नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की नजरें अब बहुजन समाज पार्टी के सांसदों पर लगी हुई हैं. भाजपा अब बसपा के कम से कम 6 सांसदों को तोड़कर अपने खेमे में करने की फिराक में हैं. बसपा के पास कुल 10 सांसद हैं, जिनमें से 6 सांसदों के एक साथ पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होने पर दलबदल कानून लागू नहीं होगा. बसपा के कुल 10 सांसदों में से तीन सांसद मुस्लिम हैं, जिनके भाजपा में जाने की संभावना बहुत कम है. लेकिन अन्य सांसद पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन सकते हैं, जिससे बसपा का मनोबल टूट जाएगा. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. ये सीटें यहां के विधायकों के सांसद चुन लिए जाने के बाद खाली हुई हैं. इन बारह सीटों में से दस सीटें भाजपा के खाते की हैं. इसलिए भारतीय जनता पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है. जिससे एक सकारात्मक संदेश दिया जा सके कि पार्टी की छवि में लगातार सुधार हो रहा है और सूबे में योगी आदित्यनाथ की अगुआई में सरकार बेहतर तरीके से काम कर रही है, जिस पर राज्य की जनता मुहर लगा रही है. विधानसभा की जो 12 सीटें खाली हुई हैं, उनमें से दस सीटें तो भाजपा के कब्जे वाली हैं और एक-एक सीट बसपा और सपा के खाते की हैं. समाजवादी पार्टी की रामपुर वाली सीट से आजम खान विधायक थे, जिनके सांसद चुने जाने के बाद यह खाली हुई है. इस सीट पर जीत दर्ज करना सपा के लिए नाक का सवाल है. माना तो यह जा रहा है कि इस सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव लड़ेंगी. वहीं, उनके खिलाफ भाजपा से पूर्व सपाई और वर्तमान में भाजपा जयाप्रदा चुनावी जंग में उतरेंगी. इसके अलावा रामपुर के आजम खान का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस समय आजम खान को विलेन बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है. इसलिए यह सीट सपा के लिए नाक का सवाल बन गई है. वहीं, एक सीट बसपा के खाते की है, जहां से रीतेश पांडेय सांसद चुने गए हैं. भाजपा की नजरें इन सीटों पर भी गड़ी हुई हैं. बहुजन समाज पार्टी अबकी बार उपचुनाव में उतरने जा रही है. इसके पहले बसपा कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ती थी. इसलिए भाजपा अब बसपा को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. माना यह जा रहा है कि भाजपा सभी सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है. इसलिए सपा-बसपा को पूरी तरह से कमजोर करने में जुटी हुई है. इसके पूर्व यह कहा जा रहा था कि सपा-बसपा गठबंधन भी भाजपा की वजह से ही टूटा है. बहुजन समाज पार्टी के दस सांसदों में तीन मुस्लिम हैं, जिनके नाम हैं-अफजाल अंसारी, दानिश अली और हाजी फजलुर्रहमान. अफजाल अंसारी गाजीपुर से भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को चुनाव में मात देकर सांसद चुने गए हैं. कुंवर दानिश अली अमरोहा से सांसद चुने गए हैं. फजलुर्रहमान सहारनपुर से सांसद हैं. इन सांसदों को पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में जाने की संभावना बहुत कम है. इसके अलावा बसपा के सात और सांसद हैं, जिनके नाम हैं-संगीता आजाद, जो लालगंज से सांसद हैं. गिरीश चंद्र, जो नगीना (सुरक्षित) सीट से सांसद चुने गए हैं. मलूक नागर-सांसद बिजनौर, रीतेश पांडेय-सांसद अंबेडकरनगर, शिरोमणि राम-सांसद श्रावस्ती, अतुल कुमार सिंह-सांसद मऊ और श्याम सिंह यादव-सांसद जौनपुर. श्याम सिंह यादव बसपा संसदीय दल के नेता भी हैं. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का भविष्य बहुत उज्जवल नहीं है. लिहाजा बसपा सासंदों में सत्ता का लाभ लेने का स्वार्थ जागृत हो सकता है. इसके अलावा कुछेक सांसदों पर अपाराधिक मामले भी दर्ज हैं, जिसके लिए वो बसपा छोड़कर भाजपा का दामन थामने के लिए लॉबिंग कर सकते हैं.