भूली हॉल्ट इलाके में छाया सुनसान सा सन्नता, मलबे में खोज रहे बीते कल की यादे

भूली.   भूली हॉल्ट के आसपास रेलवे और जिला प्रशासन के नोटिस के बाद लोग स्वेच्छा से  अपना अतिक्रमण हटाने को मजबूर हुए है. जंहा कल दुकानों की चहल पहल थी आज वंहा सुनसान का सन्नाटा है. हर तरफ हृदयविदारक दृश्य दिल को झकझोर दे रहा है.

कंही कोई बुजुर्ग अपने आशियाने के टुकड़े समेटने में लगा है. कंही कोई  महिला आखों में आंसू लिए अपने टूटे हुए रोजगार के बाद कल को लेकर माथा पीट रही. कंही का नजारा तो ऐसा है कि जिन हाथों में कॉपी किताब होनी चाहिए, उन्हें तो मालूम भी नही की अतिक्रमन होता क्या है वो भी अपने टूटे आशियाने के मलबे से अपने जरूरत के सामान समेटता दिख रहा है.

इनके लिए यह कोई त्रासदी से कम नही है. प्रशासन तो घर दुकान तोड़कर चली गयी लेकिन नींद उन्हें भी नही आई जिसका रोजगार और आशियाना चला गया बल्कि उन्हें भी चिंता सताती रही जिनका आगे वही हश्र होने वाला है. एक बच्ची से पूछा गया गया कि अब आगे क्या करना है तो उसका यही जवाब था कि यंही अंडा बेचकर मां हमारी जरूरत पूरा करती थी अब क्या होगा उन्हें भी मालूम नही है.

कुछ दुकानदारों ने दबे स्वर में कहा कि लोगो ने विकास के रास्ते मे नही आकर बिना किसी विरोध के अतिक्रमण हटा लिए लेकिन प्रशासन  को बिना किसी स्थायी व्यवस्था के क्या ऐसा करना चाहिए था. अतिक्रमण हटाने के बाद भी जिला प्रशासन ने कोई रास्ता नही निकाला नही कोई जनप्रतिनिधि मुंह दिखाने आया. इस बात से लोगो मे काफी निराशा है कि विकास का दावा करने वाली सरकार इनके रोजगार और आशियाना छीन जाने के बाद चुप्प क्यो है क्या इसी दिन के लिए उन्होंने उन्हें अपना कीमती वोट देकर चुना था.  


सीता राणा-(जिलाध्यक्ष महिला कांग्रेस)- इस सरकार के लिए गरीबो से रोजगार और छत छीनना ही विकास है. विकास जरूरी है लेकिन गरीबो के लिए छत और जीने के लिए रोजगार ज्यादा जरूरी है. लोगो की चुप्पी को भय नही समझे जनप्रतिनिधि. आने वाले विधानसभा चुनाव में ये पीड़ित बोलेंगे.  

लक्ष्मी देवी (समाजसेवी) - बिना किसी स्थायी व्यवस्था के यह कार्रवाई सरासर गलत है. उससे भी गलत है कि कोई भी जनप्रतिनिधि उनके आंसू पोछने नही आये. प्रशासन और रेलवे हटाने से पहले इन गरीबो के लिए कोई स्थायी व्यवस्था करे.  

गंगा बाल्मीकि (जिला महासचिव कांग्रेस)  -  सरकार को पहले इनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी. एकाएक लोगो से रोजी रोटी छीनना किसी तरह सही नही है. अगर उनके लिए कोई व्यवस्था हो जाती तो वे सभी वंहा कमा खा सकते.