गोविंदपुर में उगाई जा रही उड़ीसी सहजन में है 300 रोगों के रोकथाम की क्षमता

धनबाद : धनबाद से 15 किमी दूर गोविंदपुर के रामपुर गांव में किसान चार एकड़ जमीन पर 2800 उड़ीसी सहजन पेड़ लगा कर इसका उत्पादन कर रहे हैं. 300 रोगों के रोकथाम की गुणवत्ता वाला उड़ीसी सहजन पेड़ की खासियत है कि यह एक साल में दो बार फल देता है.इन दिनों ये 120 रुपए किलो बिक रहा है, जबकि इसका बीज चार हजार रुपए प्रति किलो है.

आवश्यक पोषक तत्वों का है भंडार

एक बार कड़ाके की ठंड में दिसंबर व जनवरी और दूसरी बार भीषण गर्मी के समय मई के अंत और जून के महीने में यह फल देता है. इसके कारण लोग इसे अत्यधिक पसंद करते हैं. किसान ललन शर्मा बाजार में खुदरा कारोबारियों से अस्सी से सौ रुपए प्रति किलो बेच रहे हैं. जिसे कारोबारी बाजार में जाकर 120 रुपए किलो बेचते हैं. जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश कुमार मांझी कहते हैं कि उड़ीसी सहजन के पत्तियां, फूल-फल में आवश्यक पोषक तत्वों का भंडार है.

सब्जी बना कर खाने से शरीर को कई तरह के विटामिंस मिलते हैं. दर्जनों रोगों को दूर करता है. सहजन की खेती भारत के कई राज्यों में होती है. इसे मुनगा, सहजन सजना के नाम से भी जाना जाता है. उड़ीसी का बीज चार हजार रुपए प्रति किलो है. किसान इस बीज को नासिक के मनमार्ड से लेकर आए हैं. बीज को पहले हल्का गर्म पानी में दस मिनट के लिए डालते हैं. हर बीज अलग-अलग प्लास्टिक के ट्रे में कोको पीट डाल कर तैयार करते हैं.

पौधा तैयार होने के बाद उसे खेत में रोपते हैं. फिर पांच से छह महीने में छह से सात फीट लम्बे पेड़ होने पर फल आने लगते हैं. एक पेड़ एक साल में बीस किलो फसल देता है. लहसुन, अदरख, मिर्चा, अमरूद, आम आदि के पत्ते समेत गोबर गौ मूत्र से 40 दिनों में खाद को तैयार करते हैं. 5 लीटर खाद में 100 लीटर पानी मिला कर पौधों की जड़ों में डालते हैं.

वहीं कीटनाशक दवा गौ मूत्र, बेसन, गुड़ गोबर से 48 घंटा में तैयार करते हैं. आर्गेनिक खाद कीटनाशक दवा से पेड़ का नुकसान कम होता है और फल पौष्टिक होता है. रसायनिक खाद दवा से फल की पौष्टिकता खत्म हो जाती है. ललन शर्मा कहते हैं कि वे बीच-बीच में गुजरात, हरियाणा पंजाब जाकर ट्रेनिंग लेते हैं और वैज्ञानिक तरीके से खेती करते हैं. ताकि अधिक से अधिक उत्पादन कर सकें.

Web Title : UDISI DRUMSTICKS ABILITY TO PREVENT 300S DISEASES