गृह मंत्रालय का राज्यों को निर्देश- ऑक्सीजन की मूवमेंट पर नहीं लगाएं किसी तरह की रोक

देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत से बदहाल कोविड-19 मरीजों के बीच दो राज्यों के टकराव के चलते केन्द्र सरकार को सामने आना पड़ा है. केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को साफ निर्देश दिए कि राज्यों के बीच ऑक्सीजन की मूवमेंट में किसी तरह को कोई रोक नहीं लगाई जाएगी. इसके साथ ही, गृह मंत्रालय ने कहा कि परिवहन प्राधिकरणों (स्टेट अथॉरिटीज) को कहा जाएगा कि वे ऑक्सीजन लेकर जा रही गाड़ियों को अंतरराज्यीय मूवमेंट को फ्री करें.

इससे पहले दिल्ली समेत कई राज्यों ने अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी को लेकर केन्द्र से इसकी सप्लाई बढ़ाने की मांग की थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह आरोप लगाया कि दो पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश से दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई रोकी जा रही है. दूसरी तरफ दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस पूरे मामले में केन्द्र से दखल देने की मांग की थी.

ऑक्सीजन की कमी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में कोरोना की मौजूदा स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है. सुप्रीम कोर्ट ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति और टीकाकरण के तरीकों से जुड़े मुद्दों पर राष्ट्रीय नीति चाहता है. कोर्ट ने कहा कि कोविड संबंधित मुद्दों पर छह अलग-अलग हाईकोर्ट का सुनवाई करना किसी तरह का भ्रम पैदा कर सकता है.

चीफ जस्टि एस ए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस आर भट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि वह देश में कोविड-19 टीकाकरण के तौर-तरीके से जुड़े मुद्दे पर भी विचार करेगी. पीठ ने कहा कि वह वैश्विक महामारी के बीच लॉकडाउन घोषित करने की उच्च न्यायालयों की शक्ति से जुड़े पहलू का भी आंकलन करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 प्रबंधन पर स्वतं: संज्ञान के मामले में उसकी मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त किया है. कोर्ट अब इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगा.  



   


Web Title : HOME MINISTRY DIRECTS STATES NOT TO IMPOSE ANY BAN ON MOVEMENT OF OXYGEN

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