नोटबंदी के बाद 10 दिनों में धनबाद की बैंकों में जमा हुए 500 करोड़

धनबाद : नोटबंदी के बाद 10 नवंबर से लेकर 19 नवंबर तक बंद हो चुके 500 और 1000 के नोटों की शक्ल में धनबाद के बैंकों में 113 धनकुबेरों ने विभिन्न बैंकों में 500 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जमा की. कुछ ने किश्तों में बैंकों में बंद हो चुके नोट जमा किए तो कई ने एकमुश्त राशि जमा की. इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिनके बैंक खातों में एक से लेकर छह माह तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ था.

जमा हुई राशि एक से लेकर छह करोड़ के बीच रही. बैंकों ने ऐसे खाताधारकों की सूची आयकर विभाग के पटना मुख्यालय स्थित जोनल हेडक्वार्टर को उपलब्ध करा दिया है. जोनल हेडक्वार्टर ने धनबाद आयकर प्रक्षेत्र को ऐसे खाताधारकों की छानबीन कर रिपोर्ट सुपुर्द करने का निर्देश दिया है, ताकि आयकर अधिनियम की धाराओं पर आगे की कार्रवाई की जा सके. निर्देश के आलोक में धनबाद प्रक्षेत्र के अनुसंधान विंग ने जांच आरंभ कर दी है.

संबंधित खाताधारकों का इनकम टैक्स रिटर्न निकाल उनकी स्क्रूटनी शुरू की गई है. आने वाले दिनों में कई अन्य लोगों के ठिकानों पर आयकर विभाग धावा बोलेगा. विभाग यह जानने की कोशिश करेगा कि नोटबंदी के फौरन बाद बंद हो चुके नोटों की खेप कहां से आई और उस राशि का जिक्र अपने रिटर्न में किया था या नहीं.

उच्चपदस्थ आयकर अधिकारियों ने पुष्टि की कि धनबाद में 100 से अधिक ऐसे खाताधारकों का ब्यौरा मिला है, जिन्होंने नोटबंदी के बाद एक करोड़ या उससे अधिक की राशि जमा कराई है. उनकी छानबीन शुरू कर दी गई है. दूसरी ओर बंद हो चुके 1000 और 500 के नोटों को स्वीकारने और उसकी आड़ में कमीशन का खेल का आयकर विभाग जांच कर ही रहा है, अब आयकर की राडार में गैस एजेंसियां भी गई हैं.

केंद्र सरकार ने गैस एजेंसियों को 15 दिसंबर तक ग्राहकों से 500 के नोट स्वीकार करने का निर्देश दिया था. लिहाजा गैस एजेंसियों ने इस छूट का कितना बेजा इस्तेमाल किया, इस बाबत विभागीय अधिकारियों को कुछ टिप्स मिले हैं. आयकर विभाग को इनपुट मिला है कि कई हवाला कारोबारियों और दलालों ने कोलकाता में फर्जी पतों पर संचालित फर्जी कंपनियों के जरिए धनबाद के सफेदपोशों के कालेधन को सफेद किया.

पुराने 500 और 1000 के नोटों को 20 से 30 फीसदी कमीशन पर एक्सचेंज किया गया. एक्सचेंज करने के लिए फर्जी कंपनियों के शेयर और लाभांश को दर्शाया गया. इनमें से कुछ के अलग-अलग बैंक खातों में किस्तों में चेकों के जरिए रकम हस्तांतरित की गई तो ज्यादा कमीशन पर बैंकों की मिलीभगत से 2000 के नए नोटों के साथ 100 के नोटों की शक्ल पर रकम मुहैया कराई गई.

धनबाद के बैंकों में एक करोड़ या उससे अधिक की रकम जमा कराने वालों में कई बिल्डर, पेट्रोल पंप मालिक, जौहरी, रियल इस्टेट कारोबारी, जमीन दलाल, कोल मर्चेंट, आउटसोर्सिंग कंपनियों के पदाधिकारी और हवाला का कारोबार करने वाले शामिल हैं. इनमें से कुछ ने अपने एक ही बैंक खाते में बड़ी रकम डाली तो कई ने विभिन्न बैंकों में खोले गए अलग-अलग खातों में किस्तों में रकम जमा कराई.

केंद्रीयकृत सर्वर के जरिए लीड बैंक ने इसका वितरण एकत्रित किया और आदेश के तहत उसे आयकर विभाग को उपलब्ध कराया. विभाग को सौंपे गए ब्योरे में खाताधारी का नाम, संबंधित बैंक शाखा वहां खुले खाते के नंबर, एड्रेस समेत अन्य जानकारियां मुहैया कराई गई हैं.

वहीं नोटबंदी के बाद बड़ी रकम को बैंक में जमा कर धनबाद के सोना-चांदी ज्वेलर्स और न्यू जौहरी बाजार के प्रोपराइटर फंस गए हैं. अब दोनों प्रोपराइटरों को लाखों की राशि में टैक्स आयकर विभाग को चुकाने होंगे. बैंकों से मिले इनपुट पर आयकर जांच में खुलासा हुआ कि इनप्रतिष्ठानों के प्रोपराइटर ने एक करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी की है.

 दोनों ही प्रतिष्ठानों पर गुरुवार की शाम तक सर्वे चलता रहा. सर्वे के दौरान भारी मात्रा में जेवरात के स्टॉक मिला है. खाता-बही में इस स्टॉक को दर्शाया नहीं गया था. छानबीन में यह बात भी सामने आई कि स्टॉक में हेरफेर करने के लिए रिकॉर्ड से भी छेड़छाड़ की गई. आयकर अधिकारियों के अनुसार, आरंभिक छानबीन में दोनों प्रतिष्ठानों के प्रोपराइटर ने टैक्स चोरी की बात कबूल करते हुए कर अदायगी का ऑफर दिया है. पूरे दस्तावेज की जांच के बाद साफ होगा कि टैक्स की रकम क्या होगी. 

Web Title : 500 CRORES ACCUMULATED IN DHANBAD BANKS AFTER NOTEBAN