लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा पर कांग्रेस पड़ी सुप्त, क्या लड़ने से पहले हार मान बैठी कांग्रेस?

बालाघाट. केन्द्र में तीसरी बार सरकार बनाने 400 प्लस के दावो को पूरा करने भाजपा प्रण-प्राण से जुटी है. कार्यकर्ताओ में उनके नेता उर्जा भर रहे है और पूरा संगठन भी देश में तीसरी बार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने जुट गया है. वहीं लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के रूप में बिगुल बज जाने के बावजूद कांग्रेस सुप्त पड़ी दिखाई दे रही है. जिससे लगता है कि कांग्रेस चुनावी मैदान में लड़ने से पहले हार मान बैठी है.  टिकिटो का दावा करने वाले कांग्रेसी नेता भी मौन साधे बैठे है, ऐसा लगता है कि शायद, संसदीय क्षेत्र में हार का आभाष ना केवल नेताओं बल्कि कार्यकर्ताओं को भी हो गया है, तभी तो जिले में किसी प्रकार की कोई गतिविधि नजर नहीं आ रही है.

विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन करने के बावजूद महज दो महिने में भी नेता अलग और कार्यकर्ता अलग नजर आने लगे है. जो कभी चुनाव में साथ नजर आते थे, आज वे नेताओं के साथ ढूंढने से भी नहीं मिलते है. या तो वह नेता को समझ गए है, या नेता उन्हें समझ गया है. जिला संगठन, कमजोर हालत मंे दिखाई दे रहा हैं, संगठन के अध्यक्ष से ज्यादा अध्यक्ष, विधायकी पर ज्यादा फोकस कर रहे है. शायद उन्हें अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि वह कैसे जीत गए या फिर इतने कम वोट उन्हें कैसे मिले. हालांकि कांग्रेस संगठन की स्थिति कभी अच्छी नहीं रही लेकिन बीते संगठन अध्यक्ष से इस बार संगठन और कमजोर दिखाई दे रहा है. बड़े नेताओं के सामने चेहरे चमकाने वाले नेता भी ऐसे दुबक कर बैठे है, जैसे चुनाव को अभी महिनो हो. तभी तो भाजपा, यह दावा करते नहीं थकती कि कांग्रेस किसी भी को मैदान में उतार ले, वह पराजय का ही सामना करेगी. जिले की इस हालत पर प्रदेश नेतृत्व भी मौन ही दिखाई दे रहा है, तब ही तो अब तक लोकसभा प्रभारी तक बालाघाट नहीं पहुंचे है. लगता है कि कांग्रेस में सब रामभरोसे है या फिर पार्टी से ज्यादा, वे अपनी नेतागिरी तक ही सीमित रहना चाहते है, लेकिन वे यह भुल रहे है कि आज जो पहचान उन्हें मिली है, वह एक राजनीतिक दल के नेता, पदाधिकारी या कार्यकर्ता होने के कारण मिली है. जिले में कांग्रेस संगठन की स्थिति से लगता है कि भाजपा अभी से चुनाव जीत गई है, बस उसे चुनावी औपचारिकता निभाना है.


Web Title : CONGRESS FELL DORMANT ON THE BUGLE SOUNDING FOR LOK SABHA ELECTIONS, DID CONGRESS GIVE UP BEFORE FIGHTING?