आखिर क्या कहता है निस्वार्थ प्रेम और समर्पण को दर्शाने वाला सुहागिनों का पर्व करवाचौथ

करवाचौथ यानि एक ऐसा त्योहार जिसका इंतजार हर सुहागन को होता है. क्योंकी करवा चौथ महज एक व्रत नहीं है. बल्कि ये तो सूत्र है, विश्वास का कि हम साथ-साथ रहेंगे. आधार है जीने का कि हमारा साथ कभी न छूटेगा. आज हम चाहे जितने आधुनिक हो जाएं किन्तु हमारा मन आज भी हमारे पुर्वजो के संस्कार से भरा पडा है. भारतीय स्त्रीयां रिश्तों को निभाना जानती है.

वो पुरे दिन निर्जला उपवास रखती है,पर उनके चेहरे पर एक भी सिकन आपको दिखाई नहीं पडेगी क्योंकी वो जानती की उनके एक दिन के उपवास से इश्वर उनके पति को लंबी उम्र का वरदान देंगे. यही तो परिभाषा है एक भारतीय नारी की जिसे अपनो के लिए जीना अच्छा लगता है. तभी तो भारत की नारियों का सम्मान पुरा विश्व करता है. क्योंकी भारत ही वो धरती है. जहां सिता और सावित्री जैसी महान स्त्रीयों ने अपने पति के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.

हिंदू सनातन पद्धति में करवा चौथ सुहागिनों का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है. इस पर्व पर महिलाएं हाथों में मेहंदी रचाकर, चूड़ीयां पहनकर सोलह श्रृंगार करती है और अपने पति की पूजा कर व्रत खोलती हैं. भारतीय स्त्री के लिए उनके पति ही उनके परमेश्वर होते हैं,एक सच्ची भारतीय पत्नी की सारी दुनिया उसके पति से शुरू होकर उसके पति पर ही समाप्त हो जाती है.

चांद को भी शायद इसीलिए इस पर्व का प्रतीक माना गया होगा क्योंकि चांद भी धरती की कक्षा में पुरी तन्मयता,प्यार और समर्पण से धरती के इर्द-गिर्द घुमता रहता है,और ठिक वैसे ही हमारी भारतीय नारियां भी अपने पति की सुख में अपना सुख समझती हैं और पति की दुख को अपना दुख.

वैसे भी हमारा भारत अपनी परंपराओं, संस्कृति और धार्मिक पुरजोरता के आधार पर विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने में सक्षम है और इसका सबसे अच्छा उदाहरण है करवाचौथ, जो परंपरा, प्यार, समर्पण और जीवन सबको एक साथ एक सूत्र में पिरोकर सदियों से सुहागन स्त्रीयों द्वारा किया जा रहा है

इस पावन व्रत कि महत्ता तब और बढ जाती है जब इसे ना केवल परंपरा मानकर किया जाए बल्कि अपने पति के प्रति अपना प्रेम और समर्पण व्यक्त करने के लिए सच्चे दिल से इस व्रत को रखा जाए. पत्नी जब पुरी श्र्द्धा और प्रेम से परिपुर्ण होकर सच्चे दिल से दिन भर निर्जला उपवास रखती है और फिर आकाश में निकले चांद से अपने जीवन के चांद यानि अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है,तो गगन को रौशन करने वाला वो चांद भी सुहागनों की ये दुआएं कुबुल कर उनके पति को शाश्वत जीवन और सफलता का वरदान देते है

पर यह सब तभी संभव होगा जब युगल का व्यक्तिगत जीवन परंपरा के आधार पर न जाकर प्रेम के आधार पर हो, शादी सिर्फ एक बंधन न हो बल्कि शादी नवजीवन का खुला आकाश हो जिसमें प्यार का ऐसा वृक्ष लहराए जिसकी जड़ों में परंपरा का दीमक नहीं प्यार का अमृत बरसता हो जिसकी तनाओं में बंधन का नहीं प्रेम का आधार हो,और यकिन मनाईए जब कभी भी कोई ऐसा युगल एक दूसरे के लिए करवा चौथ का व्रत करके चांद से अपने प्यार के शाश्वत होने का आशीर्वचन माँगते है तो चांद ही क्या पूरी कायनात से उनको वो आशीर्वाद मिल जाता है.

आज हम कितने भी आधुनिक क्यों ना हो जाएं पर क्या ये आधुनिकता हमारे बीच के प्यार और अपनत्व को मिटाने के लिए होनी चाहिए. आज आधुनिक दौर में हम अक्सर ये भुल जाते हैं कि परंपरा वक्त की मांग के अनुसार बनी होती है,वक्त के साथ परंपरा में संशोधन किया जाना चाहिए. पर उसका तिरस्कार करना उचित नहीं है क्योकी आखिर यही वो परम्पराएं है जो हमारे पूर्वजों की धरोहर है यही वो पुंजी है जो हमें विरासत में मिली है. करवा चौथ जबरन नहीं बल्कि प्यार और विश्वास से मनाने का पर्व है. इसे इतने यकीन से मनाइए कि आपका प्यार अमिट और शाश्वत रहे.

किसी भी सुहागन स्त्री के लिए बडा ही पावन और खास होता है करवाचौथ का ये व्रत,क्योंकि करवाचौथ का ये व्रत सुहागनों कि लिए अमर सौभाग्य का वरदान लेकर आता है इसे यादगार बनाईए क्योंकी ये केवल एक व्रत या पर्व नहीं है,बल्कि ये तो महज एक जरिया है आपके अदंर अपने पति और अपने परिवार के प्रति अपने निस्वार्थ प्रेम और समर्पण को दर्शाने का,इसलिए पूरी श्रदा और प्रेम से मनाइए सौभाग्य का त्योहार करवाचौथ 

शिल्पा सिंह 









Web Title : WHAT DOES FEAST OF MARRIED WOMEN KARVA CHAUTH WHICH REFLECTS SELFLESS LOVE AND DEDICATION SAYS