मुंबई देश का सबसे ज्यादा हलचल वाला शहर है. लाखों लोग इस शहर में अपने सपनों को पूरा करने आते हैं. मायानगरी की यही खासियत है. यहां लाखों लोगों के सपने पूरे होते हैं. मुंबई में वैसे तो कई खूबसूरत जगहे हैं, लेकिन मरीन ड्राइव की बात कुछ खास है. यहां पर कई फिल्मों की शूटिंग हुई है. कई खास बातें यहां देखी गई हैं. नरीमन प्वाइंट और मुंबई की मरीन ड्राइव बहुत ही खूबसूरत हैं. शायद आप भी कई बार मरीन ड्राइव घूमने गई होंगे, लेकिन इसके बारे में शायद आपको कई फैक्ट्स नहीं पता होंगे.
मुंबई की टूरिस्ट प्लेसेस में सबसे खास मरीन ड्राइव को Queen´s Necklace भी कहा जाता है, यानी रानी का हार. इस शहर में आइए और किसी से उसकी पसंदीदा जगह के बारे में पूछिए तो वो मरीन ड्राइव कह सकता है. मैं खुद मुंबई में तीन महीने रही हूं और पूरा मुंबई घूमने के बाद भी मेरी फेवरेट जगह मरीन ड्राइव ही रही है. मैं न जाने कितनी बार उस जगह गई हूं. यहां शांति से बैठकर घंटों खूबसूरती को निहारा जा सकता है. तो चलिए आज बात करते हैं यहां के कुछ फैक्ट्स की.
1. मुंबई या मायामी?
कई ट्रैवल वेबसाइट्स पर आपने देखा होगा कि मायामी को बेस्ट अंतरराष्ट्रीय beach डेस्टिनेशन में से एक माना जाता है. मायामी में भी ऐसे beach हैं जहां एक ओर पूरा शहर, बिल्डिंग और खूबसूरत आर्किटेक्चर दिखता है और दूसरी ओर मरीन ड्राइव जैसा नजारा दिखता है. मायामी में ओशिन ड्राइव है (Ocean Drive) जो काफी कुछ मुंबई के मरीन ड्राइव जैसा दिखता है. तो यकीनन मुंबई वालों के पास उनका बेहतरीन मायामी मौजूद है.
2. मरीन ड्राइव नहीं सोनपुर
मरीन ड्राइव का असली नाम तो मुंबई में रहने वाले कई लोगों को भी नहीं पता होता है. मुंबईकर भी इसे मरीन ड्राइव ही कहते हैं, लेकिन 3. 5 किलोमीटर लंबा ये खूबसूरत टूरिस्ट प्लेस असल में सोनापुर है. ये मालाबार हिल के पास स्थित है और जिस रोड पर स्तिथ है उसका नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस रोड है.
3. सफल नहीं फ्लॉप प्रोजेक्ट
वो कहावत है न ´कद्दू में तीर मारना´ कुछ-कुछ ऐसा ही मुंबई के साथ भी हुआ. असल में मुंबई का मरीन ड्राइव एक प्रोजेक्ट के फेल होने पर मुंबई वासियों को मिला. एक प्रोजेक्ट जिसमें नरीमन प्वाइंट को मालाबार हिल से जोड़ना था वो सबसे पहले 1860 में शुरू हुआ था, लेकिन किसी कारण से ये हो नहीं पाया. उसके बाद 1920 में फिर काम शुरू हुआ, लेकिन कई सारी जंग और कई फेल प्लान की वजह से ये पूरा नहीं हो पाया. शुरुआत में इसमें 1500 एकड़ जमीन का इस्तेमाल होना था फिर घटकर ये 440 एकड़ हुआ और इसके बाद मिलिट्री ने 235 एकड़ ले लिए और कुछ जमीन पर कुछ और काम शुरू हो गया, इसके बाद सिर्फ 17 एकड़ जमीन बची जिसे आज मरीन ड्राइव कहा जाता है.
4. कोई खरीददार नहीं था
शुरुआती दौर में यहां प्रॉपर्टी खरीदने वाला कोई खरीददार नहीं था. असल में यहां पर प्रॉपर्टी का रेट काफी ज्यादा था. इसके बाद हुआ बटवारा और मुंबई में कई सारे अमीर लोग बॉर्डर पार से आए. इनमें से कई लोगों ने मुंबई की मरीन ड्राइव में बसना शुरू किया.
5. टेट्रापॉड्स
आपने कई टूरिस्ट डेस्टिनेशन देखी होंगी, कई बॉलीवुड फिल्मों में मुंबई की मरीन ड्राइव को भी देखा होगा, लेकिन क्या आपने यहां के कॉन्क्रीट टेट्रापॉड्स पर ध्यान दिया है? वो चार पैर वाले पत्थर जो समुद्र के आस-पास सिलसिलेवार तरीके से बिछाए गए हैं. तो सिर्फ लोगों के मनोरंजन के लिए नहीं लगाए गए. दरअसल, ये टेट्रापॉड्स समुद्र की भयानक लहरों से किनारों को बचाते हैं. लहरें इनमें टकराकर धीमी हो जाती हैं और पानी इनके बीच में चला जाता है.
6. काफी कम है यहां रेंट
घर का किराया कई लोगों के लिए बड़ा ही खर्चीला होता है. मुंबई में तो फिर ये और भी ज्यादा परेशान करने वाला है. मुंबई में घर ढूंढना काफी मुश्किल है और अगर बजट में घर मिलता भी है तो वो भी काफी दूर. पर मुंबई की मरीन ड्राइव में किराया काफी सस्ता है. कुछ किरायदार तो यहां पर सिर्फ 300 रुपए प्रति माह दे रहे हैं. इसका कारण? Bombay Rent Control Act of 1947 के नियम कुछ ऐसे बनाए गए कि मकानमालिक उस समय ऑन पेपर किराया नहीं बढ़ा पाए. इसके बाद किरायदारों ने मकान खाली ही नहीं किए. कई लोगों ने तो बाकायदा इसके खिलाफ शिकायत भी की, लेकिन किरायदार लीगल तरीके से घर में रह रहे थे. इसका नतीजा ये निकला कि इतना सस्ता किराया हो गया. यानी अगर आप और मैं यहां मकान लेने जाएंगे तो ये सस्ता नहीं होगा, लेकिन जो लोग यहां रह रहे हैं उनका किराया बेचारे मकान मालिक नहीं बढ़ा पाए.
7. UNESCO साइट
क्योंकि मरीन ड्राइव के पास विक्टोरियन जमाने की बिल्डिंग और आर्ट डेकोरेशन है इसलिए इसे जल्द ही UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित करने की तैयारी चल रही है.
8. 72 सालों तक नहीं पड़ी रिपेयर की जरूरत
भले ही मरीन ड्राइव एक खराब प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई है जो फ्लॉप हो गया, लेकिन इसका स्ट्रक्चर इतना सही है कि इसे बनने के 72 साल तक रिपेयर की जरूरत नहीं पड़ी. 2012 में सुरक्षा के लिहाज से इसकी रिपेयरिंग हुई.