मान्यता की शर्तों को सरलीकरण करने समेत 8 सूत्री मांगों को लेकर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का प्रतिनिधि मंडल DC से मिला

धनबाद. निजी विद्यालयों को मान्यता देने समेत 8 सूत्री मांगो को लेकर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल शुक्रवार को डीसी से उनके आवास पर मिला. 8 सूत्री मांगों में निजी विद्यालयों को मान्यता देने हेतु जमीन की बाध्यता खत्म हो, शिक्षा संबंधी सुविधा, शिक्षा के परिणाम एवं शिक्षा के गुणवत्ता के आधार पर मान्यता देना, आरटीआई 2009 की नियमावली से पूर्व के निजी विद्यालयों को बिना शर्त मान्यता दिया जाना, मान्यता की नियमावली का सरलीकरण करके शिक्षा का औधोगिकीकरण से बचाना आदि मांगे शामिल है. एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रंजीत कुमार मिश्रा ने उपायुक्त को अवगत कराया कि धनबाद सहित पूरे झारखंड में गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय की संख्या लगभग 22 हजार है. जिसमे कार्यरत शिक्षक शिक्षिकाओं की संख्या 4 लाख 40 हजार तथा सहायक कर्मचारियों की संख्या 1 लाख 15 हजार है. ऐसे में शर्तो को पूरा नही करने पाने की स्थिति में निजी विद्यालयों के बंद होने से वे सभी 5 लाख 55 हजार शिक्षक, कर्मचारी बेरोजगार होंगे जिनके समक्ष भुखमरी की स्थिति बनेगी. इन सभी निजी विद्यालयों में अल्पसंख्यक, गरीब, जरूरतमंद वर्ग से आने वाले पतिवार के बच्चे महज डेढ़ सौ से साढ़े तीन सौ में शिक्षा ग्रहण करते है. स्कूल बंद होने से लाखों गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2011 में प्राथमिक शिक्षा निदेशालय रांची के आदेशानुसार आरटीआई के तहत कक्षा 8 तक के मान्यता के लिए प्रपत्र 1 भरकर डीएसई कार्यालय में जमा किया गया. आज 8 वर्षो में भी मान्यता नही मिली. मान्यता की शर्तें सरलीकरण होनी चाहिए. शहरी क्षेत्र में 75 डिसमिल और ग्रामीण क्षेत्र में 1 एकड़ जमीन होने के बाद ही स्कूल को मान्यता मिलेगी. इस शर्त को पूरा करने में सभी विद्यालय प्रबंधन असमर्थ है. इधर प्रतिनिधि मंडल की मांगों को गम्भीरता से लेते हुए आवश्यक कार्यवाही किये जाने की दिशा में उपायुक्त ने आश्वस्त कराया.