ARTICLE 370- मोदी सरकार के फैसले को अब्दुल्ला की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

ARTICLE 370: जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने से संबंधित राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देते हुए नेशनल कांफ्रेंस ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. पार्टी के नेता मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति के आदेश को जम्मू-कश्मीर में ‘‘असंवैधानिक, अमान्य एवं निष्प्रभावी’’ घोषित करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को भी ‘‘असंवैधानिक’’ घोषित करने की मांग की है. बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का यह रुख ऐसे वक्त में सामने आया है जब जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के सरकार के कदम पर बड़ी संख्या में कश्मीरी नागरिकों ने नाखुशी जताई है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि फैसला मुख्यधारा के राजनीतिक दलों और अलगाववादियों के बीच रेखा को धुंधला करता है और उन्हें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय उनके अधिकार वापस दिलाएगा. घाटी, खासकर श्रीनगर के लोग इस फैसले के खिलाफ सभी वर्गों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को लामबंद कर रहे हैं. उनका मानना है कि भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए यह फैसला किया गया है.

कारोबारी ऐजाज भट्ट ने पीटीआई से कहा, ‘‘अब यह पीडीपी, नेशनल कान्फ्रेंस या हुर्रियत की बात नहीं है. यह कश्मीर, कश्मीरियत और इस जगह के मुस्लिम बहुल स्वरूप की बात है. हमें घाटी की जनसांख्यिकी बदलने की भाजपा की सोच को हराने के लिए एकजुट होना होगा. ’’

उन्होंने कहा कि राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटना और अनुच्छेद 370 के प्रावधान समाप्त करना ‘पीठ पर छुरा घोंपने और धोखा देने’ के समान है. भट्ट ने कहा, ‘‘भारत सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर की जनता को बार बार भरोसा दिलाया कि जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को छेड़ने या राज्य को विभाजित करने का कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. ’’

कुछ स्थानीय सिख भी घटनाक्रम से खुश नहीं लगते. सेवानिवृत्त सरकारी शिक्षक मोहिंदर सिंह ने कहा, ‘‘भारत समर्थक और अलगाववादी समर्थकों के बीच कोई अंतर नहीं रहा. राज्य की विशेष पहचान बचाने के लिए वे सब एकजुट हो गये हैं. ’’उन्होंने कहा कि इस फैसले ने राज्य के अनेक समुदायों के बीच की खाई को बढ़ा दिया है.

सिंह ने कहा, ‘‘पहले विवाद कश्मीर घाटी तक सीमित था, अब हम सुन रहे हैं कि करगिल के लोग लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश में नहीं रहना चाहते. ’’सरकार ने पर्यटकों और अमरनाथ यात्रियों को वापसी में मदद की है लेकिन घाटी में रोजीरोटी कमाने आए हजारों प्रवासी मजदूरों को उनके घर वापस जाने में कठिनाई आ रही है. बिहार से आये श्रमिक गोविंद कुमार और बद्री ने इसी तरह की समस्या बताई.

Web Title : ARTICLE 370 ABDULLAHS PARTY CHALLENGES MODI GOVERNMENTS DECISION IN SUPREME COURT

Post Tags: