व्यवस्था से यकीन नहीं लौट रहा

धनबाद : उम्मीदें उफान पर हैं, पर व्यवस्था में कोयलांचल के लोगों का यकीन नहीं लौट रहा.

सच कहें तो लोगों को मोदी पर यकीन से ज्यादा उनसे उम्मीदें हैं. वे निराश हैं.

डीजल-पेट्रोल की कीमत बढ़ने पर यहां सार्वजनिक परिवहन के वाहनों का किराया हाल के दिनों में काफी बढ़ा.

अब तेल की कीमत घटने के बाद भी भाड़ा वही है.

मुहल्ले से लेकर जिले तक दबंगों का राज है.

गंदी राजनीति से पनपी और भी बीमारी है.

पुलिस में योग्यता, निष्ठा का कोई मतलब नहीं है.

यहां पुलिस की पोस्टिंग ही सही नहीं है.

मालदार थानों की यहां भरमार है.

जीटी रोड से लेकर सुदूर कोलियरी इलाके तक की ओपी में कमाई के लिए पोस्टिंग होती रही है.

लोग यकीन नहीं कर पा रहे कि अपराधियों की धौंस-धमक से दूर धनबाद शरीफ लोगों के लिए रहने या फिर आकर बसने का कभी महफूज आसरा होगा.

मालूम हो खराब विधि-व्यवस्था के कारण जिले में हजारों उद्योग बंद हो गए.

अवैध उद्योगों की बाढ़ सी-आ गयी.

इन अवैध उद्योगों को चलाने के लिए सत्ता का दुरूपयोग और न जाने क्या-क्या हुए.

नाजायज कारोबार करनेवालों के यहां राजनीतिक दरबारें सजने लगी तो फिर कौन रोकने टोकने वाला!

जिले में नाजायज उद्योगों का निरसा सबसे बड़ा केंद्र है, जहां से मासस और फाब्लाॅ यानी लाल झंडेवालों का कब्जा रहा है.

इस बार भी यहां से मासस के अरूप चटर्जी जीते हैं.

सवाल किसी के जीतने-हारने का नहीं है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर झारखंड के लोगों ने भाजपा और इसके गठबंधन को पूर्ण बहुमत दे दिया.

अब उन्हें उनका रिटर्न चाहिए.

सुशासन चाहिए.

लेकिन, इसकी कोई झलक नहीं है.

कोयलांचल के लोग काफी दिनों के बाद वोट देने निकल रहे हैं.

इसलिए इस बार निराशा लोग झेल नहीं पाएंगे.

उनके सामने तात्कालिक समस्याएं विकराल हैं.

वे मैनेज कर रहे हैं.

अब कुछ संभव नहीं.

मोदीजी के पीएम बनने के बाद धनबाद में कई लोगों ने आर्थिक कारणों से आत्महत्या की.

यह सभी घटनाएं हो ही रही थी कि प्रधानमंत्री जनधन योजना लागू हो गयी.

इसके बाद आर्थिक कारणों से आत्महत्या की घटनाएं रुकी हुईं हैं.

कुछ उम्मीद है. चुनावों का वक्त था.

सरकार बने छह महीने बीत गए अब विकल्पहीनता के दौर से गुजर रहे लोग हताश होने लगे हैं.

हताशे को कुछ समय के लिए झारखंड में बीजेपी गठबंधन की बहुमतवाली सरकार का गठन और इसके काम शुरू करने तक लोग रोक नहीं पा रहे.

यहां बिजली की चोरी आम है.

अभी हाल में एक मुहल्ले में अचानक छापामारी में पता चला कि वहां ज्यादातर मीटर टेंपर्ड थे.

नतीजा है, डीवीसी का भारी बकाया.

इसकी कीमत आमलोग चुका रहे.

रोज घंटों लोडशेडिंग हो रही.

शहर की सफाई व्यवस्था बड़े लोगों के घरों या वोट बैंक के लोगों तक सिमट गई है.

ऐसे में असमर्थ लोगों ने मोदी को ही अपना सहारा माना है.

उन्हें उम्मीद है कि कुछ अच्छा होगा!

Web Title : PEOPLE NOT READY TO RELY ON SYSTEM