मैंने चार साल पहले ही बताया, सभी 39 भारतीय नहीं हैं जिंदा : प्रत्यक्षदर्शी

नई दिल्ली : चार साल बाद केंद्र सरकार ने संसद में ये मान लिया है कि इराक में लापता हुए 39 भारतीय अब जिंदा नहीं हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संसद में बयान दे चुकी हैं. इस मामले पर सियासत भी हो रही है. बहरहाल, पूरे मामले में एक शख्स चर्चा में है. उसका नाम है हरजीत मसीह. हरजीत 2013 में इराक के मोसुल शहर पहुंचा और करीब एक साल बाद जून 2014 में वहां से किसी तरह भारत वापस आया. मसीह का दावा है कि उसने चार साल पहले ही बता दिया था कि इराक में लापता 39 में से कोई भी भारतीय जिंदा नहीं है. लेकिन, सरकार ने उसकी बात पर भरोसा नहीं किया.

- मसीह के मुताबिक, मैं जून 2013 में मोसुल गया था. आईएस के करीब 50 नकाबपोश आतंकी हमें अगवा कर एक कपड़ा फैक्ट्री में ले गए. वहां भारतीयों और बांग्लादेशियों को अलग-अलग किया गया. हम 40 भारतीयों को पहाड़ी इलाके में ले गए.

- वहां सबसे कतार में घुटनों के बल बैठने को कहा गया. इसके बाद आतंकियों ने फायरिंग की. कुछ देर चीखों की आवाज आई. फिर मौत का सन्नाटा छा गया.

- कुछ घंटे बाद जब होश आया. मेरे चारों तरफ खून ही खून था. सभी 39 साथी मर चुके थे. एक गोली मेरे दाएं पैर और हाथ को छूकर निकल गई थी. मैं वहां से जैसे-तैसे निकला. टैक्सी पकड़कर एयरपोर्ट पहुंचा. दसूरी टैक्सी ने मुझे आईएस के कब्जे वाली चेकपोस्ट तक पहुंचा दिया.

- मैंने उन्हें बताया कि मैं बांग्लादेशी हूं, मेरा पासपोर्ट खो गया है. उन्होंने मुझे जाने दिया. मुझे मेरी कंपनी वापस भेज दिया. वहां मैंने किसी से फोन मांगकर भारतीय दूतावास से संपर्क किया. वहां से 14 जून 2014 को स्वदेश लौट आया.

- सुषमा स्वराज ने कहा था- हरजीत को टॉर्चर नहीं किया गया था बल्कि उसे प्रोटेक्टिव कस्टडी में रखा गया था. उसकी बात पर भरोसा ना किए जाने की कोई वजह नहीं थी बल्कि सरकार को जिम्मेदारी से मामले को हल करना था. हमने तमाम सबूत यहां तक कि बदूश के टीले से बरामद हर शव का डीएनए कराया. जब ये तय हो गया कि ये शव हमारे नागरिकों के ही हैं, तब हमने देश को इसकी जानकारी दी.

Web Title : I MENTIONED FOUR YEARS AGO, ALL 39 INDIANS ARE NOT ALIVE: EYEWITNESS