हूल दिवस पर बीएसएस बालवाड़ी में समारोह का आयोजन

धनबाद : बीएसएस बालवाड़ी के प्रांगण में मंगलवार को हूल दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित करते हुए शिक्षक दिलीप कुमार कर्ण ने कहा कि भारत में  ब्रिटिश हुकूमत के अधीन महाजनी प्रथा और सरकार की बंदोबस्ती नीति के खिलाफ 30 जून 1855 को पहला विद्रोह हुआ था, जिसे संथाल हूल के नाम से भी जाना जाता है.

इस दिन 20 हजार संथाली लोग, अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए भोगनाडीह में जमा हुए थे.

इस क्रांति के अग्रदूत थे चार भाई सिदो, कान्हू, चांद और भैरव मुर्मू. यह हूल ब्रिटिश इतिहासकार हंटर के अनुसार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उग्र क्रांतियों में से एक था, जिसमें 20 हजार संथाली शहीद हुए थे.

कहा जाता है कि सिदो मुर्मू को अंग्रेज पुलिस ने पकड़ लिया और कान्हू एक एनकाउंटर में मारे गए थे.

आज का दिन इसी क्रांति की याद में हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

कार्यक्रम को प्रभारी प्रधानाध्यापक बिंद किशोर झा और वरीय शिक्षक बिनोद कुमार सिंह ने भी संबोधित किया.

इस अवसर पर विद्यालय परिसर को स्वच्छ रखने का एक संकल्प भी बाल संसद एवं बच्चों ने लिया.

इस अवसर पर विद्यालय के अन्य शिक्षिका सरोज, विद्यावती, पारुल, जनक, माया आदि मौजूद थे.

हूल दिवस पर माकपा ने गोधर मोड़ पर सिदो-कान्हू को श्रद्धांजिल दी गई.

इस मौके पर आयोजित सभा को संबोधित करते पार्टी गोपीकांत बक्सी ने कहा कि आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों को आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक समान अधिकार दिए बिना भारत में जनवादी विकास संभव नहीं है.

श्रद्धांजलि देने वालों में सुरेश प्रसाद गुप्ता, रामकृष्ण पासवान, सपन मांझी, जीआर मेहता, अशोक वर्मा समेत कई अन्य शामिल थे.

Web Title : HUL DAY CELEBRATION IN BSS SCHOOL