सरकार से नाराज शराब ठेकेदारों ने बंद की दुकानें, शराब एशोसिएशन के आव्हान पर जिले मंे देशी, विदेशी मदिरा की सभी 102 दुकानें बंद

बालाघाट. सरकार के रवैये से नाराज शराब एशोसिएशन के आव्हान पर पूरे प्रदेश में शराब कारोबारियों ने देशी, विदेशी शराब दुकानों को बंद कर दिया है. बालाघाट जिले में शराब एशोसिएशन के आव्हान पर जिले की सभी 102 देशी, विदेशी शराब दुकानों को बंद कर दिया गया है. जिससे आज 26 मई को सोमवार को सभी देशी, विदेशी शराब दुकानों में ताले लटके रहे. जिससे शराब प्रेमियो को फिर निराशा का सामना करना पड़ा. हालांकि जिले के शराब कारोबारियों की ओर से अधिकारिक रूप से शराब दुकानों को बंद रखने को लेकर कोई जानकारी नही दी गई.  

सूत्रों की मानें तो शराब के ठेके कोविड-19 बीमारी के पहले हुए थे. जिसमें शराब दुकानों को लगभग 14 घंटे शराब दुकान खोलने की अनुमति दी, लेकिन इसके बाद विश्वव्यापी कोरोना महामारी के भारत देश में दस्तक देने के बाद 25 मार्च से पूरे देश मे ंलॉक डाउन कर दिया गया. जिसमें शराब दुकानों को भी बंद कर दिया गया. जिसके बाद, लगभग 47 दिनों तक शराब दुकानें पूर्णतः बंद रही. 4 मई से प्रारंभ हुए लॉक डाउन के चौथे चरण में सरकार के दबाव के बाद ठेकेदारों ने 6 मई से शराब दुकानें तो खोल ली लेकिन कोविड-19 के कारण दुकानों को कम समय में खोलने के कारण शराब दुकानों की बिक्री 30 से 35 प्रतिशत रह गई. यही नहीं बल्कि काम धंधे बंद होने से लोगों की आवक नहीं होने आम दिनों की अपेक्षा शराब की बिक्री पर पड़ रहे असर के कारण शराब व्यवसाय पूरी तरह से लगभग ठप्प सा हो गया. ऐसे में सरकार को दी जाने वाली लायसेंस फीस भी शराब ठेकेदार नहीं निकाल पा रहे है, जिसके कारण शराब व्यवसाय को संचालित करना शराब व्यवसायियों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है. ऐसे में शराब व्यवसायी सरकार से राहत चाह रहे थे लेकिन सरकार द्वारा शराब एशोसिएशन को सरकार से कोई राहत नहीं मिलने से शराब एशोसिएशन ने 26 मई सोमवार से पूरे प्रदेश में शराब दुकानों को बंद करने का फैसला लिया. जिसका असर भी प्रदेश में देखा जा रहा है.  

सूत्रों की मानें तो प्रदेश शराब एशोसिएशन के आव्हान पर प्रदेश के बुराहनपुर, शिवपुरी, मंदसौर, सिंगरौली, छिंदवाड़ा, डिंडौरी, बालाघाट, बैतूल, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, उज्जैन की सभी देशी एवं विदेशी शराब दुकानें बंद है तो सिवनी और मंडला भी में अधिकांश शराब दुकानें बंद हो गई है.  

  ठेकेदार लायसेंस फीस करने की मांग कर रहे है, ठेकेदारों का कहना है कि जब ठेके लिये गये थे, उस दौरान कोरोना बीमारी नहीं थी और ठेके चलाने के लिए समय भी ज्यादा था, लेकिन कोरोना महामारी के बाद शराब दुकान के समय को निर्धारित कर दिया गया. वहीं लॉक डाउन के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे है. जिससे शराब की बिक्री में खासी गिरावट हुई है, जिसके चलते लायसेंस फीस की राशि जमा करना उनके लिए संभव नहीं है. जिसको लेकर ठेकेदार सरकार से राहत देने की मांग कर रहे है.

कच्ची शराब की बिक्री से पड़ रहा असर

सूत्रों की मानें तो कोविड-19 से निपटने किये गये लॉक डाउन के कारण 47 दिनों तक देशी और विदेशी शराब दुकानें बंद रही. इस दौरान बड़ी मात्रा में गांव-गांव में कच्ची शराब निकलने से उसकी बिक्री बढ़ने लगी और जब दुकानें खुली तो सुराप्रेमी, कच्ची शराब को छोड़कर देशी और विदेशी शराब दुकानों की ओर आने से परहेज करने लगे. जिसके कारण भी शराब दुकानों से शराब की बिक्री पर खासा असर पड़ा.  

तो व्यवसाय और व्यवसायी दोनो हो रहे प्रभावित

बताया जाता है कि कोविड-19 में लॉक डाउन के दौरान सरकार से प्रदेश शराब एशोसिएशन द्वारा शराब दुकानों को नहीं खोलने का आग्रह किया गया था, ताकि कोरोना संक्रमण को रोका जा सके और ऐसा नहीं होने पर लायसेंस फीस को कम करने की मांग शराब कारोबारी कर रहे थे, लेकिन सरकार के दबाव मंे ठेकेदारों ने शराब दुकान तो खोल दी किन्तु शराब की बिक्री में 70 से 65 प्रतिशत तक कमी आने से शराब कारोबारी चितिंत है. ऐसे में शराब कारोबारियों के लिए शराब व्यवसाय करना संभव नहीं है. जिसे देखते हुए प्रतित होता है कि यदि सरकार, इस व्यवसाय को लेकर राहत प्रदान नहीं करती है तो प्रदेश में शराब व्यवसाय और व्यवसायियों पर इसका विपरित प्रभाव पड़ेगा.  


Web Title : LIQUOR CONTRACTORS ANGERED BY GOVERNMENT CLOSED ALL 102 SHOPS OF DOMESTIC, FOREIGN LIQUOR IN THE DISTRICT ON THE INVOCATION OF CLOSED SHOPS, LIQUOR ASSOCIATIONS