पूर्व विधायक संजीव सिंह ने कोर्ट से मांगी इच्छा मृत्यु

धनबाद. झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह ने मंगलवार को अदालत में आवेदन देकर इच्छा मृत्यु मांगी. संजीव सिंह अपने चचेरे भाई पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या की साजिश रचने के मामले में जेल में बंद हैं. 11 जुलाई से न्यायिक अभिरक्षा में एसएनएमएमसीएच में उनका इलाज चल रहा है. इलाज से असंतुष्ट संजीव सिंह ने पूर्व में अर्जी दाखिल कर अपने खर्च पर निजी अस्पताल में इलाज की अनुमति मांगी थी. इजाजत नहीं मिलने पर संजीव सिंह की ओर से मंगलवार जिला एवं सत्र न्यायाधीश 16 अखिलेश कुमार की अदालत में इच्छा मृत्यु संबंधी याचिका दाखिल की गई.
एसएनएमएमसीएच के क्रिटिकल वार्ड में भर्ती संजीव सिंह को एसएनएमएमसीएच के अधीक्षक की ओर से बेहतर इलाज के लिए रांची स्थित रिम्स भेजने की अनुशंसा की गई थी, जिसपर अदालत ने मुहर लगा दी थी. एसएनएमएमसीएच में गठित मेडिकल बोर्ड की ओर से संजीव सिंह के यूएसजी व एमआरआई की जांच कराने की अनुशंसा की गई थी. उनके अधिवक्ता जावेद का कहना है कि अस्पताल में इन जांचों की व्यवस्था न होने के कारण संजीव सिंह का इलाज ठीक ढंग से अबतक नहीं हो रहा है. दूसरी ओर संजीव सिंह का पिछले डेढ़ सप्ताह से यूरिन डिस्चार्ज न होने के कारण तकलीफ और बढ़ गई है. संजीव सिंह की जांच और इलाज के लिए पिछले कई दिनों से पत्राचार किया जा रहा है, परंतु कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है.

.. . तो सम्मानपूर्वक मरने की दें इजाजत: एमपी-एमएलए के मामलों के लिए गठित विशेष अदालत में बहस करते हुए संजीव सिंह के अधिवक्ता जावेद ने कहा कि संजीव सिंह को सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है, तो सम्मान के साथ मरने का आदेश दिया जाए. यह उनका मौलिक अधिकार है. अधिवक्ता ने संविधान के अनुच्छेद-123 का हवाला देते हुए उच्चतम न्यायालय की ओर से कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया वर्ष 2018 में दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए बताया गया कि तीन जजों के संवैधानिक बेंच ने बताया था कि विचाराधीन बंदी को इच्छा मृत्यु का अधिकार है. उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि मरणोपरांत उनके अंगों को जरूरतमंद लोगों को दान करने की इजाजत दी जाए. पिछली और वर्तमान चिकित्सा रिपोर्ट से पता चलता है कि वे लगभग एक दर्जन बीमारियों से पीड़ित हैं.