जिम्मेदारो की लापरवाही से फूटी अंग्रेजो के समय की नहर, नहर का पानी नदी में व्यर्थ, सीपेज पर ध्यान देते तो नहीं होती घटना

बालाघाट. जिले के प्रशासनिक विभागीय अधिकारियो की कार्यप्रणाली उस समय सवालों के घेरे में खड़े हो जाती है, जिस समय जानकारी के बाद भी विभाग के जिम्मेदार ध्यान नहीं देते और उसका परिणाम नुकसान के रूप में उठाना पड़ता है. ऐसा ही नुकसान मेंहदीवाड़ा नहर के फूट जाने से सामने आया हैं. जहां विभाग के जिम्मेदारो की लापरवाही से अंग्रेजो के समय की गोटाडोल नहर फूट गई. हालांकि नहर कब फूटी, इसका कोई जानकारी नहीं है, जब लोगो ने सुबह देखा तो नहर के दोनो ओर से पानी नीचे से बहने वाली चनई नदी में व्यर्थ बह रहा था. घंटा के घंटो बाद भी जिम्मेदारों का घटनास्थल पर नहीं पहुंचना, साबित करता है कि विभागीय जिम्मेदार कितने लापरवाह है.

बताया जाता है कि मेंहदीवाड़ा से होकर गुजरने वाली गोटाडोल नहर, में काफी समय से सीपेज हो रहा था. जिसकी जानकारी जागरूक लोगो ने संबंधित विभाग को भी दी लेकिन विभाग के जिम्मेदारों की मनमर्जी से काम करने वाली कार्यप्रणाली ने ना केवल अंग्रेजो के समय बनी मजबूत नहर को तोड़ दिया बल्कि बड़ी मात्रा में पानी भी व्यर्थ चला गया.  

जिसका परिणाम भविष्य में नहर से आश्रित किसानों को उठाना पड़ सकता है. चूंकि नहर का भाग जिस तरह से टूटा है, उसे बनाने में काफी लंबा समय लग सकता है. जिससे इस नहर के पानी पर आश्रित किसानों को भविष्य में रबी की फसल के दौरान परेशानी उठानी पड़ सकती है.  

क्षेत्रीय लोगों की मानें तो नहर की पुलिया सुबह 4 बजे के लगभग टूटी और उसके बाद से लगातार नहर का पानी नीचे से बहने वाली चनई नदी में गिरने लगा. जिसके बाद भी घंटो तक कोई जिम्मेदार वहां नहीं पहुंचा और ना ही नहर के पानी को बंद करने का प्रयास किया गया, ताकि व्यर्थ हो रहे पानी को बचाया जा सके. फिलहाल जिले के विभागीय जिम्मेदारों की लापरवाहीपूर्ण कार्यप्रणाली ने ना केवल नहर को टूटने पर मजबूर कर दिया, बल्कि इससे जुड़े कई लोगों पर भविष्य में होने वाली परेशानी और पानी की बर्बादी को खड़ी कर दिया.  


Web Title : DUE TO THE NEGLIGENCE OF THE RESPONSIBLE, THE CANAL OF THE BRITISH ERA, THE WATER OF THE CANAL WAS WASTED IN THE RIVER, IF YOU PAY ATTENTION TO THE SEEPAGE, THE INCIDENT WOULD NOT HAVE HAPPENED.