आप सच के साथ रहें, ईश्वर आपके साथ रहेगा: आत्मानंद सरस्वती

झरिया: झरिया स्थित राणी सती मंदिर में, शनिवार दो सितंबर को, श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन, व्यास पीठ पर आसीन महामंडलेश्वर 1008 श्री आत्मानंद सरस्वती जी महाराज ने श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह एवं सुदामा चरित का वर्णन किया.
           आत्मानंद जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि, "जीव विषयी है, इसकी सोच-समझ केवल विषयों में ही रहती है, जबकि भगवान योगेश्वर हैं.  वह सम्पूर्ण ब्रह्मांड के लिए सोचते हैं." कथा प्रसंग के दौरान आत्मानंद सरस्वती जी ने भगवान श्रीकृष्ण के विवाह एवं सुदामा चरित की विशद् व्याख्या करते हुए कहा कि, "श्रीकृष्ण के 16,108 विवाह की बात जगप्रसिद्ध है. ये सोलह हजार उपासना के वेद मंत्र ही उनकी पत्नियां बने. सौ उपनिषद एवं आठ प्रकार की प्रकृति श्रीकृष्ण की पत्नियां बनी."
       महामंडलेश्वर आत्मानंद जी ने कहा कि, "मित्रता में अमीर-गरीब एवं किसी भी तरह का भेदभाव नहीं देखा जाता है. मित्र के सुख-दु:ख को अपना जानना चाहिए. द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण ने विप्र सुदामा के समस्त दुखों का निस्तार कर उन्हें अतुल धन-सम्पत्ति प्रदान की. इतना ही नहीं स्वागत में सुदामा के चरण भी पखारे. कहने का अर्थ है कि मित्र जिस भी परिस्थिति में हो, उसका सम्मान करना चाहिए."
               गांगेसरिया परिवार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में गुरु महाराज जी ने यह भी कहा कि, "हम यदि मन-कर्म-वचन से भगवान के प्रति समर्पित हो जाएं, तो हमें उनकी कृपा पाने से कोई नहीं रोक सकेगा."
     कथा के दौरान श्री राममोहन जी ने अपने सुमधुर भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.

Web Title : YOU KEEP WITH TRUTH GOD WILL NEVER LEFT YOU: ATMANAND SARASWATI