रेलवे की वादाखिलाफी से नाराज भुख हड़ताल पर बैठे युवा,कटंगी-तिरोड़ी रेल परियोजना में भूमि देने वाले किसान परिवार के युवाओं ने शुरू किया आंदोलन

कटंगी. कटंगी-तिरोड़ी रेल परियोजना भू-अर्जन के बाद रेलवे द्वारा भूमि देने वाले किसानों से मुआवजा के साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया था, जिसमें रेलवे विभाग ने 42 किसान परिवार के युवा सदस्यों को नौकरी तो दे दी लेकिन शेष किसानों के परिवारों के युवा सदस्य अब भी रेलवे की नौकरी देने के वादे का पूरा होने का इंतजार कर रहे है लेकिन इंतजार की इंतेहा के बाद अब युवाओं ने रेलवे विभाग की वादाखिलाफी के खिलाफ भुख हड़ताल शुरू कर दी है. 12 जनवरी से परियोजना के लिए भूमि देने वाले उन किसान परिवार के युवा सदस्यों ने भुख हड़ताल आंदोलन छेड़ दिया है, जिन्हें रेलवे विभाग ने नौकरी देने का वादा किया था.  

गौरतलब हो कि रेलवे द्वारा कटंगी-तिरोड़ी परियोजना के लिए वर्ष 2015 में 214 किसानों से भूमि अधिग्रहित की थी. भूमि अधिग्रहण के बाद सभी किसानों को मुआवजा प्रदान किया जा चुका है. मगर, रेलवे ने भू-अर्जन के नियमानुसार प्रभावित किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी नहीं दी है. जानकारी के मुताबिक कटंगी-तिरोड़ी रेल परियोजना के लिए जिन किसानों की भूमि अर्जन की गई उनमें से 163 किसान परिवारों के सदस्यों ने रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन किया था. जिसमें रेलवे 42 किसान परिवार के लोगों को नौकरी दे चुका है परंतु शेष 121 आवेदकों को लगातार रेल अधिकारी गुमराह कर भ्रामक जानकारी दे रहा है. जिससे युवाओं में आक्रोश है तथा नौकरी को लेकर रेलवे विभाग द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं मिलने की वजह से अब युवा नौकरी नहीं मिलने तक भूख-हड़ताल पर बैठ गये है.   

रेलवे विभाग द्वारा रेल परियोजना के लिए भूमि देने पर मुआवजा और नौकरी देने का वादा किया था. जिसके चलते उनके परिवारो ने अच्छा मुआवजा और नौकरी भी मिलेगी. क्षेत्र को नई रेल की सौगात भी मिलेगी. इसी उम्मीद के साथ अपनी खेती की जमीन रेलवे को प्रदान करने वाले किसान परिवारों के बेरोजगार युवा अब रेल विभाग में नौकरी नहीं मिलने की वजह से परेशान है. इन युवाओं की उम्र बढ़ती जा रही है और रोजी-रोटी का संकट भी मंडरा रहा है. मगर, अफसोस और चिंता की बात तो यह है कि इन बेरोजगार युवाओं की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. यह बेरोजगार युवा रेलवे की तय शर्त के मुताबिक नौकरी के लिए बीते 3 सालों में सांसद, विधायक, डीआरएम, जीएम और ना जाने रेलवे के कितने ही दर्जनों कार्यालयों में आवेदन ले-लेकर चक्कर काटकर थक चुके है और आंदोलन तथा भूख-हड़ताल को नौकरी की राह मान रहे है. ठंड के मौसम में इन युवाओं की भूख हड़ताल का रेलवे पर कितना असर पड़ेगा अभी यह कहना मुश्किल है. कल्पना करें जिस किसान ने अपने बच्चे का भविष्य संवारने के लिए रेलवे को अपनी जमीन दे दी. वहीं रेलवे आज किसान और उसके पूरे परिवार को ठंड में भूख-हड़ताल पर बैठने के लिए मजबूर कर चुका है. हालाकिं युवाओं ने अब ठान रखा है कि जब तक रेलवे नौकरी नहीं देता भूख हड़ताल जारी रहेगी. मंगलवार को आलोक चौधरी, अंशुल ठाकरे, कमल राहंगडाले ने कटंगी में बायपास के पास भूख हड़ताल पर बैठ गये है. जिन्हें सभी प्रभावित किसानों और उनके परिजनों सहित बेरोजगार युवाओं ने समर्थन दिया है.

     ज्ञात हो कि इसके पूर्व भी इन बेरोजगार युवकों ने अक्टूबर 2020 में तिरोड़ी में शांतिप्रिय धरना प्रदर्शन शुरू किया था. जिसके बाद रेल अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए लिखित में शीघ्र ही नौकरी की कार्यवाही शुरू करने का आश्वासन देकर धरना प्रदर्शन समाप्त करवाया था किन्तु आज तक रेल प्रशासन ने युवाओं को नौकरी देने के लिए कोई ठोस कागजी कार्यवाही नहीं की है.

वास्तविकता यह है कि कटंगी-तिरोड़ी रेलपरियोजना में अपनी भूमि देने वाले किसान परिवार के 163 आवेदकों ने साल 2016 में पहली बार नौकरी के लिए आवेदन किया. आवेदन करने के बाद युवक नौकरी का इंतजार करने लगे. रेलवे ने इन आवेदकों को नौकरी प्रदान करने की पूरी कागजी कार्यवाही और सत्यापन प्रक्रिया में 2 साल का समय गुजार दिया. इस 2 साल में दर्जनों बार आवेदकों को नागपुर कार्यालय बुलाया गया और जब नौकरी देने की बारी आई तो अप्रैल 2019 में महज 42 लोगों को नौकरी प्रदान की गई. जबकि शेष आवेदकों को पहले वैश्विक माहमारी कोरोना का लिखित बहाना और अब भू-अर्जन अधिनियम 2013 के नियम कायदे-कानूनों का मौखिक रुप से हवाला दिया जा रहा है. जबकि इन आवेदकों की दस्तावेजों का स्क्रुटनी एवं भोपाल बोर्ड से सत्यापन हो चुका है. फिलहाल समय पर नौकरी नहीं मिलने से युवा अपने भविष्य को लेकर चिंतित तथा परेशान है इन युवाओं का कहना है कि उम्र बढ़ती जा रही है ऐसे में अगर समय पर नौकरी नहीं मिली तो परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल होगा.


Web Title : YOUTH OF FARMER FAMILY WHO GAVE LAND IN KATANGI TIRODI RAIL PROJECT, WHO WERE ON A HUNGER STRIKE ANGERED BY RAILWAYS PROMISE, LAUNCHED AGITATION