विश्व वानिकी दिवस पर ग्रीन लाइफ की ओर से लगाए गए पौधे

झरिया: विश्व वानिकी दिवस (International Day of Forests) पर शनिवार को ग्रीन लाइफ अभियान के तहत पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से भाग रेलवे स्टेशन के नजदीक पीपल व बरगद के पौधे लगाए गए. साथ ही, बच्चों ने पौध संरक्षण का संकल्प लिया.

पौधारोपण करना समय की मांग: डॉ मनोज सिंह

ग्रीन लाइफ के संयोजक डॉ मनोज सिंह ने कहा कि पूरे विश्व का पर्यावरण आज खतरे में है. जंगलों का क्षेत्रफल घट रहा है. कंक्रीट का जाल बिछाया जा रहा है. डॉ मनोज ने कहा कि अब बरगद व पीपल जैसे पौधे लगाने की आवश्यकता है, जो दिन-रात ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं.

      कृषि विश्वविद्यालय में अध्ययनरत दीपक कुमार सिंह ने कहा कि दूषित पर्यावरण का ही नतीजा है कि हम विभिन्न संक्रमण से ग्रसित हो रहे हैं.

        मौके पर ग्रीन लाइफ के गिरीजा प्रसाद, दीपक कुमार सिंह, अनिकेत कुमार, दिवेश कुमार सिंह,  रंजीत कुमार, विकास कुमार, राजीव कुमार, सुमित कुमार, आकाश कुमार आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे.

क्या है विश्व वानिकी दिवस

यह प्रतिवर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है. विश्व वानिकी दिवस पहली बार वर्ष 1971 ई. में इस उद्देश्य से मनाया गया था कि दुनिया के तमाम देश अपनी मातृभूमि की मिट्टी और वन-सम्पदा का महत्व समझें तथा अपने-अपने देश के वनों और जंगलों का संरक्षण करें. विश्व वानिकी दिवस का उद्देश्य है कि विश्व के सभी देश अपनी वन-सम्पदा की तरफ ध्यान दें और वनों को संरक्षण प्रदान करें. भारत में भी वन-सम्पदा पर्याप्त रूप से है. भारत में 657. 6 लाख हेक्टेयर भूमि (22. 7 %) पर वन पाए जाते हैं. वर्तमान समय में भारत 19. 39 % भूमि पर वनों का विस्तार है और छत्तीसगढ़ राज्य में सबसे ज्यादा वन-सम्पदा है उसके बाद क्रमश: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य में. भारत सरकार द्वारा सन 1952 ई. में निर्धारित राष्ट्रीय वन नीति के तहत देश के 33. 3 % क्षेत्र पर वन होने चाहिए. लेकिन, वर्तमान समय में ऐसा नहीं है. वन-भूमि पर उद्योग-धंधों तथा मकानों का निर्माण, वनों को खेती के काम में लाना और लकड़ियों की बढती माँग के कारण वनों की अवैध कटाई आदि वनों के नष्ट होने के प्रमुख कारण है. इसलिए अब समय आ गया है कि देश की राष्ट्रीय निधि को बचाए और इनका संरक्षण करें. हमें वृक्षारोपण (पेड़-पौधे लगाना) को बढ़ावा देना चाहिए. इसके सम्बन्ध में प्रसिद्ध पर्यावरणविद कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने कहा था कि -वृक्षों का अर्थ है जल, जल का अर्थ है रोटी और रोटी ही जीवन है.