वायरलेस उपकरणों से नजर रख सुधारी स्ट्रोक के मरीजों की जीवनशैली, घटाई जा सकेगी दोबारा आघात की आशंका

सेहत पर नजर रखने वाले इलेक्ट्रॉनिक व वायरलेस उपकरणों की सहायता से दूसरी बार स्ट्रोक आने के जोखिम के साथ जी रहे मरीजों की जीवनशैली सुधारी जा सकती है. इससे लंबे समय में उन्हें स्ट्रोक आने का खतरा घटाया जा सकता है.

यह दावा भारत के 31 स्ट्रोक चिकित्सा केंद्रों के करीब 4. 3 हजार मरीजों पर आईसीएमआर के अध्ययन के आधार पर किया गया. इसे लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल ने अपने ताजा अंक में प्रकाशित किया है. अध्ययन में मोबाइल हेल्थ (एम-हेल्थ) उपकरणों से मरीजों के स्वास्थ्य पर करीब एक वर्ष निगरानी रखी गई. एम-हेल्थ में स्वास्थ्य की निगरानी व देखभाल के लिए बने मोबाइल व वायरलेस उपकरण इस्तेमाल होते हैं. मरीजों को एसएमएस व अन्य मैसेज अलर्ट, स्वास्थ्य शिक्षा से जुड़े वीडियो और स्ट्रोक से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने की जानकारी देती कार्य-पुस्तिकाएं दी जाती हैं.  

वैज्ञानिक के तौर पर अध्ययन का हिस्सा रहीं डॉ. मीनाक्षी शर्मा ने स्प्रिंट को संभवत: विश्व का पहला ऐसा अध्ययन बताया जिसमें स्ट्रोक की आशंका वाले मरीजों को एम-हेल्थ साधनों से मिली मदद को बड़े स्तर पर परखा गया. कुल 4,298 मरीज इसमें शामिल थे इनमें से 2,148 की देखभाल में हस्तक्षेप किया गया और 2,150 को तय मानक के अनुसार देखभाल मिली. दोनों समूहों के क्रमश: 1,502 और 1,536 मरीजों ने 1 साल का अध्ययन पूरा किया.

मरीजों को ऐसे दी मदद 

स्ट्रोक की आशंका वाले मरीजों के समूह को 12 भारतीय भाषाओं में मोबाइल फोन पर ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने से जुड़े मैसेज, सूचनाएं व जागरुकता बढ़ाती जानकारियां भेजी गईं. शारीरिक गतिविधि बढ़ाने, स्वास्थ्यवर्धक भोजन लेने और स्ट्रोक रोकने की दवाएं समय पर लेने की जानकारियां भी हर हफ्ते दी गईं.

स्ट्रोक क्या है  

स्ट्रोक यानी ब्रेन अटैक, यह भारत में मौतों और अपंगता की प्रमुख वजहों में शामिल है. स्ट्रोक दो तरह के होते हैं, पहला, इस्केमिक, जिसमें हमारे मस्तिष्क को रक्त पहुंचा रही नसें ब्लॉक होती हैं, दूसरा ब्रेन हैमरेज, जिसमें नसें फट जाती हैं.

इसलिए होता है 

हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, हाई कोलेस्ट्रॉल, सिगरेट व शराब पीना, मोटापा, व्यायाम न करना और सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला भोजन लेना. करीब 20 प्रतिशत मामलों में एक स्ट्रोक आने पर दूसरा स्ट्रोक आने की आशंका रहती है. इसकी वजह दवाएं न समय पर न लेना और पूर्व में स्ट्रोक की वजह बनी गलत आदतों को दोहराना या नियंत्रित न कर पाना.

ऐसे बचें 

अच्छा खान-पान, सिगरेट व शराब सेवन से बचना, सेहत की निगरानी रखना व व्यायाम करना.   

इसलिए मौतें ज्यादा  

अध्ययन में शामिल लुधियाना के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. जयराज डी पांडियन ने बताया कि दोनों समूह में मौतों की संख्या में बड़ा अंतर नहीं मिला. इसकी प्रमुख वजह इन्हें स्ट्रोक सेंटरों पर मिली अच्छी देखभाल और अध्ययन की कम अवधि है. वहीं डॉ. शर्मा के अनुसार लंबे समय के दौरान ज्यादा साफ परिणाम मिल सकते हैं. जीवन शैली में आए सुधार का फायदा जानने के लिए सितंबर 2022 से दूसरे चरण का  अध्ययन शुरू हुआ है. इससे आने वाले वर्षों में स्ट्रोक के बेहतर इलाज में मदद मिल सकती है.

 


Web Title : WIRELESS DEVICES CAN IMPROVE THE LIFESTYLE OF STROKE PATIENTS, REDUCE THE RISK OF TRAUMA AGAIN

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