अंदरूनी ‘दुश्मनी’ के कारण जी-20 की शिखर बैठक से इस बार ज्यादा उम्मीद नहीं

यहां शुरू हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनने उम्मीद मजबूत नहीं है. जानकारों के मुताबिक जिस समय दुनिया पर आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा रहा है, वैसे वक्त पर जी-20 एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. लेकिन इस समूह के सदस्यों के बीच बढ़ते टकराव के बीच ऐसा होने की संभावना नहीं है.

अमेरिकी अखबार द वॉलस्ट्रीट जर्नल के मुताबिक यूरोप संभवतः मंदी में फंस चुका है. इसकी वजह रूस पर लगाए गए प्रतिबंध हैं, जिनसे पूरा यूरोप ऊर्जा के गहरे संकट से जूझ रहा है. पहले से ही बढ़ रही महंगाई इन प्रतिबंधों के कारण और ज्यादा बढ़ गई है. इससे उपभोक्ता अपना खर्च घटा रहे हैं, जबकि कारोबारियों ने भी निवेश के मामले में हाथ समेट लिए हैं. उधर खाद्य और ऊर्जा आयात का बिल बढ़ने की वजह से विकासशील देश भी गहरे दबाव में हैँ. इससे कई देशों के कर्ज संकट में फंसने का अंदेशा पैदा हो गया है.

विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि जी-20 का गठन 2008 में आई मंदी के बाद ही हुआ था. तब धनी देशों ने दुनिया को मंदी से उबारने की कोशिश में विकासशील देशों को भी साथ लेने का फैसला किया था. तब से इस समूह की नियमित शिखर बैठक होती रही हैं. लेकिन इस बार इस बैठक से जितनी कम उम्मीदें हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टेलिना जियोर्जियेवा ने रविवार को कहा- ‘जब हम निराशाजनक सूरत पर नजर डालते हैं, तो और भी ज्यादा परेशानी यह देख कर होती है कि इस समय दुनिया और अधिक बंटती जा रही है. जबकि इस समय हमें एक दूसरे के साथ की बेहद जरूरत है. मैं यह देख कर बहुत चिंतित हूं कि हम ऐसी दिशा में जा रहे हैं, जहां दुनिया अपेक्षाकृत अधिक गरीब और कम सुरक्षित हो जाएगी. ’

पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि जिस समय यूक्रेन युद्ध के कारण रूस और पश्चिमी देशों में बातचीत तक बंद है, तभी अमेरिका और चीन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन शैक्स के अर्थशास्त्रियों ने इसी हफ्ते अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि चीन पर लगाए गए अमेरिकी चिप प्रतिबंधों के कारण अगले साल चीन की अर्थव्यवस्था में 0. 25 फीसदी की गिरावट आएगी. इस बीच इन प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी सेमीकंडक्टर और अन्य हाई टेक कंपनियों की बाजार संभावनाएं भी बिगड़ गई हैं.

विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि अतीत में आर्थिक विकास में गिरावट के मौकों पर जी-20 की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही. तब इन देशों में राजकोषीय और मौद्रिक उपायों के जरिए अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को संभालने के लिए सहमति बनी थी. लेकिन इस बार ऐसी संभावना कमजोर है. यह बात खुद जी-20 के मेजबान इंडोनेशिया की वित्त मंत्री मुलयानी इंद्रवती ने स्वीकार की है.

इंद्रवती ने ध्यान दिलाया है कि 2-20 के वित्त मंत्री हाल में अपनी कई बैठकों को दौरान किसी साझा विज्ञप्ति पर सहमत नहीं हो सके. जब विज्ञप्तियां जारी हुईं, उनसे युद्ध और प्रतिबंध ग्रस्त आर्थिक स्थिति पर मतभेद ही ज्यादा सामने आए. हाल में एक अखबार को दिए इंटरव्यू में इंद्रवती ने कहा था कि 2008 में समान दुश्मन (मंदी) के खिलाफ सभी जी-20 देशों की समान चिंता सामने आई थी. उन्होंने कहा- ‘लेकिन इस बार वे एक दूसरे के दुश्मन बने नजर आते हैं. ’

Web Title : NOT MUCH HOPE FROM G 20 SUMMIT THIS TIME DUE TO INTERNAL HOSTILITY

Post Tags: