टॉवर नहीं पक्के मकानों के कारण शहर से कम हुई गौरेया-त्रिपाठी, पक्षीप्रेमी फोटोग्राफर ने पक्षी सर्वे पर साझा किये अनुभव, सोनेवानी वन को किया जाये अभ्यारण्य घोषित

बालाघाट. जिले के शान कान्हा नेशनल पार्क में गत 18 से 21 फरवरी तक बर्ड सर्वे इंदौर एवं सिंघीनावा कंजरवेशन फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित किया गया था. इस सर्वे में 11 राज्यो से 85 पक्षी विशेषज्ञों को शामिल किया गया. जिसमें वारासिवनी निवासी वन्यजीव प्रेमी एवं फोटोग्राफर रामानंद त्रिपाठी शामिल थे. सर्वे टीम में शामिल पक्षी प्रेमी रामानंद त्रिपाठी ने चर्चा मे बताया कि कान्हा टाईगर रिजर्व में पक्षी सर्वे में शामिल होने का पहला अनुभव है. हालांकि बचपन से ही पक्षियों के प्रति उानका लगाव रहा है. चंूकि सिविल लाईन मंे बडे़-बडे़ पेड मौजूद है. जहां विभिन्न प्रजातियों के पक्षी निवास करते है. रंग बिरंगे पक्षियों को देखकर उन्हे बचपन से ही सुखद अनुभूति होती रही है. 2014 मे उन्होंने कैमरा खरीदने के साथ ही पक्षियों की फोटो एवं वीडियों बनाना प्रारंभ किया. इस दौरान उन्हांेने लगभग 250 विभिन्न प्रजातियों की पक्षियों के फोटो एवं वीडियो अपने कैमरे मे कैद किये है. जो उनके ऐरोमा वर्ल्ड यू ट्यूब में साईड है. ज्ञात हो कि श्री त्रिपाठी द्वारा अनेक दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों के जीवन एवं क्रिया कलापों का विस्तृत चित्रण को देखा जा सकता है.  

सोनेवानी अभ्यारण संघर्ष समिति के प्रेरणास्त्रोत त्रिपाठी ने बताया कि जब इंटरनेट का जमाना नही था, तब से वह इस क्षेत्र में कार्य कर रहे है. पहले वह पक्षियों की पहचान रंगों, आकार, छोटी चांेच, बडी चोंच के आधार पर करते थे, किन्तु जबसे इंटरनेट आया है, तब से उन्होंने पक्षियों को नामों से पहचानना प्रारंभ किया है. आज लगभग 300 पक्षियों नाम मालूम है.  

पक्षी फोटोग्राफर रामानंद त्रिपाठी ने बताया कि अक्सर लोगों के द्वारा कहा जाता है कि मोबाईल टावर के रेडियेशन से पक्षी समाप्त होने लगे है, किन्तु उन्हें लगता है कि मोबाईल टावर से पक्षियों पर कुछ असर नहीं होता है. बात करें गौरैया पक्षी की तो पहले कवेलु के मकान में गौरैया घोसला बनाकर अंडे देकर अपना परिवार बढ़ाती थी. अब पक्के स्लेप वाले मकानों में गौरैया घोसला नही बना पाती. जिसके कारण गौरैया पक्षी ग्रामीण क्षेत्रों और खेतों की ओर चली गई है.  

श्री त्रिपाठी ने बताया कि यह सच है कि बर्ड फ्लु घातक संक्रमण है. जिसके लिए पक्षियों को संक्रमण का वाहक माना गया है. हालांकि विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों द्वारा पक्षियों के कारण किसी इंसान को बर्ड फ्लु होने का दावा या कोई मामला नही आया है. बर्ड फ्लु को देखते हुए अनेक राज्यों मे प्रवासी पक्षियों पर नजर रखते हुए उनसे दूरी बनाने की बात सामने आई थी. जो मेरे अनुसार थोड़ी जल्दबाजी है, सबसे पहले विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों की टीम बनाकर इस विषय पर निर्णय लेना चाहिये.   

उन्होंने बताया कि यह बात सच है कि जितनी पेड़ों की कटाई होगी उतने पक्षी विलुप्त होते होते जायेंगे. क्योकि पेड़ ही पक्षियों की दुनिया होती है. जहां पक्षी अपना घोसला बनाता है और अपना परिवार बढ़ाता है, किन्तु जिस रफ्तार से पेड़ों की कटाई हो रही है, उसी रफ्तार से पक्षियों की संख्या एवं प्रजातियां कम होती जा रही है. कान्हा के पक्षी सर्वे टीम में शामिल होने का अवसर मिला, यह अनुभव शानदार रहा. उन्हांेने अपनी टीम के साथ लगभग 73 पक्षियों की पहचान की. जिसमे अनेक प्रवासी पक्षी एवं दुर्लभ पक्षी भी शामिल है. इस बार बड़ी संख्या में पक्षियों की अलग-अलग प्रजाति टीमों द्वारा खोजी गई है. जिसमे प्रमुख रूप से हिमालयन रूबीथ्रोट पहली बार कान्हा में देखी गई. इसके अलावा ग्रीफोन वल्चर, हिमालयन वल्चर, ब्लेक नेपाड ओरिओल, फायर केप्पड टिट, बार विंग फलाईकेचर जैसी बहुत कम दिखाई देने वाली पक्षियों की प्रजाति देखी गई.  

पक्षीप्रेमी फोटोग्राफर त्रिपाठी ने कहा कि सोनेवानी वन को अभ्यारण के रूप मे विकसित किया जाना, केवल वन एवं वन्य प्राणियों के हित में ही नही अपितू पर्यावरण को संरक्षित एवं सुरक्षित करने के दिशा में एक सार्थक कदम होगा. आज जिस तेजी से जंगलों एवं जंगली जानवरों का सफाया हो रहा है. वहीं आने वाली पीढ़ियों के लिए कष्टदायी होगा. इसीलिए हमें आज ही इसके लिए तैयार होना पडे़गा. जंगलो एवं जगली जानवरों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयास करने होंगे. सोनेवानी मंे वन्य प्राणियों की बाहुलता एवं विभिन्नतायें अभ्यारण के रूप मे विकसित करने के पक्ष में है.


Web Title : NO TOWER PUCCA HOUSES REDUCED FROM CITY TO GAURYA TRIPATHI, ORNITHOLOGIST PHOTOGRAPHER SHARES EXPERIENCE ON BIRD SURVEY, SONWANI FOREST TO BE DECLARED SANCTUARY