मोती गार्डन बना गौशाला,मार्निंग वाक करने वाले लोगों को गायों से बचकर पड़ रहा निकलना, रास्ते में पड़ी रेत और गिट्टी

बालाघाट. नगर का एकमात्र मोती गार्डन, जहां न केवल मार्निंग वॉक करने सुबह बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है, अपितु नगर के लोगों का यह पसंदीदा स्थल है, कभी यहां तालाब के किनारे बने गार्डन के सौन्द्रर्य को निहारने लोगों को जमावड़ा रहता था. हालांकि कोविड-19 और गार्डन में कच्छप गति से चल रहे निर्माण कार्याे के दौरान केवल सुबह घूमने ही लोग यहां पहुंच रहे है. मोती गार्डन के सौन्द्रर्य को निखारने लाखो-करोड़ो रूपये खर्च किये जा रहे है, लेकिन कच्छप गति से चल रहे कार्य के चलते मोती तालाब के सौन्द्रर्य पर ग्रहण लग गया है, अब मोती गार्डन अपने नये सौन्द्रर्य में कब नजर आयेगा, यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन वर्तमान समय में जहां केवल मोती गार्डन का फ्रंट ही नवनिर्माण और एक पानी में धुलने वाली वॉल पेटिंग से थोड़ा ठीक नजर आता हैं लेकिन जब गार्डन के अंदर पहुंचो तो गार्डन गौशाला नजर आता है, जहां पूरे रास्ते में मवेशियों को जमावड़ा होता है. सुुबह-सुबह मोती गार्डन में सैर करने पहुंचने वालों जब रास्ते में मवेशी बैठा देखते तो अपनी रास्ता मोड़ लेते है, जिसको लेकर सुबह घूमने आने वालों में नपा की गार्डन की व्यवस्था को लेकर नाराजगी भी देखी जा रही है. आलम यह है कि तालाब क्षेत्र में महिनों से निर्माण सामग्री रास्ते में पड़ी है पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा रहा है, जिससे निर्माण के लिए खोदे गये गढ्ढे भी रेत और मिट्टी से भर गये है.

फेवर्स पायदान पर मवेशियों का जमावड़ा

मोती गार्डन का पूरा क्षेत्र लगभग डेढ़ दो किलोमीटर लंबा है, जहां प्रतिदिन लोग सैर करने पहुंचते है और जब वह गार्डन के सामने से आगे की ओर बढ़ते है तो उनका सीधा सामना फेवर्स पायदान में बैठे और खड़े मवेशियों से होता है, जहां जगह-जगह मवेशी बैठे रहते है वहीं पूरे मार्ग पर गाय के गोबर की गंदगी पड़ी रहती है, जिससे ताजी हवा में सैर करने वाले लोगों को गोबर की तीक्ष्ण गंध का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है कि कॉलोनी की ओर से लगे पूरे पायदान रास्ते में मवेशियों का जमावड़ा और गोबर पड़ा मिलता है. जिसकी ओर नपा का कोई ध्यान नहीं है. दान में मिली जगह को नगर के सौन्द्रर्य के लिए संजोय रखने में भी नपा द्वारा लापरवाही की जा रही है, जिससे नागरिको में नाराजगी देखी जा रही है.  

महिनों से उंचाई पर लगा झंडा नदारद

वर्ष 2020 की 26 जनवरी को तत्कालीन कांग्रेस शासनकाल में खनिज मंत्री रहे वर्तमान भाजपा सरकार के निगम अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल द्वारा यहां 80 फीट उंचा तिरंगा झंडा फहराया गया था. गत 26 जनवरी को मध्यप्रदेश शासन के खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल ने बालाघाट के मोती तालाब के किनारे डेयरी के पास 80 फीट उंचा तिरंगा झंडा फहराया. 80 फीट की उंचाई पर हमेशा लहराने वाला यह विशाला तिरंगा झंडा बालाघाट को एक नई पहचान देने वाला था. 80 फीट की उंचाई पर लहराने वाला 21 फीट लंबाई एवं 14 फीट चौड़ाई का तिरंगा झंडा एक आकर्षण का केन्द्र था, लेकिन समय के साथ ही यह बालाघाट को पहचान देने वाला यह तिरंगा महिनों से गायब है. जिसे लगाने के लिए नपा द्वारा कोई प्रयास किये जा रहे है, ऐसा दिखाई नहीं देता है. यह दूसरी मर्तबा है, जब 80 फीट के उंचाई पर लगा बालाघाट की पहचान तिरंगा झंडा अपने स्थान से गायब है. तत्कालीन समय में बरसात में तिरंगा झंडे के फट जाने को नपा ने हटाये जाने की वजह बताया था लेकिन अब नपा के पास इसको हटाये जाने की कोई वजह भी साफ दिखाई नहीं दे रही है. बालाघाट की पहचान यह तिरंगा झंडा नपा से ही अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.

महिनों से पायदान रास्ते पर पड़ी रेत एवं गिट्टी

बताया जाता है कि 80 फीट उंचाई पर झंडे को लगाने और निकलने में आ रही दिक्कतों को लेकर इसके पास रैंप बनाया जाना है, ताकि झंडा लगाने में किसी प्रकार की कोई समस्या न हो, जिसके लिए बकायदा 80 फीट उंचे पोल के पास पायदान रास्ते के किनारे पर चार-पांच गढ्ढे खोदे गये और वहीं पर नपा द्वारा गिट्टी और रेत लाकर रखी गई लेकिन रैंप बनाने में की जा रही देरी के चलते जहां गढ्ढे रेत के बिखरने और मिट्टी के फैलने से भर गये है, वहीं वहीं वहां पड़ी गिट्टी और रेत अव्यवस्थित रूप से पूरे मार्ग पर फैल गई है, जिससे न केवल नपा को गढ्ढे खोदे जाने की राशि का नुकसान हो रहा है, वहीं निर्माण कार्य में देरी से लागत भी बढ़ने से नपा का अतिरिक्त खर्च होना है, जो नपा के जिम्मेदारों की जेब से नहीं बल्कि आम जनता के टैक्स के रूप में दिये जाने वाली राशि से खर्च होना है.  

गार्डन में सफाई के नाम पर केवल दिखावा

मोती गार्डन की हालत अनाथों की तरह हो गई है कहने को गार्डन की पूरी देखरेख और सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी नपा की है, लेकिन देखने में आ रहा है कि चेहरा सुधारने की सोचने वाले जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण पूरा गार्डन गंदगी से अटा पड़ा है, गार्डन में कचरा डालने के लिए वैसे तो नपा ने डस्टबिन लगाये रखे है कि ताकि गार्डन आने वाले लोग इसका उपयोग करें, लेकिन उसका उपयोग कॉलोनीवासियों द्वारा घरों के कचरे को फेंकने में उपयोग किया जा रहा है, जिससे डस्टबीन भरे पड़े है और उसकी गंदगी पूरे गार्डन में फैलकर गार्डन की सुंदरता पर दाग लगा रही है. जिससे भी गार्डन घूमने आने वालों को कचरे की गंदगी का सामना करना पड़ रहा है. स्वच्छता सर्वेक्षण में जुटी नगरपालिका की गार्डन के गंदगी को लेकर दिखाई जा रही लापरवाही ने पूरे गार्डन को गंदगी से भर दिया है. वहीं तालाब की सफाई नहीं होने से तालाब के चारों ओर गाजरघास उग आई है जो तालाब के सौन्द्रर्य को प्रभावित कर रही है.


इनका कहना है

मोती गार्डन में मवेशियों की जानकारी मिलने पर वहां से मवेशियों को हटाने का काम किया जायेगा. गार्डन में डस्टबिन में भरे पड़े कचरे को साफ करने की कार्यवाही की जायेगी. 80 फीट उंचाई पर लगने वाले तिरंगा झंडा रखा है, जिसके पास रैंप बनाने का कार्य किया जा रहा है, रैंप बनते ही कुछ ही दिनो में तिरंगा झंडा भी लगा दिया जायेगा. 8 से 10 दिनो में यह कार्य पूरा कर लिया जायेगा.

सतीश मटसेनिया, सीएमओ

Web Title : PEARL GARDEN MADE GAUSHALA, MARNING WALK PEOPLE ESCAPE COWS, SAND AND BALLAST ON THE WAY