ईरान से तेल आयात जारी रखेगा भारत

नई दिल्‍ली : क्रूड ऑयल पर ज्‍यादातर वि‍कसित देशों की अर्थव्‍यवस्‍था टिकी है, लेकिन मोनोपली खरीदार देशों की बढ़ रही है. भारत को सर्वाधिक क्रूड बेचने वाले पश्चिम एशिया बाजार में देशों की रैंकिंग भी बदल रही है. कॉन्गो गणराज्य, अंगोला, ब्राजील जैसे देश भी भारत को कच्‍चे तेल की आपूर्ति बढ़ा रहे हैं. लेकिन भारत के लिए अभी सबसे बड़ी चिंता महंगे डॉलर में तेल की खरीदारी करना है, जिसे वह बदलने वाला है. वह अब रुपए में कच्‍चा तेल मंगाने की तैयारी कर रहा है. सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने हाल में ईरान से 12. 5 लाख टन कच्चे तेल के आयात के लिए कांट्रेक्‍ट किया है. सूत्रों ने कहा कि भारत और ईरान 4 नवंबर के बाद रुपये में व्यापार पर चर्चा कर रहे हैं. 4 नवंबर से ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध की मियाद शुरू हो जाएगी.

ईरान से पहले भी रुपए में होता रहा है कारोबार

एक सूत्र ने कहा, ´ईरान तेल के लिए पूर्व में रुपये का भुगतान लेता रहा है वह रुपए का उपयोग औषधि और अन्य जिंसों के आयात में करता है. इस प्रकार की व्यवस्था पर काम जारी है. ´ अगले कुछ हफ्तों में भुगतान की तस्‍वीर साफ हो जाएगी. सूत्रों के अनुसार इंडियन ऑयल और मैंगलोर रिफायनरी जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल रिफाइनरी कंपनियां तेल आयात के लिए ईरान को भुगतान को लेकर यूको बैंक या आईडीबीआई बैंक का उपयोग कर सकती हैं. भारत की ईरान से करीब 2. 5 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात की योजना है जो 2017-18 में आयातित 2. 26 करोड़ टन से अधिक है. हालांकि वास्तविक मात्रा कम हो सकती है क्योंकि रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियां पूरी तरह तेल खरीद बंद कर चुकी हैं. अन्य भी पाबंदी को देखते हुए खरीद घटा रही हैं.

महंगे डॉलर के कारण बढ़ रहा आयात पर खर्च

जानकारों के मुताबिक भारत के कच्चे तेल के आयात पर खर्च 2018-19 में 26 अरब डॉलर (करीब 1. 82 लाख करोड़ रुपये) ज्यादा हो सकता है, क्योंकि रुपए में रिकॉर्ड गिरावट के कारण विदेश से तेल खरीदने के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है. इससे पेट्रोल, डीजल और कुकिंग गैस (एलपीजी) की कीमत में बढ़ोतरी होगी, जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा.

80% तेल बाहर से मंगाता है भारत

भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत कच्चे तेल का आयात करता है. उसने 2017-18 में 22. 043 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात पर करीब 87. 7 अरब डॉलर (5. 65 लाख करोड़ रुपये) खर्च किया था. वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 22. 7 करोड़ टन क्रूड ऑइल के इंपोर्ट का अनुमान है. एक अधिकारी ने बताया, ´हमने वित्त वर्ष की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि 108 अरब डॉलर (7. 02 लाख करोड़ रुपये) का कच्चा तेल आयात किया जाएगा. इसमें कच्चे तेल की औसत कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल मानी गई थी. इसमें एक डॉलर में 65 रुपये का भाव माना गया था. ´ 

इसलिए बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दाम

भारी-भरकम ऑइल इंपोर्ट बिल के चलते भारत का व्यापार घाटा यानी आयात और निर्यात का अंतर बढ़कर जुलाई में 18 अरब डॉलर हो गया था. यह 5 साल में सबसे अधिक है. व्यापार घाटे से चालू खाता घाटा बढ़ता है, जिससे करंसी कमजोर होती है. रुपये में गिरावट से एक्सपोर्टर्स और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) जैसे घेरेलू तेल उत्पादकों को लाभ होगा, क्योंकि इन्हें तेल के लिए रिफाइनिंग कंपनियों से डॉलर में पेमेंट लेती हैं. हालांकि, इससे पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ेंगे.


Web Title : INDIA WILL IMPORT CRUDE IN RUPEE FROM IRAN