कश्मीर में शांति और ममता को नजर आ रहा है मानवाधिकार उल्लंघन

नई दिल्ली : अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं. शुक्रवार को घाटी में दफ्तरों को खोल दिया गया और आज स्कूल भी खोल दिए गए हैं. पिछले पांच अगस्त से आज तक हिंसा की एक भी खबर नहीं है. कश्मीर घाटी के किसी भी इलाके से गोली चलने की भी खबर नहीं है. लेकिन विपक्षी दलों का रोना जारी है. विपक्षी नेताओं की जुबां से निकले हुए शब्दों पर पाकिस्तानी हुकूमत की भावना में कोई खास फर्क नहीं है. अब ऐसे में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का एक बयान ध्यान देने के लायक है.  

ममता बनर्जी का कहना है कि आज विश्व मानवाधिकार दिवस है. लेकिन कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. आइए हम लोग कश्मीर में मानवाधिकारों और शांति के लिए दुआ करें.  

ममता बनर्जी कहती हैं कि मानवाधिकार का विषय दिल के करीब है. 1995 में जेलों में हुई मौत के संबंध में वो सड़कों पर 21 दिन के लिए उतरी थीं और सरकारी मशीनरियों के दमन के खिलाफ आवाज उठाईं थीं.

 सवाल ये है कि कश्मीर के विषय पर राजनेता सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं या उनके आरोपों के पीछे ठोस आधार है. अगर कोई सरकार अपने आंकड़ों को सही ठहरा देती है तो वही सरकार दूसरी सरकारों के आंकड़ों में कमी कैसे ढूंढ लेती है. जहां तक जम्मू-कश्मीर की बात है कि शासन का मानना है कि कश्मीर घाटी में हालात सामान्य है. चरण बद्ध तरीके से आधुनिक संचार के साधनों में भी ढील दी जा रही है. जम्मू और कश्मीर में दफ्तरों को पहले ही खोल दिया गया है और सोमवार को स्कूल भी खुल चुके हैं.  

जम्मू-कश्मीर के प्रिसिंपल सेक्रेटरी ने कहा था कि पांच अगस्त से लेकर आज की तारीख में हिंसा की खबर नहीं है. गोली चलाना तो दूर की बात है कि टीयर शेल का इस्तेमाल नहीं किया गया. ईद की नमाज शांतिपूर्ण तरीके से अदा की गई. यही नहीं 15 अगस्त को पूरे राज्य में उत्साह का माहौल था. ऐसे में प्रश्न ये है कि विपक्षी दल शुतुरमुर्गों जैसा रवैया क्यों अपनाए हुए हैं

Web Title : PEACE AND MAMATA IN KASHMIR SEE HUMAN RIGHTS VIOLATIONS

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