जज्बे को सलाम, नन्हे कंधो पर उठाया घर का बोझ

बरवाअड्डा: जिंदगी संघर्षो का नाम है. इसी जिंदगी में कई बार ऐसे पड़ाव आते हैं, जहां सब कुछ रुका-रुका सा लगता है. लेकिन यदि खुद में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, कुछ कर दिखाने का जुनून हो तो सारी परेशानी अपने आप ही दूर हो  जाती है और सारी परेशानी उस साहस के आगे बौनी नजर आती है.

कुछ ऐसे ही जज्बे की तस्वीर बरवाअड्डा के बड़ा पिछड़ी गाँव में भी नज़र आई है. जंहा तीन बच्चो ने मुसीबतों के आगे अपने घुटने नहीं टेके बल्कि मुसीबतों के आगे सिर उठा कर खड़े हो गए है और अपने नन्हे कंधो पर घर का बोझ उठा लिया . गरीबी और महंगाई के तले दबे ये बच्चे न चाहते हुए भी कड़ी धुप में अपना पसीना बहाने को मजबूर है. बच्चो के पिता अशोक विश्वकर्मा सालों से लोहार मिस्त्री का काम करते हैं. लेकिन उम्र हो जाने के कारण वो ज्यादा देर काम को नहीं कर पाते थे और घर का खर्च चलाना भी मुश्किल होता है .

जिसे देखकर अशोक विश्वकर्मा के बच्चों और भतीजो को नहीं रहा गया और उन्होंने वो काम करने की ठान ली जिसे करने में अच्छे अच्छों के होसले पस्त हो जाए. नन्हे हाथो ने अपने हाथों में हथोडा थामकर लोहे के रुख के साथ अपने किस्मत के रुख को बदलने की कवायद में लग गए.

बच्चे पढाई के साथ अपने पिता के काम में भी हाथ बंटाने लगे. बच्चे रोजाना स्कूल से लौटने के बाद अपने पिता के काम में हाथ बंटाने दुकान पर पहुंचते है.और इनके जज्बे को देखकर लोग इनके हौसले को सलाम करते है

Web Title : HATS SPIRIT HOME BURDEN ON YOUNG SHOULDERS