सूबे के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्कूलों में अब अतिथि शिक्षकों की सेवा नहीं ली जाएगी. जहां नवनियुक्त शिक्षकों ने योगदान दे दिया है, उन स्कूलों से अतिथि शिक्षकों को हटाने का आदेश जारी किया गया है. कई स्कूलों से अतिथि शिक्षकों को हटा भी दिया गया है. साथ ही, एजेंसी के माध्यम से लिये टेक्निकल फैकल्टी को भी हटाया जा रहा है. इन्हें सितंबर में ही रखा गया था.
अतिथि शिक्षकों और एजेंसी के माध्यम से कार्यरत टेक्निकल फैकल्टी को हटाने से संबंधित शिक्षा विभाग के आदेश के बाद जिला शिक्षा कार्यालय ने पत्र जारी कर दिया है. बता दें कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए वर्ष 2018 में राज्यभर में 5440 अतिथि शिक्षकों को रखा गया था. जिलावार स्कूलों की सूची जारी की गयी थी. जिन स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की कमी थी, वहां पर संबंधित विषय में अतिथि शिक्षक रखे गये थे.
पटना जिला की बात करें तो कुल 243 अतिथि शिक्षकों को हटाये जाने का आदेश दिया गया है. इस बाबत सभी जिले के राजकीय, राजकीयकृत, प्रोजेक्ट, उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्यों को पत्र लिखा गया है. पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार ने बताया कि जिन विषयों में नवनियुक्त शिक्षक का योगदान हो गया है, नियमावली के अनुसार संबंधित विषय के अतिथि शिक्षक हटाये जाएंगे.
BPSC शिक्षक भर्ती से निजी स्कूलों में कई विषयों के पद खाली, सीबीएसई स्कूलों को नहीं मिल रहे परीक्षक
83 % नियोजित शिक्षक माध्यमिक में हुए चयनितबिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों में 28 हजार 800 ऐसे हैं, जो पूर्व से अपनी सेवा नियोजित शिक्षक के रूप में दे रहे हैं. इनमें करीब 83% नियोजित शिक्षक माध्यमिक-उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए चयनित हुए हैं. वहीं, मात्र पांच हजार अर्थात करीब 17 नियोजित शिक्षक प्राथमिक स्कूलों के लिए चयनित हुए हैं. विभाग ने साफ किया है कि नियोजित शिक्षक अपनी इच्छा से पूर्व के स्कूल में भी बने रह सकते हैं अथवा नई जगह पर योगदान कर सकते हैं. इस तरह देखें तो नियोजित शिक्षक नई जगह पर योगदान देंगे तो उनके पूर्व के स्कूल में वह पद खाली हो जाएगा. नई जगह पर योगदान देने से कितने स्कूलों में पद खाली हो गए, इसकी सही जानकारी 30 नवंबर के बाद हो सकेगी. विभाग ने नियोजित शिक्षकों को मौका दिया है कि वह 30 नवंबर तक नई जगह पर योगदान दे सकते हैं. विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि नई जगह पर नियोजित शिक्षकों के योगदान देने से जो पद खाली होंगे, उन्हें भरे जाने को लेकर बाद में निर्णय लिया जाएगा.
जिलों से प्राप्त रिपोर्ट यह बताती है कि 28 हजार 800 में करीब दस हजार ऐसे हैं, जो औपबंधिक नियुक्तिपत्र नहीं लिये हैं. इससे साफ है कि ये नई जगह पर योगदान देना नहीं चाहते हैं.