दवाओं से नहीं आयुर्वेदिक टिप्‍स से बनाएं अपने बच्‍चों को हेल्‍दी

आयुर्वेद के लाभों से भला कौन वाकिफ नहीं है? बच्चे से लेकर नौजवान तक और गर्भवती महिला से बुजुर्गो तक, आयुर्वेद में सबके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने की क्षमता होती है. बच्चों के लिए तो आयुर्वेद एक बिलकुल ही अलग चीज है. जी हां बच्चो का आंतरिक अंग बाकी सबसे अलग होता है जिसकी वजह से आयुर्वेद का हर नुस्खा उन पर नहीं लगाया जा सकता. हालांकि बच्चो में आगे की बढ़त को देखते हुए ही आयुर्वेद उन्हें ठीक कर सकता है. बच्चों में उनके अपने दोष होते है जिन्हें आयुर्वेद की हेल्‍प से ठीक किया जा सकता है.  

बच्चों का आयुर्वेदिक तरीके से इलाज करने के लिए अत्यंत सावधानी रखनी पड़ती है अन्यथा बच्चों पर आयुर्वेदिक नुस्खे गलत प्रभाव भी डाल सकते है. बाल उम्र में धातुओं के अपरिपक्व होने से हर इलाज एवं नुस्खे से पहले सावधानी बरतनी जरूरी होती है. डॉक्‍टर दिव्या शरद, SPPC हॉस्पिटल में आयुर्वेद स्पेशलिस्ट, आज हमें बता रही हैं कि बच्चो में दोषों को दूर कर कैसे उनमें बैलेंस बनाया जा सकता है-

1. उपकरणों से दूर रहना

इस प्रौद्योगिक काल में जहां हर तरफ हानिकारक किरणों वाले उपकरण मौजूद है, बच्चो को ऐसे उपकरणों से दूर रखना उनकी हेल्‍दी लाइफ की तरफ पहले कदम की शुरुआत होगी. हालांकि आजकल के बच्‍चों को गैजेट्स से दूर रखना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन कोशिशों से कुछ भी संभव हो सकता है. इन उपकरणों पर समय व्यस्त करने की जगह, बच्चों को किसी उत्पादक काम में लगाए.

2. आयुर्वेदिक खाने का सेवन

खाना हमारी अग्नि को एनर्जी एवं पोषण प्रदान करता है. बच्चों के लिए पचाने में आसान खाना ही सबसे उपयोगी है क्योंकि जटिल फूड्स को पचा नहीं सकते है. बच्चों के खाने में हर तरह का स्वाद होना जरूरी है.

3. चुनिंदा मसालों का सेवन

बच्चों के खाने में हल्दी, काली मिर्च एवं जीरा का उपयोग करना एक अत्यंत फायदेमंद नुस्खा है. आयुर्वेद में इन मसालों को पाचन क्रिया की गुणवत्ता बढ़ने के लिए उपयोगी माना जाता है. इसलिए अपने बच्‍चों की डाइट में इन मसालों को शामिल करें.

4. पानी से दिन की शुरुआत करना

हम बड़े तो अपने दिन की शुरुआत पानी से करते हैं लेकिन हम अपने बच्‍चों को सुबह खाली पेट पानी पीने के लिए नहीं देते है. लेकिन दिन की शुरुआत पानी पीने से करना आंतरिक सफाई की तरफ एक बेहतरीन आदत है. बच्चों में शुरुआती उम्र से ही ये आदत डालना उन्हें भविष्य में काफी लाभ पहुंचा सकता है.

5. उत्तेजनाओं का संतुलन

बच्चों से ज्यादा उत्तेजना शायद ही किसी और में देखने को मिलती है पर इन उत्तेजनाओं का बैलेंस रहना बहुत जरूरी है. इन उत्तेजना को संतुलित रखने के लिए, बच्चों के लिए एक दिनचर्या का होना लाभदायक रहेगा.

बच्चों को इन सब आदतों से वाकिफ करना और उनकी दिनचर्या में डालना उनके वर्तमान और भविष्य के लिए अत्यंत लाभदायी है. इन आदतों से बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, यह देखना भी जरूरी है. एकदम से उनकी दिनचर्या में यह सब आदतें उन्हें चिड़चिड़ा बना सकती है, इसीलिए उन्हें कौन-सी आदत पसंद है और कौन-सी नहीं इसे ध्यान में रखकर ही कदम उठाये.


Web Title : MAKE YOUR CHILDREN HEALTH WITH AYURVEDIC TIPS NOT FROM MEDICINES

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