इंद्राणी और पीटर मुखर्जी का बयान पी चिदंबरम के लिए पड़ गया भारी, अदालत से अदालत तक का चक्कर

नई दिल्ली : कांग्रेस के कद्दावर नेता पी चिदंबरम अपने राजनीतिक जीवन में सबसे बड़ी परेशानी का सामना कर रहे हैं. आईएनएक्स मीडिया मामले में तमाम कानूनी दांवपेंच में मंगलवार को चिदंबरम की सभी दलीलें दिल्ली हाईकोर्ट के सामने नहीं ठहरी. वकीलों की भारी भरकम फौज अदालत के सामने अग्रिम जमानत के संबंध में तर्क पेश कर रही थी. लेकिन अदालत ने साफ कर दिया कि चिदंबरम की भूमिका किंगपिन की तरह है. अगर सीबीआई और ईडी पूछताछ करना चाहती है तो उसमें गलत क्या है.

दिल्ली हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के साथ ही चिदंबरम की याचिका खारिज हो गई और उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई. लेकिन इस मामले में दो ऐसे चेहरे हैं जिनके बारे में भी जानना जरूरी है. अगर इंद्राणी और पीटर मुखर्जी ने बयान न दिया होता शायद कानून के जानकार चिदंबरम को कानूनी झमेले से बचा ले जाते. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.

इंद्राणी ने सीबीआई और ईडी के सामने बयान दिया था कि आईएनएक्स का मामला एफआईपीबी के सामने था. इस सिलसिले में वो और पीटर मुखर्जी दोनों वित्त मंत्रालय के दफ्तर में चिदंबरम से मुलाकात की थी और मदद की गुहार लगाई. लेकिन उस मदद की एक तय कीमत भी थी. प्रवर्तन निदेशालय को दिए गए बयान में पीटर मुखर्जी ने कहा था कि वो चाहते हैं आईएनएक्स मीडिया में एफडीआई की अनुमति दी जाए.

पीटर ने कहा कि वो जो कुछ कर रहे थे वो नियमों के मुताबिक था.  अपनी अर्जी को वो तत्कालीन वित्त मंत्री के सामने रख रहे थे. लेकिन सौदेबाजी की बात चिदंबरम की तरफ से कही गई. उन्होंने कहा कि आईएनएक्स को जरूरी मदद मुहैया कराया जाएगा हालांकि उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को मदद करनी होगी. पीटर के इस बयान का जिक्र ईडी की चार्जशीट में भी है.  

Web Title : INDRANI AND PETER MUKHERJEES STATEMENT TURNED TO P CHIDAMBARAM HEAVY, COURT TO COURT AFFAIR

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