किस सोच के साथ होना चाहिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल

आजकल सामाजिकता का एक मतलब सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना भी बन गया है. इस मीडिया ने समाज के हर वर्ग में अपनी पैठ बना ली है. हम सब सोशल मीडिया से जुड़ना चाहते है एवं उसे इस्तेमाल करना चाहते हैं. यह एक ऐसा समूह है जिससे जुड़कर हम आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं. यह नया मीडिया भारतवर्ष में देर से प्रचलित हुआ लेकिन धीरे-धीरे इसने समाज के हर वर्ग में अपनी जगह बना ली हैं. बच्चे,बूढ़े,युवा हर कोई सोशल मीडिया से जुड़ गया है और अपने विचारों को सोशल मीडिया पर शेयर कर रहा है. सोशल मीडिया के कई रूप हमारे सामने हैं जैसे फेसबुक ट्वीटर, य़ू ट्यूब, लिंक्डइन, विकिपीडिया आदि. इन सब के माध्यम से लाखो-करोड़ो लोग आपस में जुड़े हैं. संवादहीनता लगभग समाप्त हो चुकी है. लेकिन सोशल मीडिया के बारे में समाज में दो तरह की मानसिकताएं हैं अगर हम देखें तो इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं पर यह निर्भर करता हैं की आप इसको कैसे इस्तेमाल करते हैं.


सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल सार्थक हो तभी अच्‍छा

सोशल मीडिया के माध्‍यम से आपस में हज़ारों लोगो एक दूसरे से जुड़ गए हैं. एक ऐसा मित्र जो आपसे कई सालों से न मिला हो फेसबुक के माध्यम से पल भर में आपके संपर्क में आ जाता है. कोई अपना जिसे आप ढूँढ़ना चाहते हैं वह हो सकता है इस मीडिया पर आपसे टकरा जाये. सोशल मीडिया पर हम अपने विचार किसी भी विषय पर अपने मित्रो के बीच रख सकते हैं और वाहवाही लूट सकते हैं. आप फोटोग्राफ, सन्देश,वीडियो आदि भी शेयर कर सकते हैं. कोई अभियान चलाकर आप जनता एवं मित्रों की राय जान सकते हैं. सरकारी एजेंसिया कई अभियान जैसे मतदान प्रचार में भी प्रत्य़क्ष -अप्रत्य़क्ष रूप से इस माध्‍यम का लाभ ले रही हैं. लोकतंत्र के विकास में सोशल मीडिया कारगर सिद्ध हो रहा हैं. कई राजनैतिक दल के प्रतिनिधि जनता को अपने द्वारा कराये गए विकास कार्यो की जानकारी इस पर साझा कर रहे हैं. जनता पर सब जानकारी सीधे पहुँच रही हैं. यह सोशल मीडिया का फायदा ही है कि कोई भी विषय सोशल मीडिया में चर्चित होते ही सरकारी अथवा गैरसरकारी संस्था उसको संज्ञान में लेती है. अपनों से संवाद करने पर एक मानसिक संतोष मिलता है कि जो हमसे दूर हैं वे इतने दूर भी नहीं हैं. यह सोशल मीडिया का एक फायदा ही है.

सोशल मीडिया पर अनेक तरह के लोग एवं संगठन सक्रिय हैं. कई लोग इसका गलत इस्तेमाल भी करते हैं. आपके बारे में जानकारी जुटा कर उसका इस्तेमाल इसके माध्यम से करके आपकी व्यक्तिगत छवि को ख़राब करते हैं. इस मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करना आपके एवं आपके साथी के बीच आशंकाएं भी पैदा कर देता है ऐसा समाज में देखा जा रहा हैं. कई लोग आपके द्वारा पोस्ट की गई फोटोग्राफ्स को सॉफ्टवेयर की सहायता से परिवर्तित कर उसका दुष्‍प्रचार करते हैं. यहां पर पर ऐसे मित्र न बनाएं जिन्हें आप जानते नहीं हैं इनकी प्रोफाइल फर्जी हो सकती है जो आपको नुकसान पहुँचा सकती हैं. सोशल नेटवर्किंग सर्विस फेसबुक के अनुसार काफी बड़ी संख्‍या में प्रोफाइल फेसबुक पर फर्जी हैं. इस मीडिया का एक नुकसान अभी हाल ही में घटित घटनाओं से भी सामने आया है जैसे कि सुनंदा पुष्कर जी  मौत? इस मीडिया पर अप्रत्याशित सन्देश को पढ़ कर एवं भावनाओ में बहकर इंसान ऐसे कठोर कदम उठा लेता है. सोशल मीडिया आभासी दुनिया का नेटवर्क है यह असल जीवन या जिंदगी के नेटवर्क का विकल्प नहीं हैं इसको भी हमें समझना पड़ेगा. इस नए मीडिया ने संवादहीनता खत्म तो की हैं लेकिन असल जिंदगी के रिश्तो जिसमें आपके दोस्त, आपके पडोसी,आपके रिश्तेदार जो जरूरत पड़ने पर आपके काम आते थे को भी कहीं ना कहीं आपसे दूर भी किया हैं. अब आप उन्हें उतना समय नहीं दे पाते जितना आप पहले दे पाते थे.

नकारात्मक एवं सकारात्मक सोच के लोग इसी समाज में रहते हैं सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस सोच के साथ एवं कैसे किया जाये समाज में यह हमें ही तय करना है इतना जरूर है कि हम सबको थोड़ी सावधानियाँ जरूर बरतनी होगी सोशल मीडिया को इस्तेमाल करते वक़्त.

Web Title : WHAT SHOULD BE THE THINKING BEFORE USING SOCIAL MEDIA