विनोद सिंह हत्याकांड में रामधीर को आजीवन कारावास

धनबाद : जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम निकेश कुमार सिंह की अदालत ने ट्रेड यूनियन लीडर सकलदेव सिंह के भाई विनोद सिंह की हत्या के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी रामाधीर सिंह को धारा 302 एवं 20 आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

फैसला सुनाए जाने के वक्त रामधीर सिंह अदालत में उपस्थित नहीं थे.

इससे पूर्व कोर्ट ने सजा की तिथि 16 अप्रैल निर्धारित की थी, लेकिन उस दिन भी रामाधीर कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए.

हत्याकांड पर अदालत ने 9 अप्रैल को अपना फैसला सुनाया था.

उस दिन हत्याकांड के एक अन्य आरोपी बच्चा सिंह को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने रिहा कर दिया था.

उसी दिन कोर्ट ने 16 अप्रैल की तिथि निर्धारित की थी.

16 अप्रैल को रामाधीर कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो अदालत ने उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट निर्गत किया था.

वारंट के तामिला हेतु सरायढ़ेला पुलिस ने रामाधीर सिंह के आवास पर दबीश दी थी लेकिन वहां पर वह नहीं मिले.

बताते चलें कि कोयला व्यवसायी विनोद सिंह और उनके ड्राइवर मन्नू अंसारी की हत्या 15 जुलाई 1998 को कतरास के भगत सिंह चौक पर सुबह 8.30 बजे कर दी गई थी.

विनोद के भाई दून बहादुर सिंह के फर्द बयान पर बच्चा सिंह, रामधीर सिंह, राजीव रंजन सिंह के विरुद्ध कतरास थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

दो माह के तहकीकात के बाद अनुसंधान कर्ता रामनाथ तिवारी ने बच्चा सिंह, रामधीर सिंह, राजीव रंजन सिंह, शेर बहादुर सिंह व अनिल यादव के विरुद्ध 16 सितंबर 1998 को आरोप पत्र दायर किया था.

23 अप्रैल 2004 को आरोपियों के विरुद्ध आरोप गठित कर अदालत में सुनवाई आरंभ हुई थी.

लगातार 14 वर्षों तक चली सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से कुल 19 गवाहों का परीक्षण कराया गया.

विनोद सिंह हत्याकांड को सुप्रीम कोर्ट तक खींचा जा चुका है.

पहले इस मामले में विनोद सिंह के साथ मारे गए उनके ड्राइवर मन्नू अंसारी की हत्या का केस भी जुड़ा था.

बचाव पक्ष सुप्रीम कोर्ट तक गया.

Web Title : LIFE IMPRISONMENT TO RAMDHIR IN VINOD SINGH MURDER CASE