मुंबई मरीन ड्राइव से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जो आप शायद नहीं जानते होंगे

सपनों के शहर मुंबई के मरीन ड्राइव की लहरों की आवाज़ तो हमेशा सुनते हैं लेकिन क्या मरीन ड्राइव के पर्दें के पीछे की कहानी मालूम है. मुंबई एक जीवंत शहर है जिसमें हजारों लोग अपने सपनों का पीछा करते हैं, यही वजह है कि इसे ´सपनों का शहर´ भी कहा जाता है. यहां देखने के लिए एक भव्य दृश्य मरीन ड्राइव है, जिसे रानी के हार के रूप में भी जाना जाता है. ऐसे कम ही लोग है जो मुंबई जाएं और बिना किसी संदेह के मरीन ड्राइव की बाते ना करे. मरीन ड्राइव निश्चित रूप से अपने चमत्कारिक दृश्यों से आपको पागल कर देती है. मुंबई मरीन ड्राइव के पीछे की कहानी आपको जान के जरुर अचरज होगी. तो आइएं जानते हैं मरीन ड्राइव के पीछे की कहानी-

मरीन ड्राइव

मरीन ड्राइव मुंबई में 1920 के आसपास निर्मित हुआ था. यह अरब सागर के किनारे-किनारे, नरीमन प्वाइंट पर सोसाइटी लाइब्रेरी और मुंबई राज्य सेंट्रल लाइब्रेरी से लेकर चौपाटी से होते हुए मालाबार हिल तक के क्षेत्र में है. मरीन ड्राइव के शानदार घुमाव पर लगी स्ट्रीट-लाइटें रात्रि के समय इस प्रकार जगमाती हैं कि इसे क्वीन्स नैकलेस के नाम से जाना जाता है. रात्रि के समय ऊंचे भवनों से देखने पर मरीन ड्राइव बहुत बेहतरीन दिखाई देता है.

एक असफल परियोजना 

बहुत से लोग इस तथ्य से अवगत नहीं हैं कि किसी जमाने में मरीन ड्राइव एक असफल परियोजना हुआ करता था. मुंबई का बैकब रिक्लेमेशन प्रोजेक्ट (नरीमन पॉइंट और मालाबार हिल को जोड़ने वाला) वर्ष 1860 में प्रस्तावित किया गया था, और फिर इसे 1920 के दशक में शुरू किया गया था. मरीन ड्राइव योजना 1500 एकड़ जमीन की थी लेकिन, कुछ देशी और विदेशी मुद्दों की वजह से केवल 440 एकड़ जमीन ही बची. जिसमें से उस समय सेना ने 235 एकड़ जमीन ले लिया और 17 एकड़ जमीन बच गई जिसे हम आज ´मरीन ड्राइव´ कहते हैं.

कोई लेने वाला नहीं

समुद्र के किनारे का क्षेत्र होने के कारण यहां जिन संपत्तियों का निर्माण किया गया था, उनमें शुरू में कोई लेने वाला नहीं था. क्योंकि वे बहुत महंगे थे. बहुत लंबे समय तक मरीन ड्राइव एक कम जनसंख्या वाला क्षेत्र बना रहा. लेकिन विभाजन के बाद देश में  नया दौर चला और वो दौर था अमीरों का जिन्होंने यहां संपत्ति खरीदना शुरू कर दिया. इसके अद्भुत स्थान को ध्यान में रखते हुए केवल अमीर लोग ही यहां जमीन का अधिग्रहण या खरीदरी करते थे.

टेट्रापोड (पत्थर के जैसा बना हुआ)

जब भी कोई मरीन ड्राइव के लिए जाता है वह एक बार समुद्र तट पर बने टेट्रापोड पर जरुर बैठता है. लेकिन क्या आपको मामूल है कि इस टेट्रापोड का निर्माण क्यों किया गया और किस लिए किया गया. तो हम बताते हैं. इन टेट्रापोडों का निर्माण एक कारण के लिए किया गया था. ये टेट्रापोड मजबूत लहरों से शहर को बचाने के लिए बनाया गया है. जब लहरें तट से टकराती हैं, तो ये ठोस टेट्रापोड कटाव और अन्य समस्याओं से बचती है.

मुंबई में मियामी

यदि आप मरीन ड्राइव के चित्रों को देखते हैं, तो यह आपको भव्य अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तट मियामी की याद दिलाती है. यह मुंबई का अपना मियामी है और निश्चित रूप से लोगों को इस पर गर्व है. प्रसिद्ध लेखक नवीन रमानी ने अपनी प्रशंसित पुस्तक Art बॉम्बे आर्ट डेको आर्किटेक्चर: ए विज़ुअल जर्नी ’में मियामी के ओशन ड्राइव और मुंबई के मरीन ड्राइव के बीच समानताएं भी बताई हैं.

यूनेस्को साइट

अपने विक्टोरियन कला और भवनों के कारण मरीन ड्राइव जल्द ही एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल बनने के लिए तैयार है. अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है तो एलीफेंटा गुफाओं और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन (सीएसटी) के बाद मरीन ड्राइव (नरीमन प्वाइंट) को यूनेस्को साइट का तगमा लग सकता है.

कहते हैं कि मुंबई शहर कभी सोता नहीं. मरीन ड्राइव खामोशी के साथ पिछले 100 सालों से उसकी गवाह है. इसने गुजरे हुए कल के पन्नों को पीले होते हुए देखा है.   आने वाले कल को चमकते हुए भी देखेगा.  


Web Title : SOME INTERESTING THINGS YOU MIGHT NOT KNOW ABOUT MUMBAI MARINE DRIVE

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