जापान ने वैश्विक ईंधन की कमी के बीच स्थिर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के मकसद से परमाणु ऊर्जा के अधिक उपयोग को बढ़ावा देने संबंधी एक नई नीति को अपनाया है. इन नीति में कहा गया है कि जापान को मौजूदा परमाणु रिएक्टर के अधिकतम उपयोग के वास्ते उनमें से कई को फिर से शुरू करना चाहिए और पुराने रिएक्टर की परिचालन समय सीमा को उनकी 60 साल की सीमा से आगे बढ़ाना चाहिए और उन्हें बदलने के लिए अगली पीढ़ी के रिएक्टर विकसित करने चाहिए.
जापान में 2011 फुकुशिमा आपदा के बाद सुरक्षा संबंधी चिंताएं तेजी से बढ़ी थी. इसके बाद परमाणु उर्जा पर निर्भरता को खत्म करने की योजना थी. परमाणु ऊर्जा से जुड़ी कंपनियों ने पिछले एक दशक में 27 रिएक्टर को फिर से शुरू करने के लिए आवेदन किया है. इनमें से 17 सुरक्षा मानकों को पूरा कर लिया है और केवल 10 ने परिचालन फिर से शुरू किया है. नई नीति में कहा गया है कि परमाणु ऊर्जा स्थिर उत्पादन प्रदान करती है और यह आपूर्ति स्थिरता तथा कार्बन तटस्थता प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है. प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि वह कैबिनेट को नीति को मंजूरी देने और अनुमोदन के लिए संसद में आवश्यक विधेयक पेश करने के लिए कहेंगे. अर्थव्यवस्था और उद्योग मंत्रालय ने 30 साल के परिचालन के बाद रिएक्टरों के लिए हर 10 साल में विस्तार की अनुमति देने की योजना तैयार की है.