ट्रेनों को हादसे से बचाता है ‘कवच’, आइए जानें इसके बारे में सबकुछ

ओडिशा के बालेश्वर में हुई ट्रेन दुर्घटना में अब तक 290 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और करीब 1000 से अधिक लोग घायल हैं. जिनका इलाज जारी है. इस हादसे के बाद से लगातार ट्रेन की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं.  

वहीं, विपक्ष भी मोदी सरकार पर लगातार सवाल सवाल उठा रहा है. सवाल रेलवे की उस तकनीक को लेकर है, जिसका डेमो कुछ वक्त पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा दिखाया गया

विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है और रेलवे के कवच प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठा रहा है. इस कवच प्रोजेक्ट को रेलवे ने जीरो एक्सीडेंट टार्गेट हासिल करने के लिए लॉन्च किया था. हालांकि, रेलवे की कवच टेक्नोलॉजी को सभी ट्रैक पर अभी तक नहीं जोड़ा गया है.  

रेलवे के स्पोकपर्सन अमिताभ शर्मा ने जानकारी दी है कि इस रूट पर कवच सिस्टम नहीं लगा था.   इसका एक डेमो इस साल की शुरुआत में भी दिखाया गया था, जिसमें आमने-सामने आने पर दो ट्रेनें अपने आप रुक जाती हैं.

कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था. उस वक्त इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था.

इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था. पिछले साल इसका लाइव डेमो भी दिखाया गया था.

दरअसल, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Rail Minister Ashwini Vaishnaw) ने बीते दिनों राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि भारतीय रेलवे ने दुर्घटना रोकने के लिए एक प्रणाली ‘कवच’ को चरणबद्ध तरीके से देशभर में लागू किया है जिसकी मदद से ट्रेनों की टक्कर को रोका जा सकता है.

जानकारी के मुताबिक रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ने दक्षिण मध्य रेलवे पर 1,455 रूट किलोमीटर पर कवच लगा दिया है और बाकी काम चल रहा है.

बता दें कि रेल पटरियों पर होने वाले हादसों को रोकने के लिए रेलवे बोर्ड ने 34,000 किलोमीटर रेल मार्ग के साथ कवच तकनीक को मंजूरी दी थी, जिसके तहत लक्ष्य रखा गया था कि मार्च 2024 तक सबसे ज्यादा बिजी रहने वाली ट्रेन लाइनों पर कवच लगा दिया जाएगा.

ये कवच ट्रेन के आमने-सामने आने पर कंट्रोल कर उसे पीछे ले जाता है और इसके जरिए यदि लोको पायलट ब्रेक लगाने में फेल हो जाता है तो इस प्रणाली से स्वचलित रूप से ब्रेक लग जाते हैं.

ये सिस्टम कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस (How Kavach Works) का सेट है. इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइसेस को ट्रेन, ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है. ये सिस्टम दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है.  

जैसे ही कोई लोको पायलट किसी सिग्नल को जंप करता है, तो कवच एक्टिव हो जाता है. इसके बाद सिस्टम लोको पायलट को अलर्ट करता है और फिर ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल हासिल कर लेता है. जैसे ही सिस्टम को पता चलता है कि ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है, तो वो पहली ट्रेन के मूवमेंट को रोक देता है. सिस्टम लगातार ट्रेन की मूवमेंट को मॉनिटर करता है और इसके सिग्नल भेजता रहता है.

अब इस पूरी प्रक्रिया को आसान भाषा में समझते हैं. इस टेक्नोलॉजी की वजह से जैसे ही दो ट्रेन एक ही ट्रैक पर आ जाती हैं, तो एक निश्चित दूरी पर सिस्टम दोनों ही ट्रेनों को रोक देता है.

अगर दावों की मानें तो जब कोई ट्रेन सिग्नल जंप करती है, तो 5 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी ट्रेनों की मूवमेंट रुक जाएगी.  दरअसल, इस कवच सिस्टम को अभी सभी रूट्स पर इंस्टॉल नहीं किया गया है. इसे अलग-अलग जोन में धीरे-धीरे इंस्टॉल किया जा रहा है.

शुक्रवार की शाम को एक ट्रेन अप (odisha train accident) से आ रही थी दूसरी डाउन से आ रही थी. वहीं एक पटरी पर मालगाड़ी वहीं पर खड़ी थी.  कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर कर मालगाड़ी से टकराई. जिसके बाद घटनास्थल पर अफरातफरी मच गई.

वहीं, दूसरी तरफ से डाउन गाड़ी शालीमार एक्सप्रेस आ रही थी. वो पीछे से टकराई. उसके दो डिब्बे भी पटरी से उतर गए. चारों तरफ अफरातफरी मची हुई थी. जिसके बाद मौके पर स्थानीय लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. स्थानीय लोगों ने हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए भर्सक प्रयास किए. पूरी रात घटनास्थल पर बचाव कार्य जारी रहा.

कवच का उपयोग करने के क्या है फायदे?


अगर कोई ट्रेन रेड सिग्नल या दूसरी ट्रेन के बहुत करीब आ रही है तो कवच स्वचालित रूप से ब्रेक लगा सकता है. यह मानव त्रुटि के कारण होने वाली ट्रेन टक्करों को रोकने में मदद कर सकता है.

ट्रेन परिचालन दक्षता में करता है सुधार

कवच ट्रेनों को ओवर-स्पीडिंग से रोककर और टक्कर होने के खतरे को कम करके ट्रेन परिचालन दक्षता में सुधार करने में मदद कर सकता है. इससे यात्रा का समय कम हो सकता है और लागत कम हो सकती है.

यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ाता है

कवच ट्रेन की टक्कर के खतरे को कम करके यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने में मदद कर सकता है. यह उन यात्रियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्रा करते हैं.

कवच भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा सुधार है. इसमें जान बचाने और ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने की क्षमता है.

उस समय भारतीय रेलवे द्वारा नियोजित कुछ सुरक्षा प्रणालियाँ और उपाय थे:

 भारतीय रेलवे ट्रेन सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली (TPWS) और ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (TCAS) जैसी स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली को उत्तरोत्तर लागू कर रही है. ये प्रणालियाँ ट्रेन की गतिविधियों की निगरानी और गति प्रतिबंधों को लागू करके टकराव और सिग्नल ओवरशूटिंग को रोकने में मदद करती हैं.

 ACD लोकोमोटिव पर स्थापित उपकरण हैं जो टकराव को रोकने के लिए GPS और रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक का उपयोग करते हैं. वे संभावित टक्कर होने के खतरे के समय ट्रेन चालक दल को ऑडियो और विजुअल चेतावनी देते हैं.

 आग या धुएं की घटनाओं के बारे में अधिकारियों को पहचानने और सतर्क करने के लिए ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों में फायर और स्मोक डिटेक्शन सिस्टम स्थापित किए जाते हैं. ये सिस्टम किसी भी संभावित खतरे को रोकने या कम करने के लिए समय पर कार्रवाई शुरू करने में मदद करते हैं.

 भारतीय रेलवे सुरक्षा बढ़ाने और गतिविधियों की निगरानी के लिए स्टेशनों, ट्रेनों और महत्वपूर्ण स्थानों पर CCTV कैमरों के उपयोग का विस्तार कर रहा है. ये कैमरे यात्रियों की सुरक्षा में सुधार करते हुए प्लेटफार्मों, स्टेशनों और ट्रेनों की निगरानी में मदद करते हैं.

सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पटरियों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे के तत्वों का नियमित रखरखाव और निरीक्षण महत्वपूर्ण है. भारतीय रेलवे समय-समय पर निरीक्षण करता है और किसी भी रखरखाव आवश्यकताओं को तुरंत पहचानने और संबोधित करने के लिए अल्ट्रासोनिक परीक्षण, ट्रैक ज्यामिति माप प्रणाली और हवाई सर्वेक्षण जैसी विभिन्न तकनीकों का उपयोग करता है.



Web Title : KAVACH PROTECTS TRAINS FROM ACCIDENTS, LETS KNOW EVERYTHING ABOUT IT

Post Tags: