क्या पुनर्जनम होता है,इसे पढने के बाद शायद आप भी कर ले यकीन

जन्म और मृत्यु का रहस्य ऐसा है ज‌िसे आप ज‌ितने करीब से जानते जाएंगे इसका रहस्य और गहरा एवं रोमांचक होता जाता है. इसकी वजह यह है क‌ि मृत्यु से लेकर पुनर्जन्म तक की सभी घटनाएं उस पर्दे के पीछे घट‌ित होती हैं ज‌‌िसे देख पाना हमारी लौक‌िक आंखों द्वारा संभव नहीं है. इसल‌िए कुछ लोग मृत्‍यु के बाद पुनर्जन्म की बातों पर यकीन नहीं करते हैं लेक‌िन कुदरत कभी-कभी कुछ ऐसी घटनाएं सामने लाकर रख देती है क‌ि चाहें न चाहें हमें मानना पड़ता है क‌ि मृत्यु के बाद भी जीवन के तार जुड़े रहते हैं जो जन्म जन्मांतर तक साथ चलते हैं. इसी क्रम के एक रोचक घटना आपके सामने प्रस्तुत है जो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंड‌ित जवाहर लाल नेहरू के पूर्वजन्म के रहस्य से पर्दा उठाने वाली है.

रहस्य पुनर्जन्मों का´ नामक पुस्तक में मुन‌ि क‌िशनलाल जी ने एक घटना का उल्लेख करते हुए ल‌िखा है क‌ि बात उन द‌िनों क‌ी है जब पंड‌ित मोतीलाल नेहरु जी, पंड‌ित मनमोहन मालवीय जी और दीनदयाल शास्‍त्री जी के साथ ऋष‌िकेश भ्रमण करने के ल‌िए गए थे.  भ्रमण करते समय मालवीय जी को एक पेड़ के आगे एक हांडी लटकती द‌िखी लोगों से पूछने पर पता चला क‌ि यह एक द‌िव्य साधु की हांडी है.

साधु महाराज हमेशा पेड़ पर रहकर तपस्या करते हैं केवल सुबह के समय एक बार वृक्ष से उतरते हैं और गंगा स्नान करके वापस वृक्ष पर चढ़ जाते हैं. इस समय हांडी में कुछ खाने को म‌िल जाता है तो भगवान का प्रसाद मानकर खा लेते हैं. इसके बाद वापस तपस्या में लीन हो जाते हैं.

साधु की बातें सुनकर मालवीय जी के मन में उत्सुकता जगी और अगले द‌िन मोतीलाल नेहरु और दीनदयाल शास्‍त्री जी को साथ में लेकर उस वृक्ष के पास आ गए जहां साधु न‌िवास करते थे. संयोग से उस समय साधु महाराज गंगा स्नान करने गए थे इसल‌िए सभी लोग वहां बैठकर इंतजार करने लगे. कुछ देर बाद साधु महाराज वहां आ गए और वृक्ष पर चढ़ने लगे तभी मनमोहन मालवीय जी ने साधु महाराज को प्रणाम करके अपना पर‌िचय द‌िया.

साधु महाराज ने पूछा क‌ि आप लोग क्या चाहते हैं. मदनमोहन मालवीय जी ने बताया क‌ि मोतीलाल जी संतान की अभ‌िलाषा रखते हैं, इनके बारे में बताइये. साधु महाराज ने मोतीलाल जी को गौर से देखा और कहा क‌ि इन्हें पुत्र की प्राप्त‌ि नहीं होगी.

मालवीय जी ने कहा क‌ि आप तो कर्मयोगी हैं और कर्मयोगी के ल‌िए कुछ भी असंभव नहीं है इसल‌िए आप कुछ उपाय कीज‌िए. साधु मालवीय जी की बात सुनकर कुछ समय तक मौन रहे फ‌िर अपने घड़े से जल लेकर तीन बार जमीन पर छ‌िड़क द‌िया और चौथी अंजुल‌ी जल लेकर उन लोगों पर छ‌िड़क द‌िया और कहा क‌ि तुम लोगों ने मेरी जन्मों की तपस्या का फल ले ल‌िया है. इतना कहकर साधु पेड़ पर चढ़ गए.

अगले द‌िन जब मलवीय जी और मोतीलाल जी उस पेड़ के पास आए तो वहां साधु नहीं बल्क‌ि उनका मृत शरीर म‌िला. कहते इस घटना के कुछ महीनों बाद नेहरू जी का जन्म हुआ. मदन मोहन मालवीय जी ने पंड‌ित जवाहर लाल नेहरु के जन्म से संबंध‌ित इस कथा को ल‌िखा था ज‌िसे शेर-ए-पंजाब नामक उर्दू समाचार पत्र ने उन द‌िनों छापा था.


Web Title : AFTER READING THIS YOU MAY START BELIEVING IN REBIRTH

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