारीख से लेकर 10 तारीख तक शहर की जामा मस्जिद में धर्मगुरू द्वारा धर्मावलंबियों को शहीदाने कर्बला और हजरत ईमाम हुसैन की जीवनी से जुड़ी तकरीर दी जा रही है.   मुस्लिम धर्म की मान्यता अनुसार यौमे आशुरा का पर्व परंपराओं एवं मान्यताओं के अनुसार हजरत ईमाम हुसैन के चाहने वाले अलग-अलग तरीकों से भी मनाते हैं, बहरहाल आशुरे के दिन को पूरी दुनिया में विशेष रूप से हजरत ईमाम हुसैन की याद के रूप में ही मनाया जाता हैं, जिन्होंने इस्लाम की शरियत के खिलाफ उठने वाली सभी याजिदरूपी आवाजो को हमेशा के लिए बंद करने में अपनी शहादत दे दी. जिनके साथ परिवार के 6 माह के बच्चे अली असगर सहित 72 जानिसार शहीद हुए थे.  


Web Title : YAUME ASHURA TODAY: IMAM HUSSAIN AND HIS 72 JANISSARIES WILL BE REMEMBERED