पटना नगर निगम की पार्षद की शिकायत, मेयर के बेटे ने एक बार नहीं कई बार आंख मारी


नई दिल्ली : आंख मारने का शाब्दिक अर्थ होता है इशारा करना. लेकिन व्यवहारिक तौर आंख मारने को अशोभनीय माना जाता है. सवाल ये है कि आंख मारने का प्रसंग क्यों उठ रहा है. दरअसल पटना नगर निगम की बैठक में एक वॉर्ड काउंसलर का कहना है कि शहर के विकास के लिए चर्चा चल रही थी. वो अपनी बात रख रही थीं. लेकिन मेयर के बेटे ने एक बार नहीं कई बार उन्हें आंख मारी. वो हैरान और परेशान थीं कि किसी शख्स का व्यवहार इस तरह का कैसे हो सकता है.  

आंख मारने की इस घटना में मूल रूप से दो किरदार हैं. पिंकी देवीस काउंसलर है और वो अपने आपको पीड़ित बता रही हैं तो शिशिर नाम का एक शख्स है जिसके ऊपर आरोप लगाया गया है. शिशिर, मेयर का बेटा है. पिंकी देवी बताती हैं कि बोर्ड की मीटिंग में शिशिर उनके ऊपर हंसा और आंख मारी. पहले तो उन्होंने उसकी इस अशोभनीय हरकत को नजरंदाज कर दिया. लेकिन वो आंख मारता रहा.  

पिंकी देवी के मुताबिक कि जब शिशिर की मां से शिकायत की बात कही गई तो उसने कहा जाइए शिकायत करिए. जब इस संबंध में नगर निगम परिषद में शिकायत की बात करनी कही तो शिशिर ने कहा कि वो ध्यान हासिल करना चाहती हैं. इस संबंध में उन्होंने बिहार के चीफ मिनिस्टर नीतीश कुमार से हस्तक्षेप करने की अपील की हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटना न हो.  

सवाल ये है कि नगर निगम की महत्वपूर्ण बैठक में मेयर के बेटे का आंख मारना सही था. यह अपने आप में उलझा सवाल है जिसका जवाब उतना ही टेढ़ा. अगर मेयर का बेटा किसी दुर्भावना या आपत्ति के बाद भी इस तरह की अशोभनीय हरकत करता रहा तो वो शर्मनाक है. जानकार कहते हैं कि जब किसी विषय पर गंभीर चर्चा हो रही हो तो इस तरह की हरकत पूरे माहौल की गंभीरता पर सवाल खड़े कर देती है. इसके साथ ही अगर काउंसलर लगातार इस बात की शिकायत कर रहीं थीं कि वो उसकी मां के सामने यह बात रखेंगी तो उस केस में शिशिर का अक्खड़पने के साथ जवाब देना इस बात की तरफ इशारा करता है कि पदासीन लोगों के बेटे किस तरह बेलगाम हो जाते हैं.  

Web Title : PATNA MUNICIPAL CORPORATION COUNCILLOR COMPLAINS, MAYORS SON NOT ONCE IN A ONCE EYED

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