इस वक़्त पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंडपद रही है, इस सीजन में आप अपने शहर की सर्दी से परेशान हो सकती हैं लेकिन यकीन मानिए भारत का एक ऐसा शहर भी है जहां तापमान इतना गिर जाता है कि लोग घर से बाहर भी नहीं निकल पाते. यहां के पहाड़ एक तरफ हरे दिखेंगे, दूसरी तरफ भूरे (सिर्फ गर्मियों में) यानी हरियाली और बंजर जमीन एक साथ यहां दिख सकती है और ये काफी अनोखी बात है. दूसरी ओर सर्दियों में ये सब कुछ सफेद दिखेगा और सफेदी से ढंक जाएगा. Srinagar-Leh रोड जो कश्मीर टूरिज्म का भी हिस्सा है वो यहां भी मौजूद है. ऐसी खूबसूरत रोड देखकर आपका मन मोहित हो जाएगा. दिल्ली में तो सर्दी ने कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया लेकिन इस शहर में ऐसा कोई रिकॉर्ड मायने ही नहीं रखता है.
लद्दाख जाने के लिए रास्ते में एक छोटा सा शहर पड़ता है. ये शहर है द्रास (Dras), भारत की कार्गिल डिस्ट्रिक्ट में मौजूद ये शहर Zoji La pass और कार्गिल शहर के बीच स्थित है. ये छोटा सा शहर ´गेटवे ऑफ लद्दाख´ भी कहा जाता है. गर्मियों के मौसम में यहां हरियाली ही हरियाली दिखती है और पूरी घाटी खूबसूरती से भर जाती है, लेकिन यहां की सर्दियां बहुत कठोर हो सकती हैं. कारण ये है कि ये भारत का सबसे ठंडा शहर है. जी हां, यहां का तापमान इतना गिर जाता है कि आम तौर पर लोग यहां की सर्दियों से डर जाते हैं.
1 या 2 नहीं -60 डिग्री रहा है यहां का तापमान-
इसे भारत के सबसे ठंडे शहर की उपाधि तब मिली जब यहां का तापमान -60 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. इतने कम तापमान में तो शायद आपकी पलकें भी जम जाएं. 1995 में यहां का तापमान -60 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था. वैसे द्रास में -45 डिग्री तापमान आम है, लेकिन -60 डिग्री का मतलब समझ रही हैं आप? ठंड और बहुत ठंड.
आपके शहर में इस समय सर्दियां आने में होंगी और भारत के कई हिस्सों में पारा 0 से नीचे चला जाता है, लेकिन कहीं भी इतना कम तापमान नहीं होता. सर्दियों की समस्याएं अगर आपको बड़ी लगती हैं तो सोचिए द्रास में क्या होता होगा?
दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा शहर-
ये सिर्फ भारत का अनोखा टूरिस्ट डेस्टिनेशन नहीं है बल्कि ये दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा शहर है. इससे ज्यादा ठंडा सिर्फ दुनिया का एक ही शहर है और वो है Oymyakon जो रशिया में है. Oymyakon का तापमान -72 डिग्री तक गिर सकता है. खैर, यहां बात करते हैं सिर्फ द्रास की. यहां गर्मियों में भी काफी ठंड का अहसास हो सकता है इसलिए अपने साथ गर्म कपड़े ले जाना न भूलें.
प्रदूषण और धूल-मिट्टी से दूर इस शहर में सबसे अनोखे दृश्य देखने को मिल सकते हैं. सर्दियों के समय ये शहर पूरी तरह से बर्फ से ढंका हुआ रहता है और इसे भारत का नॉर्थ पोल कहा जाए तो भी गलत नहीं होगा.
कारगिल युद्ध के बाद बना टूरिस्ट अट्रैक्शन-
द्रास असल में कारगिल युद्ध के बाद टूरिस्ट अट्रैक्शन बना है. 1999 के बाद यहां लोग आने लगे और यहां की अर्थव्यवस्था उसी पर सीमित हो गई. द्रास में देखने लायक काफी कुछ है.
LOC का नजारा-
मनमान टॉप जो द्रास से 10 किलोमीटर दूर है वहां से लाइन ऑफ कंट्रोल यानी LOC का नजारा देखा जा सकता है. इसी के साथ अगर आप गोमचान वैली जाते हैं जो द्रास से 5 किलोमीटर दूर है तो वहां असली ग्लेशियर और वहां से निकलती हुई जलधाराएं देखने को मिलेंगी. कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पर द्रास वॉर मेमोरियल भी बनाया गया है. इसी के पास है सांडो टॉप जहां से पाकिस्तानी बेस देखे जा सकते हैं. यहीं से दिखती है टाइगर हिल जो इस इलाके की सबसे ऊंची चोटी है और जहां पर भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ था.
मस्जिद और मंदिर का तीर्थ-
द्रास से 7 किलोमीटर दूर निनगूर मस्जिद है जो भीमबेट में स्थित है. माना जाता है कि यहां अल्लाह की खास नेमत है और ये अपने आप बनी थी. यहां मुस्लिम श्रद्धालु अक्सर आते हैं. द्रास से 7 किलोमीटर दूर ही भीमबेट पत्थर हिंदुओं के लिए अहम स्थान है और माना जाता है कि ये काफी पवित्र है.
अमरनाथ यात्रा का मार्ग-
द्रास से ही 30 किलोमीटर दूर है मीनामार्ग. ये पहाड़ियां अमरनाथ यात्रा का मार्ग है और मचोई ग्लेशियर से घिरा हुआ है. इसी के पास है Laser La एक पहाड़ जो अपने दूध जैसे सफेद पानी के लिए प्रसिद्ध है.