जयपुर विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के नतीजे घोषित, कांग्रेस ने दी बीजेपी को पटखनी

जयपुर : अलवर, अजमेर लोकसभा क्षेत्र और मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजे आ गए. भाजपा के तीनों प्रत्याशियों ही नहीं हारे, 15 मंत्रियों व 14 विधायकों को भी शिकस्त मिली. वह इसलिए कि भाजपा को जिताने का दारोमदार इन्हीं पर था. राज्य सरकार की एंटी इनकमबेंसी व केंद्र के जीएसटी-नोटबंदी जैसे फैसले भी हार की वजह रहे. तभी तो गांवों में ही नहीं, शहरों में भी भाजपा पिछली बढ़त बरकरार नहीं रख सकी.

- कांग्रेस ने जिस तरह से भाजपा को पटखनी दी, उससे इन मंत्रियों के कद और आगामी चुनाव में मौजूदा विधायकों के टिकट पर संकट खड़ा हो सकता है.

- यह इसलिए भी होगा क्योंकि अजमेर और अलवर लोकसभा क्षेत्र की 8-8 सीटों में से 7-7 सीटें भाजपा के पास हैं और कोई भी विधायक अपने क्षेत्र में कांग्रेस की बढ़त नहीं रोक पाया.

- हर विधानसभा सीट पर भाजपा ने एक-एक मंत्री को प्रभारी बनाया, लेकिन ये फौज भी बेअसर रही.

- अजमेर संसदीय क्षेत्र की भाजपा के कब्जे वाली सात सीटों के विधायकों में से दो मंत्री व दो संसदीय सचिव हैं.

- अलवर में खुद श्रम मंत्री डॉ. जसवंत प्रत्याशी थे. यहां भी भाजपा के कब्जे वाली सभी सात सीटों पर कांग्रेस को लीड मिली है. मांडलगढ़ में यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी प्रभारी थे.

- उधर, हार के कारणों पर मंथन के लिए भाजपा मुख्यालय में शुक्रवार को मीटिंग रखी गई है.


जीत का श्रेय सचिन पायलट को 

- विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इस उपचुनाव में तीनों सीटें भाजपा के कब्जे में थीं और तीनों कांग्रेस ने छीन ली.

- उपचुनाव प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में लड़ा गया, ऐसे में जीत का नायक भी उन्हें ही बताया जा रहा है.

- इस सियासी उलटफेर ने न केवल पायलट के कद में बढ़ोतरी की है, बल्कि अजमेर से चुनाव नहीं लड़ने को लेकर उन पर उठे सवालों पर भी लगाम लगी है.

- पायलट ने अजमेर तो जिताया ही, अलवर और मांडलगढ़ भी जीता.


भाजपा के लिए नतीजों के सियासी मायने

1. भाजपा के सभी विधायकों के इलाकों में पार्टी हारी. विधानसभा चुनाव पर इसका असर पड़ेगा. मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरे उतारे जा सकते हैं. मंत्रिमंडल व संगठन में भी बदलाव संभव. डॉ. जसवंत की हार सवाल खड़े करेगी कि उनको मंत्री बनाए रखा जाए या नहीं? 

2. तीनों सीटों पर कांग्रेस की जीत सीएम वसुंधरा के लिए नई चुनौती है. पार्टी में दिल्ली-जयपुर के बीच अंदरूनी संघर्ष बढ़ सकता है.  

3. प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी की भी यह हार है. अगला चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, इस पर भी नए सिरे से मंथन हो सकता है.


कांग्रेस में आएगी नई जान 

1. सचिन पायलट के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद अब तक हुए 8 उपचुनावों में से 6 कांग्रेस जीती है. कांग्रेस में नई जान आएगी, विधानसभा चुनाव में फायदा मिलेगा.

2. अगले चुनाव में प्रमुख चेहरे को लेकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत व पायलट के बीच जो खींचतान चल रही थी, अब साफ हो गया है कि अगला नेतृत्व पायलट का ही रहेगा.  

3. कांग्रेस में भले ही नए जोश का संचार होगा, लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण नेताओं के बीच आने वाले दिनों मेंं गुटबाजी बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता.



Web Title : THE RESULT OF THE SEMIFINAL OF THE JAIPUR ASSEMBLY ELECTION WAS ANNOUNCED BY THE CONGRESS BJP BEATEN